कभी भय्यू महाराज का करीबी था कालीचरण:महाराष्ट्र आश्रम की जिम्मेदारी संभालता था, वैचारिक मतभेद होने पर खुद को अलग कर लिया था
महात्मा गांधी को अपशब्द कहने पर विवादों में आए कालीचरण महाराज का इंदौर के भय्यू महाराज से गहरा नाता रहा है। धर्म संसद से जुड़े लोगों की मानें तो कालीचरण महाराज को भय्यू महाराज ने ही शुरू में कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी थी। कुछ साल के बाद वैचारिक तालमेल अलग होने से कालीचरण महाराज ने जनता के बीच खुद की अलग पहचान बनाई। इस दौरान उसका इंदौर आना-जाना रहा। फिर 2018 में भय्यू महाराज की मौत के दौरान व इसके बाद भी उसका इंदौर आना-जाना लगा रहा। इंदौर में वह दो स्थानों (आश्रम व मंदिर) में लगातार आता रहा और कुछ समय ठहरता भी था।
भय्यू महाराज के नजदीकी लोगों के मुताबिक महाराज का अकसर महाराष्ट्र के आश्रमों में जाना होता था। उस दौरान कालीचरण उनके कार्यक्रमों में शामिल होता था। 2002 में एक बार अकोला में भय्यू महाराज का कार्यक्रम चल रहा था। उस दौरान कालीचरण महाराज सामने अनुयायियों के साथ बैठा था। इस दौरान भय्यू महाराज ने उसे पास बुलाया और अपने गले में पहनी सोने की रुद्राक्ष की माला उसे भेंट की थी। इसके बाद से कालीचरण महाराज की भय्यू महाराज से नजदीकी बढ़ती गई।
खुद का वर्चस्व बनाना शुरू किया
2003 में दत्त जयंती के दौरान भय्यू महाराज के इंदौर स्थित सूर्योदय आश्रम के सामने आयोजित कार्यक्रम में भय्यू महाराज के आग्रह पर कालीचरण महाराज ने ‘शिव तांडव’ स्त्रोत का पाठ किया था। इसके बाद भय्यू महाराज ने कुछ समय के लिए उसे अपने खामगांव (महाराष्ट्र) स्थित आश्रम के काली माता मंदिर की जिम्मेदारी सौंपी। फिर वह भय्यू महाराज के इंदौर, अकोला व महाराष्ट्र के अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने लगा तो उसकी अलग पहचान बनने लगी। 2006-07 के बाद दोनों में धर्म भावनाएं अलग होने से कालीचरण महाराज ने अपना वर्चस्व बनाना शुरू किया। बताया जाता है कि भय्यू महाराज सभी धर्मों को लेकर चलते थे लेकिन कालीचरण महाराज की आस्था हिंदुत्व की ओर होने से दोनों में दूरियां हो गई। हालांकि, 2018 में भय्यू महाराज की मौत के दौरान कालीचरण महाराज तीन दिन इंदौर में ही था।
दीपावली पर काटजू कॉलोनी के मंदिर निवास पर ठहरा था
कालीचरण महाराज का इंदौर में वृंदावन कॉलोनी, बाणगंगा स्थित एक आश्रम आना-जाना था। आश्रम में वह आखिकारी बार लॉकडॉउन के पहले आया था। इसी तरह काटजू कॉलोनी स्थित एक मंदिर परिसर स्थित निवास पर भी उसका आना-जाना था। इंदौर में उसके कई अनुयायी हैं। वह आखिर बार दीपावली पर काटजू कॉलोनी स्थित मंदिर निवास पर तीन दिन ठहरा था। इसके बाद वह यहां से तमिलनाडु, पुणे सहित महाराष्ट्र के अन्य जिलों में गया। फिर इंदौर में उसका आना नहीं हुआ।