हिन्दी दिवस पर कोर्ट में भी चली हिन्दी…:हाईकोर्ट में बहस से लेकर आदेश तक हिन्दी में किए गए जारी, जिससे याचिकाकर्ता समझ सके

  • हिन्दी दिवस के मौके पर जजों ने भी दिया हिन्दी को महत्व….

ग्वालियर में हाईकोर्ट की एकलपीठ में मंगलवार को हिन्दी दिवस के अवसर पर मामलों की सुनवाई, बहस तो हिन्दी में हुई ही, साथ ही आदेश तक हिन्दी में लिखवाए गए हैं। जस्टिस शील नागू, जस्टिस आनंद पाठक, जस्टिस दीपक अग्रवाल ने 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के अवसर पर अपनी-अपनी कोर्ट में पूरी कार्रवाई हिन्दी में जारी रखी है। मंगलवार को कुछ जमानत, पुराने केस के निराकरण के आदेश भी हिन्दी में लिखवाए गए हैं।
मंगलवार मतलब 14 सितंबर को जब हाईकोर्ट में कार्रवाई शुरू हुई तो हिन्दी दिवस को लेकर हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति व अधिवक्ताओं के बीच चर्चा हुई। उन्होंने तय किया कि इस हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में हिंदी में कार्य किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति शील नागू, न्यायमूर्ति आनंद पाठक व न्यायमूर्ति दीपक अग्रवाल की बेंच में आए केसों का चुनाव किया गया, जिनका आदेश हिंदी में लिखा गया। एक केस आबकारी एक्ट से संबंधित था। आरोपित को जमानत मिल गई और आदेश हिन्दी में दिया गया, ताकि उसे आदेश समझ में आ सके। इसके अलावा 2019 के दो केस पेंडिंग थे। इन केसों के याचिकार्ताओं को जनसेवा करने की शर्त पर जमानत दी गई। उन्होंने कोर्ट की शर्त के अनुसार काम किया। रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की। रमेश सविता को पौधे लगाने व सामुदायिक कार्य करने की शर्त पर जमानत दी गई थी।
हिन्दी में बहस और आदेश भी लिखे गए
– कुछ मामलों में हाई कोर्ट ने जमानत में पौधा लगाने व जनसेवा की शर्त शामिल की है। पर जमानत के लिए बहस हिन्दी में हुई और इन शर्तों को हिन्दी में लिखा गया, जिससे याचिकाकर्ता उन्हें आसानी से समझ सके और उनका पालन कर सके। एक दिन की इस हिन्दी व्यवस्था से सभी संतुष्ट नजर आए।

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