24 घंटे में काउंसिलिंग शुरु करने पर भड़के डॉक्टर्स…..कहा- विभाग पहले जारी करे सीटों का ब्यौरा, बांड के तहत 2 साल तक सेवा देना अनिवार्य

मेडिकल संस्थानों में डीएम और एमसीएच डिग्री लेने के बाद डॉक्टरों की नियुक्ति का मामला फिर से गर्मा गया है। पहले जहां डॉक्टर बांड नीति को लेकर आक्रामक रहे, वहीं, अब चिकित्सा शिक्षा विभाग की नोटिस के अगले ही दिन काउंसलिंग का आदेश जारी होने से भड़क गए है। डॉक्टरों ने नोटिस के बाद 7 दिन का वक्त मांगा है। और सुनवाई न होने पर आंदोलन करने की बात कही है। इससे पूर्व शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नोटिस देकर अगले ही दिन यानी आज से ही काउंसलिंग कराने का फैसला किया था। इसी से डॉक्टर भड़क उठे। डॉक्टरों का कहना है कि साजिश के तहत आधी-अधूरी तैयारियों के बीच अचानक काउंसिलिंग कराई जा रही है।

बांड के तहत 2 साल तक सेवा देना अनिवार्य

दरअसल डीएम यानी डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन व एमसीएच की डिग्री लेने के बाद डॉक्टरों को निर्धारित अवधि तक सरकारी संस्थान में काम करना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर सरकारी राशि बांड के तौर पर भरनी होती है। यही कारण है कि इन डॉक्टरों को दो साल सेवा देना अनिवार्य है। इनकी दो साल की नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर होनी है। सुपर स्पेशियालिटी की डिग्री लेने वाले डॉक्टर ने सेंट्रल काउंसलिंग कराने की मांग की।

मंत्री से भेंट कर लगाई थी गुहार

इस बीच कुछ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना से भेंट की। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने उनकी मांग का समर्थन किया और चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय को निर्देश दिया कि काउंसलिंग कराई जाए। ऐसे में महानिशालय की तरफ से अचानक शनिवार को काउंसलिंग की नोटिस जारी कर दी है।

डॉक्टरों का आरोप 24 घंटे से कम का समय देकर शुरु की काउंसिलिंग

अचानक से काउंसलिंग की सूचना आने पर डॉक्टर तिलमिला गए। डॉक्टरों का कहना है कि बहुत से चिकित्सकों के परिवारीजन बीमार चल रहे हैं। दूर-दराज परिवार के सदस्यों को इलाज मुहैया कराने गए हैं। ऐसे में 24 घंटे के अंदर काउंसिलिंग शुरु करने नियमों की अनदेखी है।

जारी हो खाली पदों का ब्योरा

वही कुछ डॉक्टरों का आरोप है कि विभागीय अफसर खाली पदों का ब्योरा छिपा रहे हैं। तो दूसरी तरफ सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को नियुक्त करने से परहेज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि काउंसिलिंग का पूरा ब्यौरा जारी होना चाहिए। इसमें किस संस्थान में खाली सीटों की जानकारी होनी चाहिए और आरक्षण रोस्टर के अनुसार ही काउंसिलिंग की जाए।

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