MP में स्कूल फीस को लेकर माथापच्ची:हाईकोर्ट का आदेश- महामारी रहने तक सिर्फ ट्यूशन फीस ले सकते हैं; संचालक बोले- स्कूल खुले अब पूरी फीस चाहिए; सरकार मौन

मध्यप्रदेश में 1 सितंबर से 6वीं से 12वीं तक के स्कूल 50% क्षमता के साथ शुरू हो रहे हैं। ऐसे में अब स्कूल फीस को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। सवाल उठता है कि अगर कोई बच्चा स्कूल न आकर ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहा है, तो उससे सिर्फ ट्यूशन फीस ली जाएगी या स्कूल संचालकों को पूरी फीस वसूलने का अधिकार होगा? अभी स्कूल आना अनिवार्य नहीं है।

इस मामले में स्कूल संचालकों का कहना है कि मंत्री से मुलाकात के दौरान उन्होंने पूरी फीस लेने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक शासन की तरफ से फीस को लेकर निर्देश नहीं दिए गए। इधर, हाईकोर्ट के निर्देश हैं कि जब तक महामारी रहेगी, सरकार यह घोषित नहीं करती है कि महामारी खत्म हो गई है, तब तक ट्यूशन फीस ही ली जाएगी। उधर, स्कूल संचालकों ने स्कूल खुलने का हवाला देते हुए पूरी फीस लिए जाने को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इसे लेकर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन कोर्ट जाने की तैयारी में है।

शासन के निर्देश का इंतजार
दिल्ली पब्लिक स्कूल भोपाल के संचालक अभिषेक गुप्त ने बताया कि अभी तक की गाइडलाइन के अनुसार सिर्फ ट्यूशन फीस ली जा सकती है। शासन ने स्कूल फीस को लेकर निर्देश जारी नहीं किए हैं। हम 1 सितंबर से नहीं, बल्कि 6 सितंबर से स्कूल खोलेंगे, क्योंकि तैयारियों का समय नहीं मिला है। फीस निर्धारण को लेकर शासन के निर्देश आने का इंतजार है। शासन से जो निर्देश मिलेंगे, उसी के आधार पर बच्चों से स्कूल फीस ली जाएगी।

अब कोर्ट जाएंगे
एसोसिएशन ऑफ अन-एडिड प्राइवेट स्कूल्स मध्य प्रदेश के सचिव बाबू थॉमस का कहना है कि अब तक शासन के निर्देश थे, जब तक स्कूल नहीं खुलते हैं, सिर्फ ट्यूशन फीस ले सकते हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री ने फीस लिए जाने को लेकर मौखिक कहा है, लेकिन लिखित आदेश नहीं हैं। स्कूल खोलने के आदेश आने के बाद अब 1 सितंबर से स्कूल खुलने पर पूरी फीस ली जा सकती है। स्पष्ट निर्देश नहीं होने के कारण हम आदेश का इंतजार कर रहे हैं। फीस को लेकर निर्देश जारी नहीं किए जाते हैं, तो फिर हम कोर्ट जाएंगे। मंगलवार को इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाएंगे।

स्कूल जाना ऐच्छिक है, अनिवार्य नहीं
जागृत पालक संघ के अध्यक्ष चंचल गुप्ता ने बताया कि हाईकोर्ट के फीस को लेकर स्पष्ट निर्देश हैं, चूंकि स्कूल खुल गए हैं, तो ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास का ऑप्शन छात्रों के पास है। स्कूल जाना अनिवार्य नहीं है। पेरेंट्स की मर्जी पर ही बच्चे स्कूल आएंगे।

स्कूल में ऑफलाइन क्लास के लिए पेरेंट्स से सहमति पत्र लेने के दौरान स्कूल उनसे फीस को लेकर भी सहमति ले सकता है। अगर कोई पेरेंट्स पूरी फीस देकर 3 दिन के लिए बच्चों को स्कूल भेजना चाहता है, तो कोई समस्या नहीं है। स्कूल खुलने के नाम पर पेरेंट्स से जबरन फीस वसूली जाती है, तो हम कोर्ट में जाएंगे।

6 सितंबर को होनी है सुनवाई
पहले से ही फीस को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगी है। इसमें अधिक फीस लेना, ट्यूशन फीस के नाम पर परेशान करना, टीसी नहीं देना, जैसे मौलिक अधिकारों के हनन के मुद्दे हैं। इस पर 6 सितंबर को सुनवाई की जाएगी। अगर किसी पेरेंट्स को परेशान किया जाता है, तो हम इस बात को भी कोर्ट के सामने रखेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *