ग्वालियर…. स्मार्ट सिटी के अधूरे प्रोजेक्ट, धीमी रफ्तार ….1428 करोड़ और 61 प्रोजेक्ट, 5 साल बीतने के बाद भी सिर्फ 22 प्रोजेक्ट ही पूरे

  • शुरुआत में 71 प्रोजेक्ट थे बाद में संख्या घटकर रह गई 61….

करीब पांच साल पहले ग्वालियर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 2250 करोड़ रुपए से 71 प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने का लक्ष्य लिया था। पांच साल बीत गए पर काम पूरा नहीं हुआ तो दो साल की अवधि बढ़ा दी गई। लेकिन काम की धीमी रफ्तार के चलते अभी तक सिर्फ 22 प्रोजेक्ट ही पूरे हो सके हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इसी रफ्तार से प्रोजेक्ट पूरे हुए तो सभी प्रोजेक्ट को पूरा होने में 5 साल और लगेंगे, जबकि अब इनकी संख्या 71 से कम कर 61 कर दी गई है। इन पर स्मार्ट सिटी फंड से 1000 करोड़ खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा 428 करोड़ के काम पब्लिक प्राइवेट पार्टरनशिप (पीपीपी) से होंगे।

इस तरह स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अब 1428 करोड़ के ही काम से शहर को स्मार्ट बनाया जा रहा है। ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन के आंकड़े बताते हैं कि करीब पांच साल का वक्त गुजर जाने पर 22 प्रोजेक्ट पर काम हुआ है। इन सभी पर 149 करोड़ रुपए खर्च किए गए है। अन्य कार्य और वेतन भुगतान आदि को मिला लिया जाए, तो 192 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। बढ़ी हुई समयावधि को जोड़कर अब कॉर्पोरेशन के पास करीब दो साल बचे हैं। ऐसे में इस अवधि में प्रोजेक्ट अगर पूरे करने हैं तो काम की रफ्तार को दोगुना से अधिक करना पड़ेगा।

जनवरी में तीन प्रोजेक्ट पूरे होंगे और दो किमी की स्मार्ट रोड पर दौड़ेंगे वाहन
स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के 4 प्रोजेक्ट का लाभ नए साल में शहरवासियों को मिलने लगेगा। कॉर्पोरेशन 31 जनवरी तक अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल मॉडल स्मार्ट स्कूल तथा संग्रहालय, 18 ऐतिहासिक इमारतों पर फसाड लाइट और महाराज बाड़ा पर 33 केवी का सब स्टेशन गैस इंसुलेशन (जीआईएस) आधारित तैयार कर देगा। इन तीनों प्रोजेक्ट पर 38 करोड़ खर्च हो रहे हैं। साथ ही 15.62 किलोमीटर की स्मार्ट रोड में से दो किलोमीटर हिस्से की सड़क को बना देगा। ये काम थीम रोड पर पूरा किया जाएगा।

ये काम पूरे करने का दावा :

  • मोतीमहल में इंट्रीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर{पब्लिक बाइक शेयरिंग
  • डेवलपमेंट आफ स्मार्ट क्लास रूम
  • नेहरू पार्क, शिवाजी पार्क और लेडीज पार्क
  • छतों पर सोलर पैनल
  • वन सिटी वन एप
  • महाराज बाड़ा पर टूरिस्ट इंफोरमेशन सेंटर
  • हेरिटेज इमारतों के मुखड़े पर साफ-सफाई (फसाड)
  • इंक्यूवेशन सेंटर मोतीमहल {रीजनल आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर
  • आरएसीडीसी का ओएंडएम
  • कटोराताल सिविल वर्क
  • इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेट सिस्टम
  • फूलबाग चौपाटी
  • टाउन हॉल
  • डिजिटल म्यूजियम एवं प्लेनेटोरियम (अभी प्लेनेटोरियम खुला नहीं है)

मॉडल स्मार्ट स्कूल तथा संग्रहालय: गोरखी स्कूल को पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के संग्रहालय के तौर पर तैयार किया जा रहा है। यहां नई इमारत में 15 कक्ष बनाए गए हैं। टाइल्स का काम रह गया है। पुरानी गिरी इमारत को फिर से उसी वैभव में लाने पर काम चल रहा है। नई इमारत का काम पूरा हो चुका है। इस पर 9 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं।

