अस्पतालों को हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर के रूप में तब्दील:10226 नए अस्पताल बना दिए, दवा बांटने फार्मासिस्ट ही नहीं

  • स्वास्थ्य कर्मी ने राजगढ़ में एक मरीज को दे दी थी गलत दवा

स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए राज्य सरकार ने इसी साल ब्लॉक लेवल पर अस्पतालों को 10226 हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर के रूप में तब्दील किया है। तय प्रावधानों के मुताबिक इन अस्पतालों में दवा बांटने के लिए फार्मासिस्ट ही नहीं हैं।

हालत यह है कि इस लेवल के अस्पतालों में 2 घटनाएं ऐसी हो चुकी हैं, जिनमें अस्पताल के कर्मचारियों ने मरीजों को गलत दवा दे डाली। राजगढ़ के एक अस्पताल में एक कर्मचारी ने मरीज को ओआरएस की जगह बीटाडीन दे दिया था। मरीज ने कर्मचारी से यह सवाल किया था कि इसे खाना है या लगाना है। कर्मचारी इसका जवाब तक नहीं दे पाया था।

ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम एवं सीएचओ पद पर कार्यरत कर्मचारियों को दवा वितरण का जिम्मा सौंपा गया है। एक्सपर्ट कहते हैं शैक्षणिक योग्यता के लिहाज से यह कर्मचारी दवा नहीं बांट सकते बल्कि चिकित्सीय सेवा जैसे इंजेक्शन लगाना, चोट की ड्रेसिंग करना, गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी करना जैसे काम ही कर सकते हैं।

प्रावधान के अनुसार दवा वितरण करने वाले कर्मचारियों को बी फार्मेसी का कोर्स करना जरूरी होता है। फार्मा एक्सपर्ट एवं स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजन नायर कहते हैं बी फार्मेसी के कोर्स में यह शामिल होता है कि किस बीमारी में कौन सी दवाई कितने अंतराल में किस तरह से लिया जाना चाहिए।

इसका अध्ययन एक फार्मेसिस्ट 40 विषयों के साथ 4 वर्ष में अपनी पढ़ाई के दौरान सीखता है। दवाएं वितरित करते समय यह भी देखा जाता है की मरीज कोई अन्य बीमारी से ग्रसित है अथवा है नहीं। उसकी बायोलोजिकल वैल्यू जैसे ब्लड शुगर, बीपी आदि के अनुसार दवाओं का निर्धारण एवं दवाओं के डोज का निर्धारण किया जाता है।

उदाहरण के तौर पर क्लोरेमफेनिकोल एक एंटीबायोटिक है जो सामान्य महिलाओं को दी जा सकती है, परंतु यदि महिला गर्भवती है तो एंटीबायोटिक को नहीं दिया जाता, क्योंकि इससे ग्रे बेबी सिंड्रोम होने की आशंका प्रबल होती है। इसी प्रकार प्रत्येक एंटीबायोटिक की अपनी अलग प्रोफाइल होती है।

अस्पतालों में दी जाने वाली 47 दवाएं गंभीर किस्म की

ई.डी.एल (अत्यावश्यक दवा सूची) की संख्या के अनुसार फार्मेसी एक्ट 1948 एवं ड्रग एन्ड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 रूल्स 45 का पालन कराने के लिए उपस्वास्थ्य केंद्रों पर 10226 फार्मासिस्टों का होना जरूरी है। इसकी वजह यह है कि दवाओं की संख्या 97 है जिनमे 47 दवाएं गंभीर किस्म की है जो शेड्यूल एच, आर, जे के अंतर्गत आती है। फार्मेसी एक्ट 1948 की धारा 42 एवं ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धारा के अनुसार बिना प्रिस्क्रिप्शन के और बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के यह दावा वितरित नही की जा सकती ।

इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर सजा भी तय

इन प्रावधानों का उल्लंघन किए जाने पर 6 माह से लेकर 1 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। प्रदेश भर में लगभग दस हजार उप स्वास्थ्य केंद्रों पर इन नियमों का उल्लघंन हो रहा है।

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