भोपाल … जीएसटी विभाग की पड़ताल … ठेकेदारों को बिना टीडीएस काटे पेमेंट, सरकार को 200 करोड़ रुपए की चपत

मध्यप्रदेश की 86% जिला और ग्राम पंचायतें बिना टीडीएस काटे ठेकेदारों और सप्लायर का पेमेंट कर रहीं हैं। इससे इससे सरकार को अब तक 200 करोड़ रुपए के जीएसटी राजस्व का नुकसान हो चुका है। यह राशि बढ़कर एक हजार करोड़ तक पहुंचने की आशंका है। दरअसल, सभी पंचायतों को जीएसटी पंजीयन लेकर ठेकेदारों को हुए भुगतान पर 2% जीएसटी काटना था, लेकिन पंजीयन न लेने वाली 19 हजार से ज्यादा पंचायतों ने कोई टीडीएस नहीं काटा।

वाणिज्यिक कर विभाग ने मप्र सरकार के पंचायत दर्पण पोर्टल से पंचायतों के सप्लायर की जानकारी जुटाकर यह टैक्स चोरी पकड़ी। सभी पंचायतों को जीएसटी पंजीयन लेने के लिए पत्र लिखे, लेकिन इसके जवाब ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने पंचायतों को एक अलग ही फरमान जारी करके आगाह कर दिया कि वे तत्काल पंजीयन न लें।

जीएसटी एक कठिन नियम है। इसे समझने के लिए विभाग वर्कशॉप का आयोजन करेगा। उसके बाद ही पंचायतें पंजीयन लें। इस रुख के चलते पंचायतों और वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। पिछले पांच साल में टैक्स विभाग कई पंचायतों में छापे भी मार चुका है। इसके जरिए उसने 10 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी पकड़ी थी।

जांच रिपोर्ट- ठेकेदारों और सप्लायर की टैक्स चोरी में मदद कर रहे निकाय

जीएसटी विभाग की पड़ताल में पता चला कि पूरे प्रदेश की सैकड़ों पंचायतें ठेकेदारों और सप्लायर की टैक्स चाेरी में मददगार हैं। यह पाया गया कि स्टेशनरी और कैंटीन की सप्लाई के कॉन्ट्रैक्ट जान-बूझकर पूरे साल के नहीं किए, ताकि वन टाइम सप्लाई 2.5 लाख से ज्यादा की न दिखे। आवागमन के लिए गाड़ियां केवल एक-एक महीने के लिए अटैच बताई गईं।

1000 करोड़ रुपए से ज्यादा टैक्स अब तक नहीं मिला

जीएसटी विभाग ने अनुमान लगाया है कि अगर सभी स्थानीय निकाय समय पर टीडीएस पंजीयन लेकर ईमानदारी से टीडीएस काटते तो विभाग को बिना किसी परेशानी के 1000 करोड़ रुपए अधिक टैक्स मिल जाता। अब विभाग को यह टैक्स वसूलने के लिए लाखों सप्लाई ऑर्डर की जांच करनी पड़ रही है। विभाग मप्र सरकार को ऐसे निकायों की जानकारी दे रहा है। इस आधार पर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

टीडीएस काटकर ही भुगतान करें

हमारे अधिकारी पंचायतों से संपर्क करके उनसे तत्काल जीएसटी का पंजीयन लेकर बिलों का भुगतान टीडीएस काटकर करने को कह रहे हैं आगे इसकी पड़ताल की जा रही है।’ – लोकेश जाटव, कमिश्नर, वाणिज्यिक कर विभाग

पंजीयन अभी न लें, प्रक्रिया समझें

जीएसटी एक जटिल प्रकिया है। इसे समझने में कई पंचायतों के अधिकारियों को भारी दिक्कत आ रही है। कोई भी पंचायत बिना जानकारी के पंजीयन न ले। अन्यथा उन्हें आगे जाकर भारी पेनॉल्टी का सामना करना पड़ेगा।’
– उमाकांत उमराव, प्रमुख सचिव, पंचायत , ग्रामीण विकास विभाग

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