लखनऊ में 30% तक वेतन में कटौती! ….. हमारे यहां काम करने वालों को देश के औसत से भी कम वेतन; पिछले साल के मुकाबले आई कमी

देश में रोजगार के आंकड़ों में उत्तर प्रदेश की स्थिति हरियाणा, राजस्थान, बिहार और झारखंड समेत कई राज्यों से बेहतर है। पेशवरों को वेतन के मामले में यह तस्वीर इतनी चमकदार नहीं है। कंसल्टेंसी फर्म रैंडस्टैड के वार्षिक सर्वे के मुताबिक 2021 में राज्य की राजधानी लखनऊ में पेशवरों की तनख्वाह 22 से 30% तक घट गई।

फर्म ने भारतीय जॉब मार्केट में वार्षिक सैलरी ट्रेंड पर रिपोर्ट जारी की है। इसमें टियर-2 के शहरों में लखनऊ, जयपुर, इंदौर, नागपुर, चंडीगढ़, भुवनेश्वर समेत 10 शहरों का अध्ययन किया गया है। टियर-2 के शहरों में वेतन के मामले में सबसे खराब स्थिति फ्रेशर्स यानी 0-5 वर्ष के अनुभव वालों की है। टियर-2 के शहरों में इनकों मिलने वाले सालाना वेतन का राष्ट्रीय औसत 4.42 लाख रुपए है। लखनऊ में यह राष्ट्रीय औसत से भी कम 4.20 लाख रुपए सालाना है। लखनऊ में फ्रेशर्स का औसत सालाना वेतन 2020 के मुकाबले 25.8% घट गया है।

सीनियर लेवल के पेशवरों की सैलरी सबसे ज्यादा घटी

2021 में लखनऊ में इस लेवल के पेशवरों को औसतन सालाना 21.97 लाख रुपए मिल रहे थे, जो 2020 की तुलना में 29.5% कम है।
2021 में लखनऊ में इस लेवल के पेशवरों को औसतन सालाना 21.97 लाख रुपए मिल रहे थे, जो 2020 की तुलना में 29.5% कम है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2020 से तुलना की जाए तो सबसे ज्यादा उन लोगों का सालाना वेतन घटा है जो सीनियर लेवल (15 वर्ष से अधिक अनुभव) पर काम कर रहे हैं। 2021 में लखनऊ में इस लेवल के पेशवरों को औसतन सालाना 21.97 लाख रुपए मिल रहे थे, जो 2020 की तुलना में 29.5% कम है।

यह राष्ट्रीय औसत (22.89 लाख रुपए सालाना) से भी कम है। इस मामले में टियर-2 के शहरों में सबसे खराब स्थिति जयपुर की है। यहां 2021 में वरिष्ठ पेशवरों का सालाना औसत वेतन 18.22 लाख रुपए था जो 2020 की तुलना में 41.5% कम है।

मिडिल लेवल के पेशेवर सबसे कम नुकसान में
लखनऊ में मिडिल लेवल (6 से 14 वर्ष तक अनुभव वाले) के पेशवरों का सालाना औसत वेतन 10.67 लाख रुपए है। यह 2020 की तुलना में 22.1% कम है। इस लिहाज से फ्रेशर्स या सीनियर लेवल के पेशवरों के मुकाबले मिडिल लेवल के पेशवरों की सैलरी में गिरावट कम रही है। फिर भी लखनऊ में मिडिल लेवल पेशवरों की सैलरी राष्ट्रीय औसत (11.02 लाख रुपए सालाना) से कम ही है।

टियर-2 के मुकाबले टियर-1 के शहरों में सैलरी सुरक्षित
2020 से तुलना की जाए तो टियर-2 के शहरों में हर स्तर पर सैलरी बहुत ज्यादा घट गई है। टियर-1 शहरों में स्थिति अपेक्षाकृत ठीक है। फ्रेशर्स के मामले में टियर-2 शहरों में सालाना औसत वेतन 2020 की तुलना में 22.1% घट गया है, जबकि टियर-1 शहरों में यह अंतर 17.8% का ही है।

मिडिल लेवल के पेशवरों का औसत सालाना वेतन टियर-1 शहरों में 4.5% ही घटा है, जबकि टियर-2 शहरों में यह गिरावट 19.6% की है। इसी तरह वरिष्ठ पेशवरों की सालाना औसत आय टियर-1 शहरों में 8.8% घटी है, जबकि टियर-2 शहरों में यह गिरावट 26.5% की है।

टियर-1 सिटी

लेवल औसत सालाना वेतन गिरावट
फ्रेशर्स 5.52 17.8%
मिड लेवल 17.26 4.5%
सीनियर्स 32.54 8.8%

टियर-2 सिटी

लेवल औसत सालाना वेतन गिरावट
फ्रेशर्स 4.42 22.1%
मिड लेवल 11.02 19.6%
सीनियर्स 22.89 26.5%

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