ई-टेंडर हो या कालाधन, जांच के नाम पर सिर्फ पत्राचार, अब तक कोई नतीजा नहीं

भोपाल । मध्य प्रदेश के बहुचर्चित दो घोटाले के मामलों में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) की जांच वर्षों बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रही है। जांच एजेंसी संबंधित विभागों से पत्राचार कर दस्तावेजों की मांग कर रही है। हाल ही में कमल नाथ सरकार के दौरान कालाधन मामले की जांच आगे बढ़ाने के लिए ईओडब्ल्यू ने आयकर विभाग से मूल दस्तावेजों की मांग की है। ई-टेंडर घोटाले में भी दिल्ली की सीईआरटी (कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) से तकनीकी रिपोर्ट मांगी गई है।

लोकसभा चुनाव-2019 से पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के करीबियों के यहां पड़े आयकर छापों को लेकर आरोपों के घेरे में आए चार पुलिस अधिकारियों को लेकर निर्वाचन आयोग के पत्र के बाद ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की है। राज्य शासन की ओर से भी आइपीएस वी. मधुकुमार, सुशोवन बनर्जी व संजय वी. माने और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा को आरोप पत्र दिया जा चुका है।

इसमें सीबीडीटी की रिपोर्ट के हवाले से प्रतीक जोशी के माध्यम से करोड़ों रुपये के लेनदेन का आरोप इन अधिकारियों पर लगाया गया है। हाल ही में आयकर विभाग से मामले से जुड़े मूल दस्तावेज को लेकर पत्र लिखा गया है। तर्क यह है कि ईओडब्ल्यू मूल दस्तावेजों के परीक्षण के बाद जांच की दिशा तय करना चाहता है।

यही हाल प्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाले की जांच का भी है। 2019 में सामने आए इस घोटाले की जांच धीमी गति से चल रही है। सीईआरटी को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए भेजी गई हार्ड डिस्क की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। 42 टेंडरों की तकनीकी रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को नहीं मिलने से इस मामले की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है।

लगातार कर रहे हैं पत्राचार

ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि दोनों मामलों में हमारी ओर से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। मूल दस्तावेजों के परीक्षण के बाद ही हम अपनी जांच की दिशा तय कर पाएंगे। कोरोना के कारण भी इस काम में देरी हुई है। आयकर विभाग और सीईआरटी की ओर से आश्वस्त किया गया है कि जल्द ही जांच एजेंसी को इस मामले से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध करा दिए जाएंगे।

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