स्मार्ट रोड, पेडस्ट्रीयल जोनस्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन का दावा है कि 31 जनवरी तक थीम रोड के हिस्से वाली दो किमी रोड बना दी जाएगी। बाड़ा पर मल्टी लेवल पार्किंग का काम शुरू हो गया है। यह पूरा प्रोजेक्ट 300 करोड़ का है।

जीआईएस सब स्टेशन: बाड़ा पर बिजली का सब स्टेशन था। उसको शिफ्ट कर महारानी स्कूल में 33 केवी का गैस इन्सुलेशन स्विचबोर्ड आधारित सब स्टेशन बनाया जा रहा है। इस पर 16.01 करोड़ रुपए खर्च जीएसटी सहित खर्च होंगे। 80% पूरा हो चुका है। जीआईएस पैनल आने का काम रह गया है।

फसाड लाइट: शहर की 18 इमारतों पर 13 करोड़ से फसाड लाइट का काम 17 स्थान पर पूरा हो चुका है।

31 जनवरी तक तीन प्रोजेक्ट पूरे होंगे
नए साल के पहले महीने की अंतिम तारीख को दो किलोमीटर तक की स्मार्ट रोड बन जाएगी। इसके साथ ही अटल स्कूल एवं संग्रहालय, फसाड लाइट और जीआईएस सब स्टेशन बनकर तैयार हो जाएगा। इसके अलावा आईएसबीटी और हुजरात मंडी का जीर्णोद्धार का काम शुरू करेंगे। – जयति सिंह, सीईओ स्मार्ट सिटी

बायो डायवर्सिटी पार्क और स्वर्ण रेखा रिवर फ्रंट अभी तक कागजों में ही
अभी तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट 15.62 किमी की स्मार्ट रोड और गोरखी में अंडर ग्राउंड पार्किंग के काम की रफ्तार तेज नहीं हुई। महाराज बाड़ा पर पैदल जोन बनाने का काम शुरू ही नहीं हुआ है। इस प्रोजेक्ट के 18 महीने में से नौ महीने गुजरने को हैं। इस पर 299 करोड़ की राशि खर्च होगी। अंतरराज्यीय बस टर्मिनल का टेंडर हो गया है। लेकिन काम शुरू नहीं हुआ है। स्वर्ण रेखा का रिवर फ्रंट, बायो डायवर्सिटी पार्क, स्मार्ट स्कूल, शहर के चार मुख्य द्वार जैसे बड़े प्रोजेक्ट कागजों में ही हैं। वक्त पर काम नहीं होने से शासन ने बतौर उधारी 50-50 करोड़ कॉर्पोरेशन से लिए हैं।

कितनी राशि के काम हुए और कितने के पूरे होना हैं
कितनी राशि के काम हुए और कितने के पूरे होना हैं

170 करोड़ के काम डीपीआर, टेंडर आदि प्रक्रिया में फंसे हैं। इनमें स्वर्ण रेखा रिवर फ्रंट, बायो डायवर्सिटी पार्क, आईएसबीटी, स्मार्ट स्कूल आदि शामिल हैं।

सभी कार्यों का लगातार कर रहे हैं रिव्यू

  • स्मार्ट सिटी के जो कार्य समय पर पूरे नहीं हो सके हैं। उनका हम लगातार रिव्यू कर रहे हैं, इसके साथ नए कार्यों को लेकर भी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि उनको भी समय पर पूरा करें। – कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर एवं चेयरमैन स्मार्ट सिटी

एक्सपर्ट विनोद शर्मा, पूर्व निगमायुक्त
जुर्माने की सख्त हो कार्रवाई

प्रदेश के दूसरे शहरों में स्मार्ट सिटी के बड़े काम जनता को दिख रहे हैं। यहां ऐसा नहीं हो पा रहा है। कलेक्टर, आयुक्त नगर निगम और सीईओ स्मार्ट सिटी को प्राथमिकता तय करना होगी। स्मार्ट रोड का काम एक तरफ से चालू किया गया, जबकि सभी जगह काम शुरू कर देना चाहिए था। स्वर्ण रेखा रिवर फ्रंट, आईएसबीटी जैसे बड़े काम शुरू ही नहीं हो पाए हैं। यही रफ्तार रही तो पांच साल और लगेंगे। कंपनियों पर लेट कार्य का नियमानुसार जुर्माना लगना चाहिए।

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