क्यों रुकी कांग्रेस में PK की एंट्री … सोनिया को सीधे रिपोर्ट और संगठन में सर्जरी पर सहमति नहीं बनी; I-PAC पर भी फंसा पेंच

सोनिया गांधी के आवास पर 10 दिनों तक चली लंबी एक्सरसाइज के बाद प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर ठुकरा दिया है। प्रशांत ने प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि कांग्रेस को मेरी नहीं, अच्छी लीडरशिप और बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस हाईकमान PK के प्रेजेंटेशन से सहमत था और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने को भी तैयार था। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर इस बात के संकेत दिए। फिर सवाल ये है कि PK के कांग्रेस में शामिल होने पर आखिर पेंच कहां फंस गया? इसकी वजहों को जानने से पहले ग्राफिक्स से समझिए PK ने कांग्रेस को क्या-क्या सुझाव दिए थे…

 

कांग्रेस में PK की एंट्री पर पेंच फंसने की 4 बड़ी वजहें अभी तक सामने आ रही है। आइए एक-एक करके इन्हें समझते हैं।

1. डायरेक्ट सोनिया को रिपोर्ट पर सहमति नहीं
PK चाहते थे कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद वे सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को रिपोर्ट करें। प्रेजेंटेशन के बाद हाईकमान ने एक कमेटी बनाई और फिर एम्पावर्ड ग्रुप बनाने की घोषणा कर दी। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने PK को इस ग्रुप में शामिल होकर काम करने का ऑफर दिया था, जिसे प्रशांत ने खारिज कर दिया।

प्रशांत चाहते थे कि उन्हें कम से कम एम्पावर्ड ग्रुप का अध्यक्ष बनाया जाए, जिसे सोनिया ने नामंजूर कर दिया। दरअसल, एम्पावर्ड ग्रुप कांग्रेस नेताओं का एक समूह है, जिसमें 2024 के आम चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी और उसकी रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी जाएगी।

2. चुनावी अलांयस और स्ट्रैटजी पर भी पेंच
प्रशांत किशोर ने अपने प्रेजेंटेशन में चुनावी अलांयस पर जोर दिया था। PK ने सुझाव दिया था कि कांग्रेस बिहार, यूपी, ओडिशा में एकला चलो और महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बंगाल में गठबंधन करे। प्रशांत इस पूरी योजना को लीड करना चाहते थे।

गठबंधन को लेकर अगर कांग्रेस हाईकमान PK की बात मानती तो, चुनाव के समय में बिहार में कांग्रेस को राजद जैसे पुराने सहयोगी के साथ अलग होना पड़ता।
गठबंधन को लेकर अगर कांग्रेस हाईकमान PK की बात मानती तो, चुनाव के समय में बिहार में कांग्रेस को राजद जैसे पुराने सहयोगी के साथ अलग होना पड़ता।

मगर कांग्रेस हाईकमान गठबंधन पर फैसले की शक्ति खुद के पास रखना चाहता था। इतना ही नहीं, कांग्रेस कमेटी ने शर्त रखी कि पार्टी में शामिल होने के बाद PK को सभी दलों के साथ दोस्ती खत्म करनी होगी।

3. ऑर्गेनाइजेशन में ‘फिक्स्ड टर्म फॉर्मूले’ पर एक राय नहीं
प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी के अंदर संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव करना चाह रहे थे। PK ने सुझाव दिया था कि कांग्रेस में सभी पदों पर ‘फिक्स्ड टर्म फॉर्मूला’ लागू हो। इस फॉर्मूले के तहत प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष 3 साल से अधिक अपने पद पर नहीं रह सकते थे।

PK के इस फॉर्मूले पर कांग्रेस कमेटी ने ऐतराज जताया। अगर यह फॉर्मूला कांग्रेस संगठन में लागू होता, तो गांधी परिवार के साथ-साथ राहुल गांधी के कई करीबियों को संगठन में पद से बेदखल होना पड़ता। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने इस मांग को भी मानने से इनकार कर दिया।

4. I-PAC और प्रशांत किशोर पर कन्फ्यूज कांग्रेस
प्रशांत किशोर ने चुनावी रणनीति बनाने के क्षेत्र में कदम रखने के बाद एक कंपनी I-PAC बनाई थी। यह कंपनी जगनमोहन रेड्डी, एमके स्टालिन, अरविंद केजरीवाल, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के साथ चुनावी प्रबंधन का काम कर चुकी है।

पिछले साल 2 मई को बंगाल चुनाव के बाद PK ने इस कंपनी से नाता तोड़ने का ऐलान किया था। इसके बावजूद कांग्रेस की मीटिंग में पार्टी नेता लगातार इसको लेकर सवाल उठाते रहे। हालांकि प्रशांत कंपनी से अपने रिश्ते के बारे में लगातार सफाई देते रहे। दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाने का यह भी एक अहम कारण माना जा रहा है।

प्रियंका-सोनी सहमत, दिग्गी-वासनिक समेत 4 ने सवाल उठाया
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रशांत के प्रेजेंटेशन पर एके एंटनी, मुकुल वासनिक, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला, अम्बिका सोनी, दिग्विजय सिंह और प्रियंका गांधी को विचार करने का जिम्मा सौंपा था। सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी और अम्बिका सोनी PK के सभी सुझाव से सहमत थीं।

10 जनपथ में एक मीटिंग में शामिल होने पहुंचे दिग्विजय सिंह और जयराम रमेश।
10 जनपथ में एक मीटिंग में शामिल होने पहुंचे दिग्विजय सिंह और जयराम रमेश।

वहीं मुकुल वासनिक, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला और दिग्विजय सिंह ने कई प्रस्तावों के कुछ बिंदुओं को लेकर सवाल उठाया, जबकि एके एंटनी और केसी वेणुगोपाल ने इस पूरे प्रेजेंटेशन पर कोई टिप्पणी नहीं की।

दूसरी बार कांग्रेस में शामिल होने पर पेंच फंसा
यह पहला मौका नहीं है, जब प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पेंच फंसा हो। इससे पहले, 2021 के अक्टूबर में PK के कांग्रेस में शामिल होने की बात कही जा रही थी, लेकिन उस वक्त G-23 के नेताओं ने शामिल करने पर सवाल उठा दिया था।

PK के साथ मीटिंग में कांग्रेस नेता लगातार उनकी महत्वाकांक्षा को लेकर सवाल उठाते रहे। खड़गे-गहलोत ने मीटिंग में ही PK से पद को लेकर सवाल पूछ लिया था।
PK के साथ मीटिंग में कांग्रेस नेता लगातार उनकी महत्वाकांक्षा को लेकर सवाल उठाते रहे। खड़गे-गहलोत ने मीटिंग में ही PK से पद को लेकर सवाल पूछ लिया था।

अब आगे क्या करेंगे प्रशांत?
कांग्रेस में शामिल होने के ऑफर को ठुकराने के बाद अब सवाल ये है कि प्रशांत किशोर आगे क्या करेंगे? दैनिक भास्कर के साथ एक इंटरव्यू में PK ने कहा था कि 2 मई तक कोई न कोई फैसला ले लूंगा। उन्होंने यह भी कहा था कि वे अब रणनीति बनाने का काम नहीं करेंगे

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