निजी स्कूलों की मनमानी जारी नहीं कर रहे पाठ्य पुस्तकों की सूची

जनवरी आखिर तक सार्वजनिक करनी थी अगले सत्र की पाठ्य पुस्तकों की सूची, मनमाने तरीके से कोर्स बदल रहे स्कूल

भोपाल. हर साल कोर्स बदलने के नाम पर अभिभावकों को हजारों रुपए की नई किताबें खरीदने को मजबूर करने का खेल नए शिक्षण सत्र के पहले शुरू हो गया है। दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार किसी भी स्कूल को अगले शैक्षणिक सत्र में पढ़ाई जाने वाली किताबों की सूची सत्र से 90 दिन पहले या 3 जनवरी तक सार्वजनिक करनी होती।

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बावजूद इसके जिले में किसी भी निजी स्कूल ने तय समय पर पुस्तकों की सूची जारी नहीं की। यही नहीं नियमानुसार निजी स्कूल अपने पादयक्रम में बदलाव नहीं कर सकते, लेकिन हकीकत यह है कि 50 फीसदी से अधिक स्कूल पाद्यक्रम बदलने की प्रक्रिया शुरू कर चुके है। इसके बावजूद स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी नया पाठ्यक्रम जारी करने वाले स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

स्कूल वाहनों का किराया 50 फीसदी तक बढ़ाया

आखिर दो साल बाद स्कूल वाहनों का किराया 50 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है। मध्य प्रदेश स्कूल बस एवं वैन एसोसिएशन ने डीजल के बढ़े हुए दाम एवं कोरोना काल में हुए नुकसान के मद्देनजर यह निर्णय लिया है। दरअसल, 7 मार्च से शहर के प्राइवेट स्कूल कक्षा 1 से 12 तक खुल रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में अभिभावक स्कूल वाहनों पर आश्रित हैं। ऐसे में उनकी जेब पर बोझ बढ़ना तय है। हालांकि स्कूल खोलने की जानकारी अभी भी अनेक प्राइवेट संस्थानों ने एसोसिएशन से साझा नहीं की है। इसके चलते मार्च में स्कूल बस एवं वैन व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

गंभीर आर्थिक संकट का हवाला
एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव कुमार सोनी ने बताया कि पिछले 2 साल से व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। वाहन मालिक आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। इसलिए किराया 50% बढ़ाया है। ऐसा करने के पीछे महंगाई बढ़ना सबसे बड़ा कारण है। शासन ने भी अब हमें आर्थिक राहत नहीं दी है।

पाठय पुस्तके सार्वजनिक करने के लिए संघर्षरत एमएस खान ने कहा कि कुछ वर्षों से स्कूल संचालक कुछ बड़े पुस्तक विक्रेताओं की साठगांठ से पुस्तकों की सूची न तो पोर्टल पर डाल रहे हैं न ही स्कूल के नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर रहे हैं। इस तरह अभिभावकों को तय दुकानों से ही किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। इससे उन पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है। वहीं अधिकारी भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

स्कूल शिक्षा विभाग संयुक्त संचालक, राजीव तोमर ने कहा कि निजी स्कूलों को समय सीमा में पाठ्य पुस्तकों की सूची सार्वजनिक करनी थी, जो नहीं की गई है। वे नियमानुसार आखिरी समय में पाठ्य पुस्तकें बदल नहीं सकते हैं। मैं इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित करता हूं कि नियमों का पालन कराएं।

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