फिर अचानक घट रहे हैं ट्विटर पर फॉलोवर्स, इसका रिश्ता पाकिस्तान के ISI और यूपी चुनाव से भी हैं!

2 दिसंबर 2021, सुबह 9 बजे, उत्कर्ष सिंह नाम के ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया- ’मेरे फॉलोवर्स तेजी से घट रहे हैं। अब तक 6 हजार घट चुके हैं।’ इसके बाद एक के बाद एक कई यूजर्स के ट्वीट सामने आए। इनमें से कई ने बाद में ट्वीट कर कहा कि उनके फॉलोवर्स वापस आ गए हैं। लेकिन, इससे पहले 24 घंटे में ट्विटर पर ट्विटर के ही खिलाफ #फॉलोवर्स_पर_हमला हैशटैग ट्रेंड हो चुका था।

लोगों ने आरोप लगाए कि भारतीय सीईओ बनने के बाद जानबूझकर भारत के लोगों के फॉलोवर्स घटाए जा रहे हैं। लेकिन, ये सच्चाई नहीं है। सच्चाई ये है कि ट्विटर हो या फेसबुक या फिर इंस्टाग्राम। हर बार किसी बड़े चुनाव के पहले अचानक फॉलोवर घटाने लगे हैं। पर ऐसा क्यों होता है? हमने पड़ताल की तो हमें इसके तार पाकिस्तान के ISI तक से जुड़े मिले। आइए इस पूरी पड़ताल को शुरू से देखते हैं-

अमेरिकी चुनाव से है इस कहानी की शुरुआत

इस कहानी की शुरुआत अमेरिकी चुनाव 2016 से होती है। 2016 में मामला तब हाईलाइट हुआ, जब बोट्स अकाउंट्स के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को रूसी ऑपरेटरों द्वारा प्रभावित करने की खबर सामने आई थी।

अमेरिकी चुनाव 2016 में फेक अकाउंट का चुनावी कनेक्शन आया था सामने

अमेरिकी चुनाव 2016 में फेसबुक ने स्वीकार किया था कि उसके फ्लेटफॉर्म पर 27 करोड़ से अधिक अकाउंट फर्जी हैं। यही नहीं रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि इस चुनाव से पहले करीब 12.6 करोड़ अमेरिकी यूजर्स ने रूसी ऑपरेटरों से प्रायोजित चुनाव से जुड़ी खबरें और वीडियो देखी होगी। हालांकि, फेसबुक ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि करीब 10 लाख लोगों ने इस तरह के विज्ञापन को देखा होगा।

भारत में 5 राज्यों की विधानसभा चुनाव 2017 से पहले हटाए गए थे लाखों अकाउंट्स

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2016 के बाद 2017 में यूपी समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब ट्विटर ने जनवरी 2015 से दिसंबर 2016 के बीच 24 महीने में 1.25 लाख ऐसे अकाउंट को हटाए थे। इसी तरह 2019 लोकसभा चुनाव से पहले नवंबर 2018 में भी ट्विटर ने करीब 10 हजार, ऐसे अकाउंट हटाए थे। 2018 में ही फरवरी से जुलाई के बीच छह महीने में करीब 70 करोड़ अकाउंट की पड़ताल की थी।

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान पाकिस्तानी फैला रहे थे प्रोपेगेंडा

एचटी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान इस बात का खुलासा किया था कि किस तरह से पाकिस्तान से बैठे लोग लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर रहे थे। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई भी चुनाव के दौरान भारत में फेक न्यूज फैला रहा था। ऐसे करीब 687 इंस्टाग्राम पेज को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने हटाया था, जिनमें से कई आईटीसेल के जरिए ऑपरेट हो रहे थे। यही नहीं इस दौरान इंस्टाग्राम ने सिल्वर टच (Silver Touch) नाम की कंपनी द्वारा ऑपरेट किए जा रहे कई पेज भी बंद कर दिए थे। यह कंपनी भारतीय जनता पार्टी को सपोर्ट करने वाले कई सोशल मीडिया पेज को भी ऑपरेट करती थी।

2021 में फिर वही कहानी, 2022 में चुनाव हैं ना…

अभी हाल ही में फॉलोवर्स कम होने का मामला उठा तो इंडिया टुडे ने इस मामले में ट्विटर से बात की। ट्विटर ने कहा कि ये सब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म क्लीनअप एक्सरसाइज के तहत किया जा रहा है। इसमें बोट्स अकाउंट या फेक अकाउंट की सफाई की जाती है। वो अक्सर ये एक्सरसाइज करते रहते हैं।

बोट्स अकाउंट क्या है और ट्वीटर इसकी पहचान कैसे करता है?

