यूपी चुनाव … चुनावी माहौल को पूरी तरह बदल देगा वर्चुअल प्लेटफॉर्म का फॉर्मूला, एक-एक वोटर तक पहुंचने की चुनौती
संक्रमण को लेकर हालात न सुधारे तो ऐसा पहली बार होगा जब चुनाव में न रैलियां हाेंगीं और न यात्राएं निकाली जाएंगी। ऐसे में अखबार व सोशल मीडिया की भूमिका अहम रहने वाली है। सबसे ज्यादा चुनौती वर्चुअली चुनाव लड़ने को लेकर है। उम्मीदवार इस आशंका के साथ चुनाव में पहले से ही लगे हुए हैं। वहीं, चुनाव मैनेजमेंट सिस्टम के विशेषज्ञ शिवांक कहते हैं कि रैली की तैयारियों, उनके खर्चों आदि से पार्टियों व उम्मीदवारों को राहत मिलने वाली है। इसका पैसा एक-एक वोटर तक पहुंचने में खर्च होगा। बस हमें अपने फन का इस्तेमाल इस तरह से करना होगा कि कैसे उम्मीदवार अपनी बात एक-एक वोटर तक पहुंचा सके।
हर फोन में घुसने की चुनौती
चुनाव प्रबंधन देख रहे लोगों के लिए हर फोन में घुसने की चुनौती रहेगी। प्रत्येक फोन में घुसकर प्रत्याशी अपनी बात वोटर तक पहुंचा सके, इसे लेकर खास तैयारी चल रही है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, कू, व्हाट्सएप आदि पर तो चुनाव प्रचार होगा ही पर सबसे बड़ी चुनौती उन वोटरों तक पहुंचने की है जो एंड्रॉयड फोन का प्रयोग नहीं करते हैं। इनके लिए वॉयस मैसेज सबसे बड़ा हथियार बनेगा। इस माध्यम से लोगाें तक पहुुंचने का काम उम्मीदवारों ने शुरू भी कर दिया है। इसको और बेहतर ढंग से करने के लिए अलग से डाटा संकलन का काम जोरों पर है।
स्क्रॉल करते-करते बीच में कूद पड़ेंगे नेताजी
फेसबुक जैसी तमाम सोशल नेटवर्किंग साइटों पर स्क्रॉल करते-करते नेताजी बीच में ही कूद पड़ेंगे और अपने बारे में बताना शुरू कर देेंगे। इसके लिए विशेषज्ञों ने तमाम तरीके निकाल लिए हैं। इसके अलावा तमाम टूल्स ऐसे हैं जो चुनाव कराने में मददगार साबित होंगे। ऑनलाइन लाइव रैलियां कराने के लिए फॉलोअर्स की संख्या बढ़ानी होगी। शार्ट डॉक्युमेंट्री, गाने आदि भेजने के लिए आइडेंटिटी बनानी होगी। एसएमएस या आवाज रिकॉर्ड करके भेजने का सबसे आसान तरीका बनने जा रहा है।
तैयार मसाला सबसे पहले यूथ के लिए
जो कंटेंट तैयार हैं उससे तत्काल वीडियो के जरिए युवाओं को परोसना की मुहिम शुरू हो गई है। विशेषज्ञ कहते हैं कि युवा पर सबसे ज्यादा फोकस करना होगा क्योंकि वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा युवा ही हैं।
फीडबैक टीम का बड़ा योगदान
इन सबके बावजूद फील्ड में जाकर प्रत्याशी के बारे में फीडबैक जुटाने केलिए मशक्कत सबसे अहम है। इस सारी कवायद का कितना असर क्षेत्र में हो रहा है और कौन पार्टी या कौन सा प्रत्याशी किस स्थिति में है, इसका आकलन करना होगा। उसी के आधार पर आगे की रणनीति तय की जा सकेगी।
गड़बडी रोकना बड़ी चुनौती
सोशल मीडिया का संसार बड़ा है। इस पर किसी पार्टी या प्रत्याशी के बारे में भ्रामक बातें, माहौल बिगाड़ने जैसे मुद्दों या पोस्ट पर पुलिस को निगाह रखनी होगी। जरा सी चूक भारी पड़ सकती है। ऐसे में इस चुनाव में कानून-व्यवस्था कायम रखने में पुलिस को भी एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा।
जिला, रेंज व जोन के साथ पुलिस मुख्यालय से भी सोशल मीडिया की निगरानी की जा रही है। आपत्तिजनक, अफवाह या गलत सूचना जैसे कंटेंट सामने आते हैं, उन्हें न केवल तत्काल हटवाया जाएगा बल्कि ऐसा करने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी।
– प्रशांत कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, कानून-व्यवस्था