गोहद में प्रकृति का दोहन … काली गिट्टी के लिए क्रेशर संचालकों ने 150 फिट तक खोद दी जमीन, किसान बोले- भूमि की उर्वरक क्षमता हो रही खत्म
गोहद के एक दर्जन से अधिक गांवों में काली गिट्टी के क्रेशर संचालक प्रकृति का दोहन कर रहे है। जिसके चलते आसपास के क्षेत्र की मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी खत्म होती जा रही है। जलस्तर भी गिर रहा है। जिसका प्रमुख कारण एक दर्जन से अधिक गांवों में क्रेशर मालिकों ने 150 फिट तक जमीन का खनन किया है।
इसके चलते क्रेशर संचालक ब्लास्टिंग करते है। जिससे आसपास के किसानों के खेतों की उर्वरक क्षमता पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। पहले तो किसानों की जमीन को क्रेशर संचालकों ने अच्छे दामों पर खरीदा अब उस पर क्रेशर संचालित किया जा रहा है।
काले पत्थर का बोल्डर और उसके बाद उस बोल्डर पत्थर को ट्रकों में भरकर क्रेशर पर पीसा जाता है। फिर काली गिट्टी तैयार होती है। जिसे उत्तर प्रदेश भेजा जाता है। इससे आसपास के ग्राम पाली, हडियापुरा, काकरपुरा, श्यामपुरा, बिलारा, जिगनिया, डिरमन, कल्यानपुरा, बडेरा, पिपरसना, झाकरी, सिसोहनिया, बांकेपुरा में क्रेशर के चलते आसपास की जमीन खाली है।
ग्रामीण कहते हैं कि उड़ने वाली काली गिट्टी की डस्ट फसल को बर्बाद कर रही है। आसपास रहने वाले ग्रामों के ग्रामीण को बीमार और परेशान कर रही है। इतनी गहराई में खोदा जा रहा है कि जमीन से पानी निकल रहा है। जिसके चलते आसपास का जल स्तर भी गिर रहा है। आसपास के आधा दर्जन से अधिक ग्रामों की सड़क भी क्षमता से अधिक वाहन निकलने से पूरी तरह टूटकर खत्म हो चुकी है।
कृषि विज्ञान केंद्र लहार भिंड के प्रधान डॉ. पुनीत कुमार का कहना है कि 5 फिट से ज्यादा गहराई में जमीन को नहीं खोद सकते, यह प्राकृतिक का दोहन है। आसपास का जलस्तर और गहराई से खोदी गई जमीन पूरी तरह खत्म हो जाएगी। साथ ही आसपास की उर्वरक क्षमता भी खत्म होगी। एसडीएम गोहद शुभम शर्मा ने कहा कि जल्द ही जांच दल भेजा जाएगा और शासन स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों को भी लिखा जाएगा।