बोट्स अकाउंट वो ऑटोमेटेड अकाउंट होते हैं, जिन्हें रोबोट चलाते हैं। इसके अलावा कई लोग भी जानबूझकर अपने फेक अकाउंट बनाते हैं। क्लीनअप एक्सरसाइज में दोनों ही तरह के अकाउंट्स को रिमूव कर दिया जाता है। ट्विटर को ऐसा लगता है कि चुनाव के वक्त इन अकाउंट्स से फेक न्यूज या प्रोपेगंडा फैलाए जाते हैं।

फेक आकउंट्स को पकड़ने के तरीका में आया बदलाव

नेचर डॉट कॉम की रिपोर्ट कहती है कि इन दिनों बोट्स अकाउंट की पहचान में काफी मुश्किल हो आती है, क्योंकि पहले रोबोट और इंसान की लैंग्वेज आसानी से पकड़ में आ जाती थी। इसके अलावा रोबोट वाले अकाउंट 24 घंटे और सातों दिन एक्टिव रहते थे, जिससे उन्हें पकड़ना आसान था। लेकिन, अब रोबोटिक अकाउंट भी ऐसा बर्ताव करने लगे हैं जैसे वो असली इंसान हों। इसलिए ऐसे आकउंट्स को पकड़ने के लिए साइकोलॉजिस्ट हायर कर रही हैं।

एक मामला पराग अग्रवाल के ट्विटर सीईओ बनने का भी है

भारत के पराग अग्रवाल के ट्विटर सीईओ बनने के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की बातें चल रही हैं। कई लोगों ने उनके पहले के ट्वीट के आधार पर उन्हें नस्लभेदी बताया है। वहीं, भारतीय लोगों ने पराग के सीईओ चुने जाने पर बधाई दी है। कुछ लोगों का कहना है कि पराग अग्रवाल की नियुक्ति के बाद ट्विटर को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम उठाए जा रहे हैं।

इस मामले में सोशल मीडिया एक्सपर्ट की ये है राय

इस मामले में हमने साइबर एक्सपर्ट राज शेखर से बात की है. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले बोट्स अकाउंट्स बनाने और उसे बेचने का करोड़ों का बाजार है. इस तरह के अकाउंट को बनाकर हजारों फॉलोवर्स जुटाने के बाद लाखों रूपए में इन पेज को बेच दिया जाता है. बाद में इन पेज के जरिए ही किसी पार्टी के पक्ष में प्रोपगेंडा फैलाया जाता है. उन्होंने कहा कि इससे पहले जून में भी ट्विटर ने इसी तरह से बोट्स अकाउंट्स हटाए थे.

ट्विटर ही नहीं कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने लिया है एक्शन

ट्विटर की तरह ही चुनावी साल 2019 में इंस्टाग्राम ने भी 10 मिलियन से अधिक फेक और ऐसे अकाउंट को डिलीट कर दिया था। सिर्फ ट्विटर-इंस्टाग्राम ही नहीं दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी समय-समय पर इस तरह के कदम उठाते रहे हैं। 2014 में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम ने इसी तरह से 10 करोड़ से अधिक फेक और स्पैम अकाउंट को डिलीट कर दिया था। वहीं, मई 2018 में फेसबुक ने 58 करोड़ से अधिक ऐसे फेक और स्पैम अकाउंट की पहचान कर उसे अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया था।

जानें किस देश में है सबसे अधिक फेक इंस्टाग्राम अकाउंट

  

स्वीडिश इ-कॉमर्स कंपनी हाइपऑडिटर द्वारा 2019 में इंस्टाग्राम पर फेक अकाउंट को लेकर एक रिसर्च किया गया था। इस रिसर्च में सामने आया कि दुनिया भर के 82 देशों में करीब 1.84 मिलियन इंस्टाग्राम अकाउंट फेक या स्पैम हैं। इनमें से सर्वाधिक इंस्टाग्राम फेक अकाउंट अमेरिका में करीब 49 मिलियन हैं। दूसरे स्थान पर ब्राजील है, जहां 27 मिलियन फेक अकाउंट हैं। वहीं, तीसरे स्थान पर भारत में करीब 16 मिलियन फेक अकाउंट मिला हैं। इन अकाउंट के द्वारा समय-समय पर प्रोपेगैंडा फैलाया जाता रहा है। यही वजह है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसे अकाउंट की पहचान कर उसे हटाने का काम करता है।

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