चुनाव से पहले योगी सरकार दो और जिलों में लागू कर सकती है कमिश्नर सिस्टम, अभी 4 जगह लागू है व्यवस्था

लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में बेहतर परिणाम मिलने के बाद सरकार ने इसी साल 25 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और कानपुर नगर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का फैसला किया था. अब यह व्यवस्था चार शहरों में लागू है.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार प्रदेश के दो और जिलों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम (Police Commissionerate System) लागू करने की तैयारी में है. राज्य में 4 जिले ऐसे हैं जहां फिलहाल ये सिस्टम लागू है. हालांकि मिल रही जानकारी के मुताबिक विधानसभा चुनावों से पहले 2 और जिलों में ये व्यवस्था लागू किए जाने का ऐलान किया जा सकता है.

ये व्यवस्था पहले से ही लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, कानपुर और वाराणसी में लागू है. यहां ये सिस्टम लागू करने के बाद से आए बदलावों और उससे हुए फायदे-नुकसान पर फिलहाल फीडबैक लिया जा रहा है. अगले चरण में आगरा, मेरठ, प्रयागराज और गाजियाबाद में से किन्हीं 2 शहरों में कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने पर विचार चल रहा है. विधानसभा चुनावों से पहले ही इनमें से ही 2 शहरों में ये सिस्टम लागू करने का ऐलान कर दिया जाएगा.

अभी चार शहरों में लागू है व्यवस्था

13 जनवरी 2020 को योगी सरकार ने लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किया था. तब इस व्यवस्था को पांच शहरों में लागू करने पर विचार चल रहा था. हालांकि बाद में सिर्फ दो शहरों में ही इस व्यवस्था को लागू किया गया था. लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में बेहतर परिणाम मिलने के बाद सरकार ने इसी साल 25 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और कानपुर नगर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू कर दिया था जिसके बाद राज्य के कुल 4 शहरों में ये व्यवस्था लागू हो गई थी.

लागू होंगे ये बदलाव

भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के तहत जिलाधिकारी को भी पुलिस को नियंत्रित करने का अधिकार है. इसके तहत आईएएस अधिकारी जो कि डीएम के पद पर होता है उसी की इजाजत के बाद पुलिस फैसले लेती है. हालांकि पुलिस कमिश्नरेट की व्यवस्था लागू होने के बाद डीएम की कई शक्तियां पुलिस अधिकारी के पास ट्रांसफर हो जाती हैं, जो  कि एक आईपीएस अफसर होता है. फिलहाल लागू व्यवस्था में पुलिस अधिकारी भी डीएम या शासन के आदेशों के अनुसार काम करते हैं, लेकिन कमिश्नर सिस्टम में IPS के आदेश के मुताबिक काम होता है.

कैसे अलग है कमिश्नर सिस्टम?

पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होते ही एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रियल पावर पुलिस को दे दी जाती है. इसके साथ ही पुलिस शांति भंग होने के डर से हवालात भेजने से लेकर गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लागू कर सकेगी. इस सिस्टम में इसके लिए डीएम से अनुमति की जरूरत नहीं होगी. पुलिस कमिश्नर को जिले की कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसले लेने का अधिकार होगा. होटल का लाइसेंस, बार लाइसेंस, शस्त्र लाइसेंस देने का अधिकार भी पुलिस को होगा.

डीएम और एसडीएम के कई अधिकार मिल जाएंगे

इस सिस्टम के लागू होने के बाद सिर्फ पुलिस ही तय कर पाएगी कि लाठी चार्ज होगा या नहीं, दंगों के दौरान कितनी फोर्स का इस्तेमाल होगी या फिर प्रदर्शन के लिए अनुमति दी जाएगी या नहीं. इसके अलावा जमीन की नाप-जोख से लेकर जमीन से जुड़े विवादों के निपटारे तक का अधिकार भी पुलिस के पास आ जाएगा. इस सिस्टम में पुलिस कमिश्नर सबसे बड़ा पद है, देश के अधिकांश महानगरों में यह व्यवस्था लागू की गई है. सीआरपीसी के तहत कई शक्तियां इस पद को मजबूत बनाती हैं. इस व्यवस्था में मजिस्ट्रेट पावर का इस्तेमाल पुलिस क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए करती है.

कैसे काम करता है कमिश्नरेट सिस्टम

शहर में जहां पुलिस कमिश्नरेट की व्यवस्था लागू है, वहां पुलिस कमिश्नर कार्यालय बनाया जाता है. एडीजी स्तर के वरिष्ठ आईपीएस पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात होते हैं. यहां महानगर को कई जोन में बांटा जाता है, डीसीपी हर जोन में तैनात होते हैं जो कि एसएसपी यानी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के समकक्ष हैं. एक जोन में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी डीसीपी की है, हर जोन में एसीपी तैनात हैं, जो 2 से 4 थानों की जिम्मेदारी देखते हैं यानी जनरल पुलिसिंग में सीओ के पद पर रहते हैं.

पुलिस आयुक्त प्रणाली में पद

पुलिस आयुक्त
संयुक्त पुलिस आयुक्त – जेसीपी
पुलिस उपायुक्त – डीसीपी
सहायक पुलिस आयुक्त – एसीपी
पुलिस इंस्पेक्टर – पीआई
सब इंस्पेक्टर – एसआई

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