महाकाल के ऑनलाइन प्रसाद के नाम ठगा रहे श्रद्धालु:18 गुना अधिक दाम में बेच प्रसाद, प्रसाद बेचने वाले सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दर्ज होगी एफआईआर

  • यहां पढ़िये कैसे बनता है महाकाल का 260 रुपए किलो का शुद्ध देशी घी का लड्‌डू
  • महाकाल मंदिर प्रशासक ने कहा महाकाल का प्रसाद न तो ऑनलाइन बेचा जाता है और ना ही होम डिलीवरी की जाती है

महाकाल मंदिर का प्रसाद ऑनलाइन 351 रुपए प्रति किग्रा से 4550 रुपए प्रति किग्रा बेचा जा रहा है। इससे श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ आर्थिक रूप से भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। महाकाल का प्रसाद केवल उज्जैन आकर दर्शन करने वालों के लिए है। इसे नो प्रॉफिट नो लॉस की तर्ज पर बेचा जाता है। देशी घी और शुद्ध सामग्रियों से बना यह प्रसाद मात्र 260 रुपए किलो वितरित किया जाता है।

महाकाल के दर्शन करने उज्जैन नहीं आ पाने वाले श्रद्धालुओं को कई वेबसाइट अपना शिकार बना रही है। महाकाल की ऑनलाइन प्रसाद के नाम पर धोखाधड़ी की जा रही है। महाकाल मंदिर समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ ने कहा कि जो भी वेबसाइट महाकाल का प्रसाद ऑनलाइन बेच रही हैं, उनके नाम भी एफआईआर में जुड़वाए जाएंगे। महाकाल मंदिर की ओर से किसी भी तरह से ऑनलाइन प्रसाद श्रद्धालुाओं को नहीं दिया जाता और ना ही होम डिलीवरी की जाती है।

जैसे ही श्रद्धालु महाकाल का प्रसाद ऑनलाइन खरीदने के लिए गूगल पर सर्च करते हैं, दर्जनों वेबसाइट महाकाल का यह प्रसाद ऑनलाइन होम डिलीवरी कर रही हैं। ये वेबसाइट श्रद्धालुओं से मनमाना पैसा वसूल रही है। फिलहाल महाकाल मंदिर समिति ने श्रीटेंपल डॉट कॉम पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करा दिया है।

होलसेल आइटम डिलीवरी करने वाली प्रसिद्ध वेबसाइट इंडिया मार्ट भी महाकाल का प्रसाद ऑनलाइन बेचने का दावा कर रही है। जबकि इंडिया फोक्स डॉट कॉम इस प्रसाद के 260 रुपए की जगह 18 गुना अधिक दाम पर 4550 रुपए प्रति किलो में बेच रही है।

ऐसे बनता है महाकाल का लड्डू –

महाकाल का प्रसाद तैयार करते वक्त सफाई व शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है।
महाकाल का प्रसाद तैयार करते वक्त सफाई व शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है।

महाकाल मंदिर से करीब 7 किमी दूर चिंतामण गणेश मंदिर के नजदीक लड्‌डू तैयार किए जाते हैं। हर दिन 50 क्विंटल तक लड्‌डू तैयार किए जाते हैं। इसके लिए 50 से ज्यादा लोग लगातार 10 घंटे काम करते हैं। लड्‌डू बनाने से लेकर पैकिंग तक सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं।

खरीदी की प्रक्रिया में भी शुद्धता –
देसी घी, ड्रायफ्रूट, चने की दाल, रवा की खरीदी की जाती है। खरीदी गई सभी सामग्री की जांच करते हैं। यह काम खाद्य विभाग की टीम करती है। जरा भी कमी होने पर उसे विक्रेता को लौटा दिया जाता है। बेसन के लिए चने की सूखी दाल खरीदी जाती है। उसे छान और बीन कर गंदगी हटाते हैं। इसके बाद उसे यहीं पर चक्की में पीसकर बेसन तैयार किया जाता है। रवा सीधे फैक्ट्री से आता है। देशी घी की खरीदी उज्जैन दुग्ध संघ (सांची) से की जाती है। महाकाल मंदिर की प्रसादी के लिए खरीदी होने और बड़ी मात्रा होने के कारण सांची की ओर से विशेष दाम (न्यूनतम) तय किए जाते हैं। काजू, किशमिश व इलायची को भी बारीकी से परखा जाता है।

दो साल पहले ‘भोग सर्टिफिकेट’ मिला था, हाइजिन में भी फाइव स्टार रेटिंग –
महाकाल मंदिर की लड्‌डू प्रसादी यूनिट को दो साल पहले ‘भोग सर्टिफिकेट’ (ब्लिसफुल हाइजनिक ऑफरिंग टू गॉड) मिल चुका है। इसके बाद अगस्त माह में इस यूनिट को साफ-सफाई व शुद्धता के मामले में एफएसएसएआई ने हाइजिन की फाइव स्टार रेटिंग दी है।

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