किताबें तैयार करने बनाई कमेटी:देश में पहली बार; हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई, जुलाई में जीएमसी से होगी शुरुआत

देश में पहली बार मध्यप्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होेगी। हालांकि ये व्यवस्था वैकल्पिक होगी। शुरुआत में एमबीबीएस पहले वर्ष के 3 विषय एनाटॉमी, फिजियोलॉजी व बायोकेमिस्ट्री को हिंदी में कन्वर्ट (रुपांतरित) किया जाएगा। हिंदी में कंटेंट डेवलपमेंट-कोर्स मटेरियल तैयार करने के लिए एक उच्च स्तरीय हिंदी पाठ्यक्रम निर्धारण समिति बनाए जाएगी।

प्रदेश में पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) भोपाल से होगी। इसके बाद अन्य मेडिकल कॉलेजों में व्यवस्था लागू होगी। व्याख्यान के दौरान टीचर्स को अंग्रेजी के साथ हिंदी का उपयोग करना होगा। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) हिंदी में पाठ्यपुस्तकों की अनुमति नहीं देता है, इसलिए राज्य सरकार पूरक किताबें तैयार करेगी, जो हिंदी-अंग्रेजी में होंगी। इसके लिए एक कमेटी भी बनाई गई है।

ऑडियो और विजुअल में भी मिलेगा सिलेबस

हिंदी में सिलेबस किताबों के साथ ही ऑडियो व विजुअल में भी मिलेगा। इसके लिए यूट्यूब और पॉडकास्ट भी शुरू किए जाएंगे। चिकित्सा शिक्षा विभाग गठित समिति के लिए वार्षिक कैलेंडर भी बनाएगा। एक साल होने पर इसे अन्य मेडिकल काॅलेजों में लागू किया जाएगा।

लेखकों से ली अनुवाद करने की अनुमति

अप्रैल महीने में पहले साल की किताबों के कुछ खंड यानी वाॅल्यूम तैयार कर लिया जाएगा। स्टेप बाय स्टेप इसे लागू किया जाएगा। कॉपी राइट में कोई दिक्कत न हो इसका ध्यान रखा जाएगा। संबंधित विषय के लेखक से उसकी किताब का हिंदी में अनुवाद करने की अनुमति ली जाएगी। कई सारे लेखकों ने इसकी अनुमति दे दी है।

चीन, रूस जैसे कई देश खुद की भाषा में चलाते हैं सिलेबस

जर्मनी, चीन, रूस, फ्रांस जैसे कई देशों में मेडिकल की पढ़ाई स्थानीय भाषा में ही होती है, फिर हमारे देश में क्यों नहीं हो सकती है। अभी शुरुआत जीएमसी से की जाएगी। -विश्वास सारंग, मंत्री, चिकित्सा शिक्षा विभाग

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