शराब के खेल का गठबंधन ….शराब सिंडिकेट पर 3 बड़ी कार्रवाई, आबकारी विभाग ने अपने स्तर पर कोई कदम नहीं उठाए

  • प्रदेश में सालाना 10 हजार करोड़ के शराब के खेल का गठबंधन सामने आने लगा……

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) नई दिल्ली द्वारा मप्र के डिस्टलरी उत्पादकों के यहां मारे गए प्रदेशव्यापी छापों के बाद प्रदेश में सालाना करीब 10 हजार करोड़ के शराब के खेल का गठबंधन सामने आने लगा है। सीसीआई को देश की बड़ी दो शराब कंपनियों द्वारा की गई शिकायत में मप्र के उत्पादकों द्वारा गुटबंदी कर अन्य कंपनियों को बाहर करने की बात कही गई है।

यह बात भी सामने आई है कि इसके बदले में यह उत्पादक आबकारी विभाग द्वारा जिलों में डिस्टलरी सप्लाय के लिए होने वाले टेंडरों में भी गठबंधन करके चलते हैं। इसमें यह आपस में जिले बांट लेते हैं और इस तरह के दाम भरते हैं कि इन्हें अधिक से अधिक फायदा हो और सरकार को कम से कम राजस्व देना पड़े। एक माह में तीन अलग-अलग एजेंसियों की जांच के बाद भी आबकारी विभाग ने अपने स्तर पर कोई कदम नहीं उठाए हैं।

इस साल तो विभाग ने टेंडर ही नहीं कराए हैं। कोविड की बात कहते हुए विभाग ने बीते साल जिलों में सप्लाय का ठेका पाने वाले उत्पादकों का भी टेंडर आगे बढ़ा दिया। इन उत्पादकों का गठबंधन केवल जिलों में सप्लाय में समझौता करने तक सीमित नहीं है। कई उत्पादकों के साथ शराब ठेके उठाने वाले ठेकेदार भी आपस में लिंक पाए गए हैं। इसके लिए डिस्टलरी उत्पादक अपनी जमा राशि पर इन सिंडिकेट के सदस्यों को बैंक गारंटी तक उपलब्ध कराते हैं, जिससे यह विभाग के ठेके उठा सकें।

कई डिस्टलरी उत्पादकों के साथ गठजोड़ के बाद कई बड़े ठेकेदारों ने अन्य ठेकेदारों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए इंदौर में महाकाल और मां कस्तूरी नाम से दो ग्रुप बना लिए और यही दो ग्रुप आपसी समझौते से दो साल से इंदौर जिले के एक हजार करोड़ से अधिक के ठेके उठा रहे हैं। इस ठेके के जरिए डिस्टलरी उत्पादक अपने उत्पाद इन दुकानों के जरिए मनचाहे दाम से उठवा रहे हैं। एक माह में तीन बड़ी कार्रवाई इस पूरे गठबंधन पर हुई है। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में बैंक शाखा पर छापे मारकर दस्तावेज लिए और अभी इसकी जांच जारी है। इसके बाद सीसीआई ने डिस्टलरी उत्पादकों पर छापे मारे और फिर इसमें आयकर विभाग इन्वेस्टीगेशन विंग भी शामिल हुई और इंदौर व भोपाल में दो जगह वह भी दो ग्रुपों पर जांच कर रही है।

सीधी बात राजीव दुबे, आबकारी आयुक्त

सीसीआई से कोई जानकारी नहीं मिली सवाल : सीसीआई ने डिस्टलरी वालों के यहां छापे मारे। आप क्या कहेंगे? जवाब : हमें सीसीआई के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली कि उन्होंने कहां पर क्या किया। न ही कार्रवाई के समय पूछा और न ही अभी तक बताया। सवाल : इन ग्रुप द्वारा गुटबंदी करने की बात सामने आई है? जवाब : विभाग खुला टेंडर कर जिलों में सप्लाय का काम देता है। जिसके भाव कम होते हैं, उन्हें यह टेंडर मिलता है। सवाल : इन उत्पादकों ने आपस में जिले भी तय कर रखे हैं? जवाब : टेंडर जिलेवार ही होता है। इसमें कोई भी बोली लगाकर उसे ले सकता है। सवाल : टेंडर इस साल भी हुए क्या? जवाब : नहीं। बीते साल टेंडर हुए थे। इस साल कोविड के चलते नहीं हुए।

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