किनारों से उत्खनन जारी…:अब नदी के बीच में बने 8 किमी लंबे टापू से रेत लाने नर्मदा की धार रोककर बनाए तीन पुल

  • जाजना, मट्ठागांव और नेहलाई में बनाए इन तीनों पुलों को प्रशासन ने तोड़ा, अब सीमांकन का काम होगा

रेत का अवैध कारोबार तो सालभर चलता रहता है लेकिन नदी के बीच बने एक टापू की रेत लाने के लिए यहां पर तीन अस्थाई पुल बना दिए गए। मनमाने तरीके से बनाए इन पुलों से रेत लाई जा रही थी। जाजना, मट्ठागांव और नेहलाई में बनाए इन तीनों पुलों को शुक्रवार के दिन प्रशासन ने जेसीबी मशीन से तोड़ दिया। हालांकि संबंधित खदानों के ठेकेदार का कहना था कि यह टापू उनकी खदान का हिस्सा है। कलेक्टर ने कहा कि एक सप्ताह के अंदर माइनिंग और राजस्व विभाग के टीम की मौजूदगी में सीमांकन कराया जाए और सभी खदानों के चारों तरफ पिलर लगा दिए जाएं जिससे पता रहे कि किस खदान की सीमा कहां तक है। नदी के अंदर एक टापू है जो करीब 8 किमी लंबाई में फैला है। इस रेत को लाने के लिए नदी के पानी में होकर कैसे वहां तक पहुंचा जाए। इसके लिए खदान संचालक ने यहां पर अस्थाई पुल बना डाले। इन पुलों के माध्यम से टापू पर पहुंचकर रेत लाने का प्लान बनाया गया था। इस तरह से रेत लाई भी जा रही थी।

एक सप्ताह में कराना होगा सीमांकन
कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि माइनिंग और राजस्व विभाग के अमले की मौजूदगी में इन सभी खदानों का एक सप्ताह के अंदर सीमांकन कराया जाए। उन्होंने कहा कि माइनिंग प्लान के अनुसार जहां तक खदानों का क्षेत्र है, वहां तक पिलर लगा दिए जाएं। इससे खदान की सीमा का पता रहेगा कि यह कहां तक है। यह इसलिए कहा गया क्योंकि इन सड़कों को बनाने के पीछे का कारण यह सामने आया कि इन खदानों का क्षेत्र 8 किमी दूर बने टापू तक बताया जा रहा है।

सबसे बड़े सवाल
{नर्मदा नदी में जब इस तरह के अस्थायी पुल तैयार कराए जाते हैं तो उन्हें बनने क्यों दिया जाता है। ऐसा तो है नहीं कि ये तीनों पुल भी किसी जिम्मेदार को नहीं दिखाई दिए होंगे लेकिन यहां पर तो लापरवाही दिखाई देती है।
{नदी से रेत खुलेआम निकाली जाती है। यदि ऐसा होता है तो वह गलत है। कई जगह तो मशीनों से रेत निकाली जाती है। फिर भी सख्त कार्रवाई नहीं हो पाती है।
{नाव से भी बीच नदी से रेत लाई जाती है। इसमें हर नाव में कुछ मजदूर रहते हैं और बीच नर्मदा के वहां पर मजदूर पानी में रेत निकालते हैं।

पहले भी खदान की सीमा से आगे हो चुकी है खुदाई
कई साल पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आए थे। उस समय भी इन रेत खदानों का जो स्वीकृत एरिया है उससे आगे के एरिया को भी अपना बताते हैं और फिर यहां पर रेत का अवैध उत्खनन का काम शुरू हो जाता है। इस संबंध में जिला माइनिंग अधिकारी राजेंद्र परमार ने बताया कि नर्मदा की तीन रेत खदानों जाजना, मट्ठागांव और नेहलाई में तीन अस्थायी पुल बना दिए गए थे। यह रास्ते नदी के बीच बने 8 किमी लंबे टापू तक के लिए थे। रेत ठेकेदार का कहना है कि यह टापू उनकी स्वीकृत खदान का ही एक हिस्सा है। इस मामले में आज से सीमांकन का काम शुरू होगा। इसके बाद खदान की सीमा तय होगी और ठेकेदार खदान के चारों तरफ पिलर लगाएगा।

सुबह से शाम तक लगी रहीं जेसीबी तब टूटे तीनों अस्थाई पुल
रेहटी के नेहलाई घाट पर यही स्थिति थी। इस घाट पर कुछ पाइप नीचे डाले गए जहां से पानी की निकल सके। इन पाइप के ऊपर मिट्टी डाल दी गई। इस तरह से यहां से टापू तक पुल बना दिया गया। गुरुवार को जब प्रशासन का अमला यहां पर पहुंचा तो इस पुल को तोड़ने का काम शुरू किया गया लेकिन कुछ हिस्सा ही इसका हटाया गया था। बाकी को छोड़ दिया गया था। शुक्रवार को कलेक्टर सीएम ठाकुर, एसपी मयंक अवस्थी, एसडीएम शैलेंद्र हनोतिया, जिला माईनिंग अधिकारी राजेंद्र परमार अमले के साथ मौके पर पहुंचे और उन्होंने इन बनाए गए अस्थायी पुलों को तोड़ने का काम शुरू कर दिया। यहां पर जेसीबी मशीनें लगाई गईं जिन्होंने इस निर्माण को हटाया। यह काम सुबह से शाम तक चला। तब जाकर मट्ठागांव और जाजना का

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