उज्जैन … लेटलतीफी : प्रोजेक्‍ट की लागत 3 गुना से ज्‍यादा बढ़ी:मंत्री और अफसरों की साइट विजिट के बाद भी फ्रीगंज ब्रिज कागजों पर, क्योंकि प्रशासकीय मंजूरी नहीं मिली

प्रशासन की सुस्ती और अफसरों की लेटलतीफी से फ्रीगंज ब्रिज 8 साल तक कागजों पर ही झूलता रहा। ऐसे में ब्रिज की लागत और जमीन अधिग्रहण की राशि बढ़कर 22.75 करोड़ से 87 करोड़ तक पहुंच गई, क्योंकि बिल्डिंग मटेरियल की कीमतों के साथ क्षेत्र की गाइड लाइन भी बढ़ गई। सुपरविजन चार्जेस भी बढ़ गए। जिसके तहत क्षेत्र के प्रभावित लोगों को जमीन अधिग्रहण के बदले में ज्यादा मुआवजा देना पड़ेगा। खास बात यह भी कि बजट में ब्रिज के लिए 55 करोड़ का प्रावधान है और सेतु निगम का 87 करोड़ का प्रस्ताव है। यानी सीधे-सीधे 32 करोड़ का अंतर आ रहा है।

उच्च शिक्षा मंत्री, जिला प्रशासन और सेतु निगम के अफसरों की साइट विजिट के बाद भी ब्रिज की प्रशासकीय स्वीकृति अब तक नहीं मिली है। ऐसे में ब्रिज का निर्माण शुरू होने में एक से डेढ़ साल तक लग सकता है। प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी और जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू हो सकेगी। यह ब्रिज सिंहस्थ-2016 के बजट में स्वीकृत हुआ था। उस समय 22.75 करोड़ का प्रावधान किया गया था।

पहले एमपीआरडीसी फिर सेतु निगम को सौंपा काम
शासन की ओर से पहले एमपीआरडीसी को ब्रिज निर्माण का कार्य दिया गया और फिर सेतु निगम को इसका कार्य सौंपा था। ब्रिज उस समय बनाया जाता तो करीब 65 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च होने से बच जाते। अब यह ब्रिज करीब 87 करोड़ में बनेगा। प्रस्ताव बदलते गए और 8 साल ऐसे ही गुजर गए। सेतु निगम के अधिकारियों का तर्क है कि शासन को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है, अभी प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिल पाई है। प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और जिला प्रशासन के माध्यम से जमीन अधिग्रहण किया जाएगा।

ऐसे बीत गए आठ साल और बढ़ती गई लागत….

  • सिंहस्थ-2016 में ब्रिज प्रस्तावित किया गया था। इसमें तीन बत्ती चौराहा से चामुंडा माता चौराहा तक ब्रिज बनाया जाना तय किया गया।
  • मास्टर प्लान के तहत ब्रिज निर्माण नहीं किए जाने पर कोर्ट ने स्टे दे दिया।
  • पहले एमपीआरडीसी और फिर सेतु निगम को ब्रिज का जिम्मा सौंपा गया।
  • मार्च-2021 के बजट में फिर से ब्रिज का प्रावधान किया गया।

बदलती गई प्लानिंग

  • पहले माधव क्लब रोड से देवास गेट तक बनाया जाना प्रस्तावित किया गया।
  • बाद में तीन बत्ती चौराहा से चामुंडा माता चौराहा तक प्रस्तावित किया गया।
  • पुराना ब्रिज तोड़कर नया बनाने का प्रस्ताव तैयार किया।
  • फिर ब्रिज के समानांतर नए ब्रिज का प्रस्ताव बनाया गया।

अब ऐसा बनेगा ब्रिज

  • 12 मीटर चौड़ा रहेगा, सर्विस रोड भी।
  • ब्रिज को टू-लेन बनाया जाएगा।
  • ब्रिज के दोनों तरफ सर्विस रोड बनाई जाएगी।
  • ब्रिज करीब एक किमी लंबा होगा व नौ मीटर ऊंचा होगा।
  • नए ब्रिज व पुराने ब्रिज के बीच में दो मीटर की दूरी रहेगी।

शासन को प्रस्ताव भेजा है, प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिली

शासन को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है, अभी प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिल पाई है। प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और जिला प्रशासन के माध्यम से जमीन अधिग्रहण किया जाएगा। ब्रिज का निर्माण और अधिग्रहण में 87 करोड़ रुपए खर्च होंगे। -एसके अग्रवाल, ईई सेतु

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