ग्वालियर…. जांच में लापरवाही का असर …. दिसंबर में लूट, डकैती जैसे गंभीर अपराध के 18 मामलों में सभी आरोपी बरी
लूट, डकैती जैसे गंभीर अपराध में भी आरोपी बरी हो रहे हैं। विशेष न्यायालय (मप्र डकैती एवं व्यपरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम, 1981 ) के दिसंबर माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो लूट, डकैती के कुल 18 मामलों में फैसला आया। चिंताजनक बात ये है कि एक भी प्रकरण में आरोपियों को सजा नहीं हुई। कारण, किसी प्रकरण में गवाह मुकर गए तो किसी मामले में अभियोजन की कहानी को न्यायालय ने संदेहास्पद माना। इन प्रकरणों की जानकारी अपर लोक अभियोजक सचिन अग्रवाल ने ग्वालियर कलेक्टर को दे दी है।
जानिए… किन कारणों से नहीं होती सजा
- विवेचना में प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता। उदाहरण के लिए कहीं जब्ती पर सील नहीं होती तो कहीं गाड़ी (जिससे कार्रवाई करने के लिए गए थे) के नंबर का उल्लेख नहीं किया जाता।
- पुलिस के स्वतंत्र गवाह के साथ ही अभियोजन साक्ष्य भी कथन से मुकर जाते हैं। पुलिस घटनास्थल के वीडियो फुटेज नहीं बनाती।
- शिनाख्त परेड में लापरवाही बरती जाती है। उदाहरण के लिए किसी केस में यदि तीन आरोपी हैं, तो दो की शिनाख्त परेड कराई जाती है, लेकिन एक आरोपी की शिनाख्त परेड ही नहीं कराई जाती।
-जैसा अपर लोक अभियोजक सचिन अग्रवाल ने भास्कर को बताया
इन मामलों में पुलिस ने जांच में दिखाई लापरवाही
केस-1 पेट्रोल पंप लूटने के सभी आरोपी हुए बरी
बहोड़ापुर पुलिस ने अप्रैल 2015 को कार्रवाई करते हुए सात लोगों को पकड़ा। इनके खिलाफ आरोप लगाया गया कि ये ट्रांसपोर्ट नगर स्थित सचेती पेट्रोल पंप को लूटने की योजना बना रहे थे। मामले में पुलिस के स्वतंत्र गवाह इरशाद खां और शब्बीर खां के कथन को न्यायालय में संदेहास्पद माना। अभियोजन ये साबित करने में असफल रहा कि आरोपी लूट की योजना बनाने के उद्देश्य से एकत्रित हुए थे।
केस-2 भाजपा नेता के घर डकैती की योजना बनाने का था आरोप
भारतीय जनता पार्टी के नेता महेंद्र सिंह यादव के घर पर डकैती की योजना बनाने के मामले में मुरार पुलिस ने कुल पांच लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। घटना 8 जून 2015 की है। इस मामले के दो आरोपियों की तो फैसला आने से पहले मौत हो गई, जबकि एक आरोपी अभी भी फरार है। जो आरोपियों को न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।