हर साल 1.79 मीटर कम हो रहा वाटर लेवल … नोएडा में 332 एमएलडी पानी की डिमांड पर 240 एमएलडी हो रही सप्लाई, जानकार बोले- यही हाल रहा तो भविष्य में संकट होगा

एक तरफ प्रधानमंत्री जल शक्ति योजन के तहत भू-जल दोहन रोकने व भू जल रिचार्ज को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं नोएडा में गिरता भू-जल स्तर भविष्य में बड़ा संकट बन सकता है। इसकी वजह 300 वर्गमीटर से ज्यादा भूखंड में रिचार्ज वेल का नहीं होना है। ऐसे में बारिश का पानी भू-जल स्तर को बढ़ाने की बजाए वह वेस्ट होता दिख रहा है।

मास्टर प्लान के अनुसार, शहर की आबादी 21 लाख हो जाएगी। इसके लिए सप्लाई पानी की क्षमता को बढ़ाकर 590 एमएलडी किया जाएगा। वर्तमान में 240 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है। यह सप्लाई 16 लाख की आबादी के अनुसार है, लेकिन डिमांड 332 एमएलडी पानी की है। पानी की मांग को पूरा करने के लिए नोएडा प्राधिकरण 44 प्रतिशत पानी भू-जल के जरिए निकालता है। बाकी गंगा वाटर गाजियाबाद प्रताप विहार प्लांट से आता है। भूजल रिचार्ज की तुलना में 106.90 प्रतिशत पानी का जमीन से दोहन हो रहा है।

सालाना 29 हजार हेक्टयर मीटर भूजल रिचार्ज होता है
उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में सालाना 29233.06 हेक्टयर मीटर भूजल रिचार्ज होता है। उससे ज्यादा 31251.26 हेक्टयर मीटर भूजल का दोहन हो रहा है। यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में नोएडा व आसपास के क्षेत्र में भूजल समाप्त हो जाएगा। भू-जल विभाग की ओर से अगस्त -2019 में समिति आकलन के अनुसार नोएडा का भू-जल स्तर औसतन 1.79 मीटर हर साल घट रहा है। यहां के कई सेक्टरों में भू-जल समाप्ती की कगार पर है। इसकी एक वजह बारिश का पानी का जमीन में संचयन न होकर वेस्ट हो जाना है।

ग्रेटर नोएडा में स्थिति बेहद खराब
ग्रेटरनोएडा पाई सिग्मा-3 में यह स्थिति और खराब है। यहां प्रतिवर्ष 3.9 मीटर की दर से भू-जल स्तर गिर रहा है। 2019 में बिसरख ब्लाक को अतिदोहन की श्रेणी में शामिल किया गया था। यहा ड्राइंग दर 149.8 प्रतिशत थी, जबकि दनकौर में 99.84 प्रतिशत की ड्राइंग दर के साथ क्रिटिकल श्रेणी रखा गया था। दादरी सेमी-क्रिटिकल श्रेणी में आता है। जेवर में 108.81 प्रतिशत की निकासी दर के साथ ओवरएक्लोएटेड यानी अतिदोहन की श्रेणी में हैं।

खराब पंप को बनाया रेन वाटर हार्वेस्टिंग।
खराब पंप को बनाया रेन वाटर हार्वेस्टिंग।

बारिश के पानी का सदुपयोग नहीं
प्रदेश में सालाना औसतन करीब 700 से 900 एमएम बारिश होती है। नोएडा में पिछले साल 1450 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। यह सामान्य नहीं है। इसका अधिकांश हिस्सा दूषित हो गया और काफी बह गया। यदि इसका 65 प्रतिशत हिस्सा रिचार्ज कर भूजल को बढ़ाने में किया जाता तो आने वाले समय में भू-जल की समस्या कुछ कम जरूर होती।

प्राधिकरण अब करेगा 411 एमएलडी पानी शोधित
गिरते भू-जल स्तर स्थिरता लाने के लिए प्राधिकरण लगातार कार्य कर रहा है। वर्तमान में प्रतिदिन 171 एमएलडी भू-जल दोहन रोका जा रहा है। इसकी जगह 171 एमएलडी शोधित पानी का प्रयोग किया जा रहा है। यह शोधन सेक्टर-50, सेक्टर-54, सेक्टर-123, सेक्टर-168 में बने एसटीपी से किया जा रहा है। एसटीपी तक सीवरेज पहुंचाने के लिए 36 सीवरेज पंपिंग स्टेशन सीवरेज को अपलिफ्ट के लिए बनाए गए है।

इन एसटीपी से कुल 190 एमएलडी सीवरेज को शोधित किया जा रहा है। इसके अलावा सेक्टर-123 में 80 और सेक्टर-168 में 100 एमएलडी क्षमता के दो एसटीपी और तैयार किए जा रहे हैं। इसके बाद सेक्टर-123 एसटीपी की क्षमता 115 एमएलडी व सेक्टर-168 की क्षमता 150 एमएलडी हो जाएगी। यानी चारों एसटीपी प्लांट से कुल 411 एमएलडी पानी शोधित किया जा सकेगा।

सेक्टर-168 में एसटीपी का निरीक्षण करते प्राधिकरण अधिकारी।
सेक्टर-168 में एसटीपी का निरीक्षण करते प्राधिकरण अधिकारी।

2019-2020 में नोएडा में भूजल की स्थिति

  • डिग्री कॉलेज 28.06 30.38
  • नोएडा थाना फेज-2 5.35 16.53
  • इलाबांस 12.13 13.50
  • सोरखा 18.24 19.03
  • सेक्टर-3 29.84 36.80
  • सेक्टर-39 29.58 30.14
  • नंगला चरणदास 17.15 18.12

(नोट सभी आकड़े मीटर में है। )

सेक्टर-78 वेदवन पार्क में वाटर बाडी बनाते हुए।
सेक्टर-78 वेदवन पार्क में वाटर बाडी बनाते हुए।

भूजल रिचार्ज के लिए अपनाए जा रहे तरीके

  • पुराने खराब पड़े बोरवेल को रिचार्ज वेल में तब्दील किया जा रहा है। इससे पानी सीधे 300 फीट तक नीचे जाएगा
  • सेक्टर-54 और सेक्टर-91 में वेटलैंड का निर्माण
  • सभी 300 वर्गमीटर के भूखंडों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग और रिचार्ज वेल
  • नोएडा में तालाब और वाटर बाडी बनाने का काम जारी

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