शादी की बढ़ेगी उम्र, कॉलेज स्टूडेंट को भी मिलेगी मैटरनिटी लीव, मैरिटल रेप पर कानून का इंतजार

साल 2021 जाते-जाते महिलाओं को खुशियों की कई सौगात दे गया है। महिलाओं के काम और नाम को देश और दुनिया ने सराहा। वहीं, बीते साल देश की कई अदालतों ने ऐसे फैसले लिए जो महिलाओं को आजादी और बराबरी का हक दिलाने में मील का पत्थर साबित हुए।

नए साल की शुरुआत करते हुए पढ़िए 2022 में अदालतों और सरकार के किन फैसलों और नीतियों पर रहेगी महिलाओं की नजर। 2022 कैसे ला सकता है महिलाओं के जीवन में बदलाव और इस साल से क्या उम्मीद रखती हैं भारत की आम औरत?

1 – लड़कियों की शादी करने की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़कर हो सकती है 21 साल
केंद्र सरकार ने लड़कियों के विवाह करने की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए 2021 में लोकसभा में संशोधन बिल पेश किया। बाल विवाह प्रतिषेध (संशोधन) बिल, 2021 पेश करते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि सरकार इस बिल के माध्यम से देश में लैंगिक समानता के साथ महिला सशक्तिकरण पर काम करना चाहती है। लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ेगी तो उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने का समय मिलेगा। इसी के साथ वह खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से विवाह के लिए तैयार कर सकेंगी।
महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार हिंदू मैरिज ऐक्ट-1955 के सेक्शन 5(iii), स्पेशल मैरिज ऐक्ट- 1954 और द प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरिज एक्ट- 2006 में बदलाव करेगी। इन एक्ट के मुताबिक, लड़की की शादी की उम्र 18 से 21 साल के बीच होनी चाहिए, इससे कम उम्र में शादी करना चाइल्ड मैरिज कहलाएगा। 2022 में अगर यह बिल संसद में पास होता है तो, यह कानून पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। यह महिलाओं के जीवन में बड़ा बद

2 – मैरिटल रेप पर बने कानून, बंद दरवाजे के पीछे अपराध पर लगे रोक
33% भारतीय पुरुष मानते हैं कि वह पत्नी के साथ जबरन सेक्स करते हैं, लेकिन भारत में इसे अपराध नहीं माना जाता। जबकि दुनिया के 151 देशों में इसे लेकर कानूनी कार्रवाही होती है। अब भारत में महिलाएं मैरिटल रेप को लेकर कानून बनाने की मांग कर रही हैं। 2021 में जब देश की विभिन्न अदालतों में मैरिटल रेप के मामले पहुंचे तो उन कोर्ट के जजों ने अलग-अलग फैसले सुनाएं।

केरल हाईकोर्ट ने 6 अगस्त को एक फैसले में कहा कि मैरिटल रेप क्रूरता है और यह तलाक का आधार हो सकता है। वहीं 12 अगस्त को मुंबई सिटी एडिशनल सेशन कोर्ट ने कहा कि पत्नी की इच्छा के बिना यौन संबंध बनाना गैरकानूनी नहीं है। 26 अगस्त को छत्तीसगढ़ कोर्ट ने मैरिटल रेप के मामले में आरोपी को यह कह कर बरी कर दिया गया कि भारत में मैरिटल रेप अपराध नहीं है। इसी से समझा जा सकता है कि मैरिटल रेप को लेकर कानून की कितनी आवश्यकता है।

यूजीसी ने कॉलेजों को लिखा लेटर छात्राओं को मैटरनिटी लीव देने के लिए जल्द लागू करें नियम।
यूजीसी ने कॉलेजों को लिखा लेटर छात्राओं को मैटरनिटी लीव देने के लिए जल्द लागू करें नियम।

