नॉन क्लीनिकल काेर्स में डॉक्टराें की रुचि नहीं, पीजी की सीटें रह सकती हैं खाली, वजह- नौकरी के अवसर कम
चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में नॉन क्लीनिकल कोर्स में विशेषज्ञता हासिल करने में जूनियर डॉक्टरों की ज्यादा दिलचस्पी नहीं हैं। वजह, ऐसे कोर्स में पीजी करने के बाद वे न तो विशेषज्ञ के तौर पर प्रैक्टिस कर सकते हैं आैर न ही उनके लिए नौकरी के बेहतर अवसर हैं। उनके सामने दो ही विकल्प रहते हैं। एक- सिर्फ एमबीबीएस की डिग्री के आधार पर प्रैक्टिस करें या फिर चिकित्सा शिक्षक बन जाएं।
मेडिकल कालेजों में फैकल्टी के पद न निकलना भी एक बड़ा कारण है। जबकि नॉन क्लीनिकल व क्लीनिकल कोर्स की फीस बराबर हैै। इस विसंगति के चलते नॉन क्लीनिकल कोर्स में कई सीटें खाली रह जाती हैं। वहीं पीजी स्टेट काेटे में प्रवेश के लिए चल रहे मॉकअप राउंड में जीआरएमसी में 7 सीटों के लिए एक भी आवेदन न आने के कारण प्रवेश की तिथि बुधवार तक बढ़ा दी गई है।
नॉन क्लीनिक विषय एनाटोमी और फिजियोलॉजी की 3-3 और फार्माकलोजी की 1 सीट के लिए किसी भी डॉक्टर ने आवेदन नहीं किया है। लिहाजा ये 7 सीटें खाली रह जाएंगी। कॉलेज प्रबंधन को उम्मीद है कि ये सीटे सीएलएसी राउंड में भर सकती हैं, लेकिन इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है। एनाटोमी में दो साल पहले ही एक से सीट बढ़ाकर 6 की गई हैं। इसकी वजह यह है कि बीते साल एनाटोमी की 6 सीटों में से सिर्फ 1 सीट ही भर पाई थी। फार्मकलोजी की पिछले दो साल से 1 सीट खाली रह जाती है। उधर ऑल इंडिया कोटे की पीजी की खाली सीटें भरने के लिए मॉपअप राउंड 23 अप्रैल को शुरू होगा जो 27 अप्रैल तक चलेगा।
सीनियर रेसीडेंट की नहीं है सीट इसलिए नहीं लेते हैं प्रवेश: नॉन क्लीनिकल विषयों में पीजी करने के बाद सीनियर रेसीडेंट की पोस्ट ही नहीं बनाई गई है। इस कारण डॉक्टर को पीजी करने के बाद ट्रेनिंग नहीं मिल पाती है। साथ ही क्लीनिकल और नॉन क्लीनिकल विषयों की फीस एक बराबर है। इससे डॉक्टर पर आर्थिक बोझ बड़ता है।
नॉन क्लीनिकल विषयों में पीजी करने के बाद डॉक्टर सिर्फ चिकित्सा शिक्षक ही बन सकता है। इसके लिए देश में मेडिकल कॉलेजों की कमी है जिससे उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती है। सरकार को चाहिए सभी कॉलेजों में सीनियर रेसीडेंट की पद भी बनाए जाएं जिससे पीजी करने के बाद डॉक्टर भटकें नहीं । इस संबंध में हम शासन से भी मांग कर चुके हैं। – डॉ. श्रीकांत शर्मा, अध्यक्ष,जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन
एनएमसी ने स्टाफ की आवश्यकता भी कर दी है कम
नॉन क्लीनिकल विषयों में नौकरी की कोई गारंटी नहीं है और प्रैक्टिस भी अगर करते हैं तो एमबीबीएस के आधार पर ही प्रैक्टिस कर पाएंगे। एनाटोमी में महिलाओं की रुचि बहुत कम है। साथ ही एनएमसी ने अब नॉन क्लीनिकल विषयों में स्टाफ की आवश्यकता कम कर दी हैं, जिससे मेडिकल कॉलेजों में नई नियुक्तियां कम हो रही हैं। इसलिए डॉक्टर नॉन क्लीनिकल विषयों में पीजी करने में रुचि कम लेते हैं। – डॉ.एसके शर्मा, सेवानिवृत्त, विभागाध्यक्ष एनाटोमी जीआरएमसी
ये हैं नॉन क्लीनिकल विषय और सीटाें की स्थिति
पीजी काेर्स सीट संख्या 2021 2022
एनाटोमी 06 5 खाली 4 खाली
फिजियोलॉजी 07 सभी भरीं सभी खाली
फार्माकलोजी 03 1 खाली 1 खाली
पीएसएम 10 सभी भरीं 1 खाली
क्लीनिकल काेर्स, जिनकी सीटें हाे गईं फुल… मेडिसिन, सर्जरी, गायनिक, रेडियाेलाॅजी, पीडियाट्रिक, एनेस्थीसिया, ऑर्थाेपेडिक, पैथाेलाॅजी, ईएनटी, आई।
फोरेंसिक मेडिसिन में पीजी कोर्स की डिमांड… जीआरएमसी में फोरेंसिक मेडिसिन में पीजी डिग्री की काफी डिमांड है। लंबे समय से जीआरएमसी में फोरेंसिक मेडिसिन में पीजी कोर्स शुरू करने की बात कही जा रही है लेकिन अबतक कोर्स शुरू नहीं हो पाया है।
नॉन क्लीनिकल कोर्सों को आकर्षक बनाना चाहिए
क्लीनिक विषयों में नाम के साथ पैसा भी है लेकिन नॉन क्लीनिकल कोर्सों में न नाम होता है और न ही पैसा सिर्फ डॉक्टर टीचर बनकर रह जाता है। नॉन क्लीनिकल कोर्सों को आकर्षक बनाना चाहिए।– डॉ.भरत जैन, पूर्व डीन जीआरएमसी
सीटें खाली नहीं रहने देंगे
एनएमसी के नियमों के तहत नॉन क्लीनिकल कोर्स को और बेहतर बनाने के लिए जो भी हो सकेगा, उस पर हम विचार करेंगे। सीटें खाली न रहें, इसके प्रयास करेंगे। विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री