दीपावली पर जलेंगे बेफिक्री के दीये…:डीआरडीई की लैब शिफ्टिंग के साथ सिर्फ बचेंगी ही नहीं बल्कि वैध भी हो जाएंगी सिटी सेंटर क्षेत्र की 9000 कराेड़ की संपत्तियां

28 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने डीआरडीई लैब के 200 मीटर के दायरे में आने वाले सभी निर्माण कार्यों को हटाने के निर्देश दिए थे

डीआरडीई की लैब शिफ्टिंग पर सहमति के साथ सिटी सेंटर क्षेत्र की 9 हजार करोड़ की 142 संपत्तियों से न सिर्फ टूटने का खतरा टल गया है बल्कि इनमें वे संपत्तियां जो अब तक अवैध मानी जा रही हैं, वे जल्द ही वैध भी हो जाएंगी। सबकुछ ठीक रहा तो दीपावली तक यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है।

दरअसल, सरकार ने हाल ही में अवैध कॉलोनियों को वैध करने और मंजूरी के विपरीत किए गए निर्माण कार्याें को समझौता शुल्क के साथ वैध करने की जो स्कीम शुरू की है। उसका लाभ भी इन संपत्ति स्वामियों को मिलेगा। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में बड़े प्रोजेक्ट भी अब आकार ले सकेंगे।

डीआरडीई के 200 मीटर दायरे में लगातार हो रहे निर्माण कार्यों के मामले को लेकर राजेश भदौरिया ने 2015 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 3 साल पहले कोर्ट ने नगर निगम से ऐसी सभी संपत्तियों का सर्वे कर जानकारी देने को कहा, जो 200 मीटर के दायरे में आ रही थीं। निगम ने सर्वे में पाया कि इस दायरे में 142 संपत्तियां आ रही हैं। इनमें से 54 भवनों का निर्माण विधिवत मंजूरी से किया गया है। ये अनुमतियां वर्ष 1970 से 2016 तक की हैं। 51 निजी भवन बिना अनुमति के पाए गए थे। शेष 37 इमारत और भवन सरकारी हैं। लंबी सुनवाई के बाद 28 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने डीआरडीई लैब के 200 मीटर के दायरे में आने वाले सभी निर्माण कार्यों को हटाने के निर्देश दिए।

इस तरह से मिलेगी राहत

  • तीन माह में 50 मीटर होगा दायरा: डीआरडीई लैब की शिफ्टिंग के लिए प्रशासन ने महाराजपुरा क्षेत्र में 140 एकड़ जमीन दी है। इस पर 30 अगस्त को डीआरडीई ने कब्जा ले लिया है। शर्त के अनुसार तीन माह में डीआरडीई लैब से निर्माण प्रतिबंध का दायरा 200 मीटर से घटकर 50 मीटर हो जाएगा। इससे अधिकांश निजी संपत्तियां इसे दायरे बाहर हो जाएंगी।
  • वैध होंगी अवैध कॉलोनी: प्रदेश सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने के आदेश जारी कर दिए हैं। ऐसे में सिटी सेंटर क्षेत्र का महाराणा प्रताप नगर सहित अन्य क्षेत्र इस श्रेणी में आकर वैध हो जाएंगे।
  • निर्माण पर समझौता: वर्ष 2005 में 200 मीटर दायरे का प्रतिबंध लगने के बाद नगर निगम ने निर्माण मंजूरी नहीं दीं, लेकिन प्राइम लोकेशन होने के कारण कुछ लोगों ने बिना अनुमति निर्माण कर लिया। ऐसे में हाल ही में जारी समझौता मामले में ऐसी इमारतों को निर्धारित शुल्क जमा कराकर वैध करने का प्रावधान है। महाराणा प्रताप नगर के 16 भवन मिलाकर 51 भवन बिना अनुमति के हैं, ये संपत्तियां वैध हो जाएंगी।

संपत्तियों के टूटने का खतरा टला
रक्षा अनुसंधान की लैब शिफ्टिंग के मामले के साथ इसके 200 मीटर के दायरे में स्थित संपत्तियों के टूटने का खतरा टल गया है। शासन की योजनाओं का लाभ लेकर अब यहां की कॉलाेनियों को वैधानिक मान्यता मिल जाएगी, साथ ही बिना अनुमति किए गए निर्माण कार्य भी शासन द्वारा निर्धारित शुल्क जमा कर वैध कराए जा सकेंगे। इसके लिए लोगों को पहल करना होगी।
विनोद शर्मा, रिटायर्ड कमिश्नर नगर निगम

जो भवन समझौते की श्रेणी में, उन्हें वैध करेंगे
डीआरडीई द्वारा दायरा कम करने के बाद जो इमारतें समझौते की श्रेणी में आएंगी, उन्हें शासन की योजना का लाभ देकर वैध किया जाएगा।
आशीष तिवारी, प्रभारी आयुक्त, नगर निगम

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