पेटलावद ब्लास्ट की SIT जांच कठघरे में ….
सीमा अलावा बोलीं- सीएस, डीजीपी और 5 एडीजीपी ने जांच की, कमी होती तो किसी डायरी में सुपरविजन नोट तो होता….
पेटलावद धमाके में 78 मौतों पर आरोपियों के बरी होने पर SIT जांच कठघरे में है। अभियोजन के आरोपों पर भास्कर ने तत्कालीन SIT चीफ एडिशनल एसपी सीमा अलावा से बात की जो अब खंडवा में पदस्थ हैं। पढ़िए, इस मामले में उन्होंने क्या कहा…
विस्फोट में तमाम आरोपियों के बरी होने पर आपकी जांच पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं?
आज साढ़े 6 साल बाद आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं? जब विस्फोट हुआ था तो मुख्य सचिव, डीजीपी के अलावा राजीव टंडन, मकरंद देउस्कर, विपिन माहेश्वरी, सरबजीत सिंह सहित 5 एडीजीपी भी जांच के लिए आए थे। अगर कमी होती तो जांच को दिशा देने वाला कोई सुपरविजन नोट तो होता। एडीजी विपिन माहेश्वरी तो हमारे साथ रात-रातभर पेटलावद की गलियों में घूमे हैं।
6.5 साल में आपसे केस के बारे में कितनी बार बात हुई?
एक बार भी नहीं। कोई लेटर हो तो मुझे दिखाएं।
डेढ़ साल पहले कासवा बंधू भी बरी हुए थे?
उन केसों की जांच SIT ने नहीं की। तब अभियोजन ने कमियां क्यों नहीं निकालीं। इस पूरे केस में अभियोजन ने जो बहस पेश की है वो मेरे केस के तथ्यों को लेकर ही है। अगर तब भी अभियोजन को कमी दिखी थी तो पूरक चालान (धारा 173-3 में) पेश करने का क्यों नहीं कहा?
अभियोजन के अनुसार आपने अधिकारियों को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया? उनको दोषी नहीं बताया?
मुझे सिर्फ विस्फोट की जांच करनी थी। मैं अपने से वरिष्ठ अधिकारियों की जांच कैसे कर सकती थी?
जो सुझाव आए थे, उन पर अमल हुआ है
मामले की समीक्षा करके देखा गया है कि कहां कमी रही। अभियोजन से विस्तृत रिपोर्ट मंगाई गई है। कानूनी रास्ते खुले हैं। न्यायायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में जो बिंदू या सुझाव-निर्देश आए थे उन पर अमल किया गया है।
– राजेश राजौरा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग
सरकार बताए- 78 मौतों का दोषी कौन?
दोषियों को सजा दिलाने से लेकर पीड़ितों काे न्याय दिलाने के सभी दावे अधूरे और हवा-हवाई साबित हुए। सरकार बताए कि 78 मौतों का दोषी कौन, ये सरकार को बताना चाहिए।
– कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री
सरकार अपील करे तो हाईकोर्ट फिर से जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कह सकता है
अगर सरकार जांच के बिंदुओं की गलती बताकर ठीक से हाईकोर्ट में अपील करती है और हाईकोर्ट में रीइंवेस्टीगेशन का आवेदन लगाती है तो हाईकोर्ट धारा 156(3) में फिर से जांच करके रिपोर्ट पेश करने को कह सकता है। इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट में मामला सुना जा सकेगा।
– रित्विक मिश्रा, अभिभाषक हाईकोर्ट