नोएडा की सनशाइन हिल्योस सोसाइटी को बिल्डर की नोटिस … 30 अप्रैल तक मेंटिनेंस का पैसा जमा करने कहा, न देने पर पावर बैकअप और मेंटिनेंस बंद करने की चेतावनी

नोएडा में सेक्टर-78 सनशाइन हिल्योस सोसाइटी निवासियों को बिल्डर ने मेंटिनेंस का पैसा जमा नहीं करने का नोटिस थमा दिया है। 30 अप्रैल तक का पैसा नहीं देने पर पावर बैकअप और मेंटिनेंस बंद करने के लिए कहा है। इससे यहां के निवासी परेशान है। निवासियों का कहना है कि अपार्टमेंट आर्नर एसोसिएशन (एओए) का गठन होने के बाद भी बिल्डर ने सोसाइटी हैंडओवर नहीं की। विद्युत लोकपाल भी कह चुका है कि मेंटिनेंस और बिजली का लिंक एक साथ नहीं हो सकता। जाहिर है भेजे जा रहे नोटिस गैरकानूनी है।

नियमों का होता पालन तो न आती समस्या
सनशाइन सोसाइटी में कुल 406 फ्लैट है। 1500 लोग यहां रह रहे है। बिल्डर ने 2014 में फिटआउट जारी किया और 2017 में सीसी मिला। 2019 में सोसायटी में एओए (अपार्टमेंट आर्नर एसोसिएशन) का गठन किया गया। इस दौरान निवासियों ने बिल्डर को सोसायटी हैंडओवर करने के लिए लेटर लिखे और बैठक की। इसके बाद वे प्राधिकरण गए। 11 नवंबर 2020 को प्राधिकरण ने बिल्डर को सोसायटी हैंडओवर करने के लिए नोटिस जारी की। इसके बाद प्रत्येक महीने एक-एक नोटिस जारी किया गया। लेकिन अब तक बिल्डर ने सोसाइटी हैंडओवर नहीं की। ऐसे में इस तरह के नोटिस भेजने का क्या मतलब बनता है।

हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना
मार्च 2021 को हाईकोर्ट ने बिल्डर को फटकार लगाते हुए स्पष्ट आदेश दिया कि सोसाइटी एओए को तत्काल हैंडओवर की जाए। इसके साथ प्राधिकरण के अधीनस्थ अधिकारी को 5 अप्रैल को हाईकोर्ट में दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया। महज कुछ दिनों में ही बिल्डर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया, लेकिन याचिका खारिज कर दी गई। ये मामला यहीं नहीं रुका। निवासियों ने बताया, बिल्डर कुछ लोगों से साठगांठ कर दोबारा सुप्रीम कोर्ट गया, लेकिन वहां याचिका खारिज कर दी गई। निवासियों ने एक बार फिर जून 2021 में हाईकोर्ट रुख किया और कंटेंप्ट का केस किया। कोर्ट ने बिल्डर को नोटिस जारी किया। बताया गया कि बिल्डर ने कोर्ट में एक एफिडेबिट फाइल किया।

इस तरह किए जा रहे नोटिस जारी
निवासियों ने बताया कि बिल्डर नोटिस जारी कर रहा है। जिसमें उसने 30 अप्रैल तक का समय दिया और बताया कि आपने दिसंबर 2020 से अब तक मेंटेनेंस चार्ज जमा नहीं किया है। यदि ऐसा नहीं करते है तो आपके ऊपर एक्शन लेते हुए फ्लैट का मेंटेनेंस और जनसेट से पावर बैकअप को रोक दिया जाएगा। निवासियों ने बताया कि दिसंबर 2020 से पहले मेंटेनेंस प्रीपेड मीटर से काट लिया जाता था। एओए के गठन और प्राधिकरण के नोटिस और हाईकोर्ट के आर्डर के बाद मेंटेनेंस देना बंद कर दिया गया।

सोसाइटी में डेडिकेटड बिजली कनेक्शन नहीं
बिल्डर की ओर से अब तक डेडिकेटड बिजली कनेक्शन नहीं लिया गया है। बिल्डर ने 2014 में पीवीवीएनएल के साथ 11 केवी डेडिकेटड लाइन के लिए एक एग्रीमेंट साइन किया था। अनुबंध के तहत 2020 तक लाइन लेनी थी लेकिन पालन नहीं किया गया । जिसकी वजह से सोसाइटी वासियों को मल्टीपल टाइप पावर कट की वजह से कीमती इलेक्ट्रिक गैजेट फुक चुके है। इसको लेकर निवासी कई बार अधीक्षण अभियंता से मिला जा चुका है उनको लिखित में दिया गया। लेकिन अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। यही नहीं जनसेट पर एक केवीए पर 83 रुपए फिक्स चार्ज किया हुआ है। ये पूरी तरह से अवैध है और लगभग लोगों ने 10 केवीए का पावर बैकअप लिया गया है।

सोसाइटी निवासी आशीष पांडा
सोसाइटी निवासी आशीष पांडा

8 साल से मालिकाना हक के इंतजार में बायर्स
निवासियों ने RTI के जरिए ये जानकारी जुटाई कि बिल्डर पर लैंड यूज, वन टाइम लीज रेंट, पेनाल्टी और ब्याज को मिलाकर करीब 63 करोड़ रुपए बकाया है। ये पैसा जमा होने के बाद ही प्राधिकरण रजिस्ट्री शुरू करेगा। जबकि सनशाइन हिल्योस के बायर्स में जिन 286 बायर्स की रजिस्ट्री रुकी हुई है, वह फ्लैट का पूरा भुगतान कर चुके हैं। निवासियों ने बताया, यहां न्यूनतम फ्लैट की कीमत डेढ़ करोड़ है। सवाल ये है कि जब बायर्स ने पूरा पैसा बिल्डर को दे दिया तो अब तक प्राधिकरण की ओर से बिल्डर पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अब नोटिस जारी कर ये हम पर प्रेशर बना रहा है।

सोसाइटी निवासी कर्नल सिद्धू
सोसाइटी निवासी कर्नल सिद्धू

सोसाइटी निवासी पहुंचे थाने
बिल्डर की मनमानी से परेशान होकर सोसाइटी वासी थाना सेक्टर-113 गए। यहां उन्होंने बिल्डर के खिलाफ शिकायत दी है। पुलिस का कहना है मामले कि जांच पड़ताल करने के बाद ही बिल्डर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

सोसाइटी निवासी कर्नल सिद्धू ने कहा कि जनरेटर का बिल हम पे करते है। मेंटेनेंस और दबाव बनाने के लिए बिल्डर ने विद्युत लोकपाल में याचिका डाली। लेकिन उलटा लोकपाल ने बिल्डर को स्पष्ट कहा कि आप बिजली का बिल और मेंटेनेंस को एक नहीं कर सकते है। पहले तीन साल के बिजली के बिल का आडिट रिपोर्ट सब्मिट की जाए। इसके बाद भी इस तरह के नोटिस भेजकर निवासियों को परेशान किया जा रहा है। लोकपाल के कहने के बाद भी पीवीएनएल बिल्डर पर नकेल कसने में नाकाम है।

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