जम्मू-कश्मीर: जब अपनों ने छोड़ दिया साथ, तब CRPF ने बचाई ‘तस्लीमा बेगम’ की जान
नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाबलों पर न केवल कुछ राजनैतिक दल बल्कि कश्मीर के अलगाववादी नेता अत्याचार का आरोप लगाते रहे हैं. हालांकि यह बात दीगर है कि जम्मू और कश्मीर की वादियों से कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिससे सीआरपीएफ ने मानवीयता के अभूतपूर्व उदाहरण पेश किए है. वहां आलम तो यह है कि परेशानियों से घिरा कोई शख्स, जब खुद को अकेला महसूस करता है, तब उसे मदद के लिए सिर्फ सीआरपीएफ की ‘मददगार’ हेल्पलाइन से आसरा नजर आता है. बीते दिनों, ऐसे ही एक मामले में सीआरपीएफ ने तस्लीमा बेगम नामक महिला की उस वक्त मदद कर जान बचाई, जब उसके अपनों ने उसका पूरी तरह से साथ छोड़ दिया था.
सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, तस्लीमा बेगम (परिवर्तित नाम) अपने परिवार के साथ श्रीनगर के डाउन टाउन इलाके में रहती है. उसके परिवार में पति मोहम्मद फैजल (परिवर्तित नाम) और दो बच्चे हैं. फैजल मजदूरी कर अपने परिवार का किसी तरह भरण पोषण करते हैं. कुछ महीनों पहले तक, इस परिवार में वैसे तो सब ठीक ठाक चल रहा था, लेकिन बीते दिनों तस्लीमा की खराब होती सेहत ने सब को परेशानी में डाल दिया. इस परिवार ने पहले तो तस्लीमा की बीमारी को सामान्य बीमारी से मानकर अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार इलाज करवाया. तमाम कोशिशों के बावजूद तस्लीमा की सेहत सुधरने की बजाय बिगड़ती चली गई. जिसके बाद, फैजल ने उसे बड़े अस्पताल में दिखाया, तब उसे पता चला कि तस्लीमा को ब्लड कैंसर है.