किसानों की नाराजगी झेल रही सरकार का खिलाड़ियों पर दांव:सम्मन के बहाने जाट वोटों पर निगाह, जानिए मेरठ में पैरालंपिक खिलाड़ियों के स्वागत की 5 वजह
पैरालंपिक खिलाड़ियों के सम्मान व स्वागत कार्यक्रम का आयोजन कर यूपी सरकार ने बड़ा दांव खेला है। टोक्यो पैरालंपिक के बाद देश में किसी भी राज्य सरकार की ओर से यह पहला कार्यक्रम रखा गया है। जब प्रदेश के मुख्य नेता खुद खिलाड़ियों को सम्मानित करेंगे। CM योगी आज यानि गुरुवार को मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय में खिलाड़ियों को सम्मानित करेंगे। बता दें कि यह कार्यक्रम प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी आयोजित किया जा सकता था। लेकिन, सरकार चुनाव से पहले वेस्ट यूपी में खासतौर पर गुर्जर के बाद अब जाट वोटों को साधने का प्रयास कर रही है। पिछले 2 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने मेरठ से जनसभा कर चुनावी शंखनाद किया था। मेरठ में आयोजित कार्यक्रम की यह हैं 5 मुख्य वजह…
1. 80% खिलाड़ी वेस्ट UP से
वेस्ट यूपी की राजधानी कहा जाने वाला मेरठ स्पोर्ट्स का बड़ा हब है। यहां के खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान स्थापित की है। स्पोर्ट्स का सामान बनाकर निर्यात करने वाली कंपनी मेरठ की हैं। यूपी से पैरालंपिक में 80% खिलाड़ी मेरठ मंडल के हैं। ऐसे में इन सभी खिलाड़ियों की प्रतिभा को देखते हुए मेरठ में कार्यक्रम रखा गया है। मेरठ मंडल हरियाणा व दिल्ली से सटा होने के कारण दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों को यहां के खिलाड़ी टक्कर दे रहे हैं। मेरठ मंडल के गौतमबुद्ध नगर के DM सुभाष एलवाई खुद टोक्यो पैरालंपिक में भाग ले चुके हैं।
2. मेरठ में यूपी का पहला खेल विश्वविद्यालय
खेल और खेल प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए मेरठ में यूपी का पहला खेल विश्वविद्यालय की घोषणा की गई। प्रदेश में 2017 में भाजपा की सरकार बनी तो उसी समय से मेरठ में लगातार खेल विश्वविद्यालय को लेकर सरकार बात करती रही। मेरठ में 92 एकड़ जमीन पर यूपी का पहला खेल विवि बनाये जाने की 11 नवंबर 2021 को प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ नींव रखेंगे। मेरठ में खेल विश्वविद्यालय से मेरठ मंडल, सहारनपुर मंडल,आगरा मंडल, अलीगढ़ मंडल, मुरादाबाद और बरेली मंडल के 30 जिलों को फायदा मिल सकेगा।
3. वेस्ट यूपी में मेरठ राजनीति का गढ़
मेरठ वेस्ट यूपी की राजनीति का गढ़ है। 2014 में जब लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा तो BJP के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी थे। नरेंद्र मोदी ने विजय शंखनाद रैली की शुरुआत भी वेस्ट यूपी के मेरठ से की। 2 फरवरी 2014 को नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस धरती को मैं नमन करता हूं, यह चौधरी चरण सिंह की धरती है। अपने भाषण में मोदी बहन बेटियों की सुरक्षा, गोकशी के मुद्दे और किसानों को लेकर भी बोले। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भी वेस्ट यूपी को भाजपा ने पलायन के मुददे को खूब भुनाया। पूर्व सांसद बाबू हुकुम सिंह ने 2016 में मेरठ में शामली के कैराना पलायन मुद्दे को उठाया। यह पलायन मुद्दा पूरे देशभर में छाया। चुनाव में भाजपा को इसका फायदा भी हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी की मेरठ के मोदीपुरम में बड़ी जनसभा हुई।
4. किसानों को साधने की तैयारी
पिछले 11 माह से 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली, दिल्ली की बाहरी सीमाओं, यूपी, पंजाब और हरियाणा में आंदोलन कर रहे हैं। यूपी सरकार ने इस बार गन्ने के रेट में 25 रुपए प्रति कुंतल की बढ़ोतरी की, लेकिन किसानों का साफ कहना है की जब तक काले कानून वापस नहीं होंगे घर वापसी नहीं होगी। 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में सरकार के खिलाफ किसान महापंचायत हुई।
जिसमें देशभर के किसानों ने भाग लिया। इस महापंचायत में सरकार के खिलाफ किसान नेताओं ने खूब निशाना साधा। जिसमें खाप के चौधरी भी रहे। किसान महापंचायत के बाद से ही भाजपा मेरठ में एक बड़े आयोजन की तैयारी में थी, जिससे किसानों को साधा जा सके। वेस्ट यूपी के अधिकांश खिलाड़ी भी किसान परिवार से हैं।
5. जाट गुर्जर बिरादरी को साधने की कोशिश
नोएडा में मिहिर भोज की जाति को लेकर हुए विवाद में सरकार खुद असमंजस की स्थिति में आ गई थी। मिहिर भोज को सरकार को राजपूत बताया तो गुर्जर विरोध कर आंदोलन में उतर आये। जिसके बाद गुर्जर बिरादरी में सरकार के खिलाफ आक्रोश पनपा। वेस्ट यूपी की 25 विधानसभा सीटों पर गुर्जर वोटों का प्रभाव है।
ऐसे में मेरठ में कार्यक्रम के आयोजन के बहाने भाजपा गुर्जर वोटों को भी भी साधने की कोशिश कर रही है। गुर्जर वोटों के बाद जाट वोटों पर भी भाजपा सेंध लगाने की कोशिश कर रही रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह के निधन के बाद भाजपा पश्चिम में जाट व गुर्जरों को साधने की कोशिश कर रही है।