3 – कॉलेज की छात्राओं को भी मिलेगी 240 दिन की मैटरनिटी लीव
कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को प्रेग्नेंसी के लिए मिल सकेगी 240 दिन की मैटरनिटी लीव। अभी तक सिर्फ रिसर्च की छात्राओं को ही यह सुविधा मिलती थी, लेकिन 2022 से देश के सभी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट छात्राओं को भी मैटरनिटी लीव देने की तैयारी चल रही है। दरअसल, भारत में कुछ महिलाएं शादी के बाद भी कॉलेज की पढ़ाई शुरू करती हैं, लेकिन इस बीच अगर उन्हें बेबी प्लानिंग करनी हो, तो पढ़ाई से समझौता करना पड़ता है। महिलाएं प्रेग्नेंसी के समय परीक्षा में शामिल नहीं हो पाती, इस कारण उनकी पढ़ाई बीच में ही रुक जाती है।

महिलाओं की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी) के सेक्रेटरी रजनीश जैन ने सभी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को लेटर लिख जल्द से जल्द अपने संस्थान में नियम तैयार करने को कहा है। ताकि 2022 में इन नियम को लागू किया जा सके।

4 – गे मैरिज को मिल सकेगी मान्यता
दिल्ली हाई कोर्ट में गे मैरिज को मान्यता देने की मांग करते हुए अक्टूबर 2021 में याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का कहना था कि होमोसेक्सुअलिटी आज भले ही क्राइम नहीं है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें शादी करने की इजाजत है। शादी का संबंध सिर्फ एक महिला और पुरुष के बीच ही बन सकता है। इस केस के बाद से देशभर में एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी ने और तेजी से गे मैरिज को लीगल करने की मांग उठाई।

देश की विभिन्न अदालतों में तीन याचिकाएं दायर की गईं। इनमें हिंदू विवाह अधिनियम 1955, विशेष विवाह अधिनियम 1954 और विदेशी विवाह अधिनियम 1969 के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग की गई है। गे मैरिज को मान्यता न देना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी बताया गया है। अगर गे मैरिज को मान्यता मिलती है, तो वह अपनी शादी को रजिस्टर करा सकेंगे और बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। इन सभी याचिकाओं की अभी तक सुनवाई नहीं हुई है, इसलिए एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी को उम्मीद है कि 2022 में उन्हें शायद एक और जीत हासिल हो।

खेल के मैदान में अब यौन शोषण नहीं सहेंगी खिलाड़ी।
खेल के मैदान में अब यौन शोषण नहीं सहेंगी खिलाड़ी।

5 – खेल में यौन शोषण को रोकने के लिए बने प्रावधान
ओलंपिक खेलों से लेकर स्टेडियम के मैदान तक हर जगह महिला खिलाड़ियों के लिए यौन शोषण एक अहम मुद्दा बना रहा है। 2021 में ओलंपिक खेलों के दौरान कई देशों के खिलाड़ियों ने यौन शोषण के विषय पर खुलकर बात की। यहां तक कि देशभर में कई शिकायतें सामने आईं, जिसके बाद से खेल के क्षेत्र में यौन शोषण के मामलों को कम करने के लिए और इनका निपटारा करने के लिए कुछ स्तर पर पहल शुरू की गई।

बीसीसीआई ने सेक्शुअल हरेसमेंट पॉलिसी लॉन्च की, जिसमें क्रिकेट बोर्ड ने चार सदस्यीय इंटरनल कमेटी बनाने की बात कही। इस कमेटी में एक सीनियर महिला अधिकारी को शामिल किया जाएगा। कमेटी में बाकी दो सदस्य ऐसे रखे जाएंगे जो किसी एनजीओ से जुड़े हैं या महिलाओं के विषय पर काम कर रहे हों। इस पहल से कम से कम एक खेल में यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद की है। बाकी महिला खिलाड़ियों को उम्मीद है कि खेल मंत्रालय की तरफ से इसके लिए राष्ट्र स्तर पर जल्द कोई कमेटी तैयार की जाए जहां महिलाएं बिना डरे अपनी बात रख सकें।

अभी तक के आंकड़ों में देखें तो साल 2010 से लेकर 2019 तक खेल मंत्रालय के अधीन आने वाले स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के केंद्रों में कुल 45 यौन शोषण के मामले सामने आए थे। खेल अधिकारियों का यह भी कहना है कि असल मामलों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है क्योंकि वह कभी रिपोर्ट नहीं किए गए।

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