बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन?:बदहवास परिजन बच्चों के पास जाने की मिन्नतें करते रहे; सभी की एक मांग- बस बच्चे को दिखा दो
कमला नेहरू की बिल्डिंग में चल रहे हमीदिया अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में सोमवार को आग की घटना में 4 नवजात की मौत हो गई। आग को बुझाने और बच्चों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने के दौरान पुलिस किसी को भी बिल्डिंग में प्रवेश नहीं करने दे रही थी। इस दौरान अस्पताल के बाहर भावुक नजारा था। यहां पर परिजन पुलिस से बच्चों के पास जाने देने की मिन्नते करते रहे। सभी एक ही बात कह रहे थे हमारे बच्चों को एक बार हमें दिखा दो। वह ठीक तो है।
भोपाल के बागमुगालिया की सोनी अस्पताल के बाहर बदहवास रोते हुए अपने भांजे के बारे में ही पूछ रही थी। बच्चे की मां भी हमीदिया अस्पताल में भर्ती है। सोनी रोते हुए बोली कि डॉक्टर से पूछा तो बोलते है कि बच्चा भी सीरियस है और मां भी सीरियस है। हमें कुछ समय में नहीं आ रहा। हमें अपने बच्चे के बारे में बता दो हम चुप हो जाएंगे।
सीहोर के रईश खान ने बताया कि उनका बच्चा पांच दिन से भर्ती है। उनके साथ खड़ी पत्नी के आंसू नहीं रूक रहे थे। वह अपने बच्चे के बारे में ही पूछ रही थी। रईश खान ने बताया कि उनके बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे। उसे आईसीयू में रखा है।
राजगढ़ के ही वासिद खान ने बताया कि मेरी पत्नी सुल्तानियां में भर्ती थी। 15 दिन का बच्चा है। मेरे बच्चे से दो दिन से नहीं मिला हूं। अभी भी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे। हमें अपने बच्चे के बारे में कोई जानकारी
नरसिंहगढ़ के पर्वत सिंह ने बताया कि उनकी 7 दिन की पोती भर्ती है। बच्ची की मां हमीदिया में भर्ती है। रात करीब 8 बजे हंगामा हो गया कि आईसीयू में आग लग गई। जब जाकर देखा तो वहां धुआं ही धुआं था। मेरा मास्क भी काला हो गया। डॉक्टरों से पूछा तो कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं था। यहां कोई हमें जानकारी ही नहीं दे रहा है।
बता दें पूरे मामले में सरकार ने अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी को पूरे मामले की जांच सौंपी है। इसमें मृतक नवजात बच्चों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए के आर्थिक मुआवजे का भी ऐलान किया गया है।