उज्जेन .. क्षिप्रा को स्वच्छ करने सिर्फ दौरे, योजनाएं और बातें…धरातल पर कुछ नहीं

साधु-संतों के प्रदर्शन के बाद तीन विभागों के प्रमुख सचिव, जलसंसाधन मंत्री सिलावट देख चुके क्षिप्रा की दूदर्शा, अब तक तैयार नहीं कर सके प्लान, आखिर क्षिप्रा को स्वच्छ करने स्थायी योजना कब लेगी आकार

उज्जैन। मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी को स्वच्छ करने को लेकर बीते ३५ सालों से सिर्फ सब्जबाग ही दिखाए जा रहे हैं। पिछले दिनों क्षिप्रा की दयनीय हालत पर साधु-संतों ने प्रदर्शन किया तो अफसरों से लेकर नेताओं तक की नींद खुली और भोपाल तक हलचल मची। नतीजतन भोपाल से तीन विभागों के प्रमुख सचिव स्तरों के अधिकारियों ने दौरा किया तो स्वयं जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने खान-क्षिप्रा नदी संगम स्थल पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। क्षिप्रा को स्वच्छ करने के लिए अलग-अलग योजनाओं को लेकर बातें की गई। क्षिप्रा में खान का प्रदूषित पानी रोकने नहर निकालने, सांवेर में स्टॉप डैम बनाने तो इंदौर में ही सीवरेज रोकने जैसे सुझाव दिए गए है। स्थिति यह है कि इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया जा सका है। सिर्फ बाते, चर्चाएं और योजनाओं पर काम होने के दावे भर किए जा रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि आखिर मोझदायिनी क्षिप्रा को स्वच्छ कब होगी और कैसे होगी।

अब योजना ऐसी बने जो क्षिप्रा को कहीं मैली न करें..यह उपाय ना काफी है
क्षिप्रा जल को स्वच्छ करने को लेकर साधु-संत ही नहीं शहरवासी भी स्थायी समाधान चाहते हैं। इसमें क्षिप्रा नदी को उज्जैन ही नहीं, देवास, व इंदौर से लेकर कालियादेह महल तक स्वच्छ रखा जा सके। दरअसल अफसरों द्वारा जो सुझाव दिए गए हैं उनमें कई विसंगति है
नहर निकालना- खान डायवर्सन प्रोजेक्ट के पास से खान के गंदे पानी को निकालने के लिए नहर बनाने का सुझाव है। यह सुझाव खर्चिला होने के साथ ही कालियादेह महल के बाद फिर से नदी प्रदूषित हो जाएगी। इसके क्रियान्वयन में लंबा समय लग सकता है।
सीवरेज ट्रिटमेंट- खान नदी में इंदौर से ही सीवरेज व फैक्ट्रियों के पानी मिलने से रोकना व इन्हें ट्रीटमेंट कर नदी में डालना। पूर्व में भी इंदौर में यह कवायद की गई थी लेकिन इसका फायदा नहीं मिला। खान नदी और प्रदूषित हो गई है।
स्टॉप डैम बनाना- खान के पानी को रोकने के लिए सांवेर व उज्जैन में स्टॉप डैम बनाए जाने का सुझाव है। जिस तरह खान नदी में पानी बढ़ रहा है तो एक दिन फिर यह स्टॉप डैम के ऊपर से पानी बहकर निकलेगा। बारिश में इन स्टॉपडैम से पानी छोडऩे पर क्षिप्रा मैली हो जाएगी।

स्थायी समाधान : खान के पानी कहीं न मिले, नहर निकालकर खेती में हो उपयोग
खान के पानी से क्षिप्रा मैली न हो इसके लिए गंदे पानी को क्षिप्रा में मिलने ही नहीं दिए जाने की आवश्यकता है। पर्यावरणवीद बता रहे हैं कि इंदौर में अगर सीवरेज को ट्रिटमेंट कर नदी में डाला जा रहा है तो इस पानी का उपयोग खेती में किया जा सकता है। ऐसे में खान नदी के रास्ते अलग-अलग जगह नहर निकाली जा सकती है। जो खेतों की तरफ जाए और पानी का उपयोग हो सके। ऐसे में खान का पानी नदी में मिलेगा ही नहीं और अगर मिलेगा तो बहुत कम मात्रा में। इससे नदी दो तरफा फायदा हो सकेगा। यह एक स्थायी समाधान भी होगा।

इंदौर-देवास में अभी यह जतन…
-इंदौर प्रशासन ने हाल ही में एक समिति गठित की है जो खान नदी किनारे फैक्ट्रियों की जांच कर वहां निकल रहे पानी को रोकने की योजना बना रहे हैं।
– इंदौर में ही प्रशासन ने फैक्ट्री संचालकों के साथ बैठक कर उनसे शपथ भी दिलवाई है कि गंदा पानी खान में नहीं डालेंगे।
– देवास में भी फैक्ट्रियों के पानी को नदी की जगह ट्रिटमेंट करवाने पर काम किया जा रहा है।
– देवास में स्टॉपडैम भी बनाया जा रहा है जहां गंदा पानी को रोका जा सकेगा।

Only tours, plans and talks to clean Kshipra... nothing on the ground

साधु-संतों के प्रदर्शन के बाद तीन विभागों के प्रमुख सचिव, जलसंसाधन मंत्री सिलावट देख चुके क्षिप्रा की दूदर्शा, अब तक तैयार नहीं कर सके प्लान,

क्षिप्रा नदी को स्वच्छ करने को लेकर अफसर व मंत्रियों के दौरे के बाद अब साधु-संत मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से मुलाकात करेंगे। इसके लिए १० जनवरी को साधु-संतों के भोपाल जाने की संभावना है। संतों का कहना है कि वे मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात रखेंगे। सरकार क्या योजना बना रही है, क्या दिक्कतें और संत समाज क्या मदद कर सकता है, जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। संतों का कहना है कि इस बार क्षिप्रा को शुद्ध रखने के लिए स्थायी समाधान निकाला जाएगा।

इनका कहना
क्षिप्रा नदी को स्वच्छ करने के लिए स्थायी समाधान की आवश्यकता है। सरकार स्टॉप डैम बनाए, नहर निकाले या पानी साफ करें, हम चाहते हैं कि नदी का पानी आचमन योग्य हो। ऐसा भी न हो कि खान का गंदा पानी उज्जैन छोड़कर कालियादेह महल पर मिला दें, इससे तो क्षिप्रा मैली ही रहेगी। सरकार से अपेक्षा है कि वह जल्द क्षिप्रा को नीरा बनाए जाने की योजना तैयार कर उस पर अमलीजामा पहनाए।
– महंत डॉ. रामेश्वरदास महाराज, षडदर्शन साधु-समाज

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