इंदौर में चोरों का शगुन या चुनौती?:औसत 11 गाड़ी रोज चोरी, मुख्य टारगेट ‌‌BRTS से जुड़े 6 थाना क्षेत्र, ज्यादातर में कंजरों का हाथ, फिर भी पकड़ से दूर

शहर में पुलिस कमिश्नरी की प्रमुख चुनौतियों में एक है वाहन चोरी। हर दिन शहर में औसत 11 वाहन चोरी हो रहे हैं। आधे से ज्यादा चोरियां कंजर कर रहे हैं, फिर भी पुलिस रोकने में नाकाम है। शहर में सबसे ज्यादा वाहन चोरी लसूड़िया, विजय नगर, बाणगंगा, संयोगितागंज, भंवरकुआं और राजेंद्र नगर थाना क्षेत्रों में हो रही है। चोरी का यह ट्रैक बीआरटीएस और रिंग रोड से सीधा जुड़ा है।

पुलिस भी मानती है कि सबसे ज्यादा चोरियां करने वाले देवास के कंजर हैं। रोजाना 4-5 बाइक चुराकर ले जा रहे हैं। फिर उसे इंदौर या देवास क्षेत्र के कबाड़ियों को बेच देते हैं। शहर व आसपास के कई कबाड़ी आधे घंटे में बाइक खोलकर उसकी पहचान ही मिटा देते हैं, इसलिए पार्ट्स देखकर वाहन पहचान पाना संभव नहीं है।

इसलिए एक कदम आगे वाहन चोर, पुलिस के पहुंचने से पहले बदल रहे लोकेशन

शहर के पूर्वी हिस्से में स्थित पार्किंग, मॉल्स और बड़ी बिल्डिंगों के सामने से रोजाना वाहन चोरी हो रहे हैं। सबसे ज्यादा टारगेट बाइक हैं, क्योंकि झटका मारकर उनका हैंडल तोड़ना आसान होता है। बदमाश उन्हें चलाकर मेन रोड से ले जाते हैं, लेकिन कहीं पकड़ाते नहीं, क्योंकि उन्हें पता है पुलिस का पॉइंट कहां लगा है।

तत्कालीन एसपी आशुतोष बागरी ने कंजर गैंग को रोकने के लिए लसूड़िया, विजयनगर, खजराना में प्लानिंग की। यहां चोरी के स्पॉट्स पर बल तैनात किया तो बदमाशों ने एमआईजी में चोरियां शुरू कर दीं। जब एमआईजी में रोका तो चोरियां तिलक नगर में बढ़ गईं। एक बार एमआईजी पुलिस का गैंग से आमना-सामना भी हुआ, लेकिन बदमाश भाग गए, क्योंकि पुलिस का प्रभात गश्त सिस्टम भी फेल था।

चोरी का ट्रैक- बायपास या रिंग रोड से आकर चोरियां

सबसे ज्यादा चोरियां करने वाले क्षेत्र वे हैं, जो बीआरटीएस से सीधे जुड़े हैं। यानी बदमाश बायपास या रिंग रोड से आकर चोरियां कर रहे हैं। फिर वापस उन्हीं रूट से निकल जाते हैं। रिंग रोड और बायपास ऐसे दो मार्ग हैं, जो काफी लंबे फैले हैं और वहां चेकिंग पॉइंट भी नहीं लगते हैं। शहर की लोकल गैंग जैसे बाणगंगा, खजराना, चंदननगर, आजाद नगर, हीरानगर सहित कई इलाकों के बदमाश भी सक्रिय हैं। वहीं टांडा इलाके की गैंग भी कई बार घरों में चोरियां नहीं कर पाती है तो वो बाइक ही चुरा ले जाती है।

चोरी गए वाहनों का रिकवरी रेट 10% से भी कम,
उधर, चोरों को सजा कम, जमानत भी तुरंत मिल जाती है

चोरी गए वाहनों के मुकाबले रिकवरी रेट कम है। औसत चोरी गए वाहनों के मुकाबले 10 प्रतिशत भी वाहन जब्त नहीं हो पाए हैं। वाहन चोरी की धाराओं में सजा का प्रावधान 7 साल से कम का है, इसलिए न्यायालय की गाइडलाइन के आधार पर चोरों को जमानत भी जल्दी मिल जाती है।

पुलिस ने कई सीसीटीवी कैमरे खंगाले तो पाया कि लोग भी लापरवाही करते हैं। कई तो लॉक ही नहीं लगाते हैं। पुलिस का कहना है भले ही पांच मिनट ज्यादा लगें, लेकिन गाड़ी में व्हील लॉक लगा दें तो चोरी की आशंका कम हो जाएगी।

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