अब पैकेट पर यूनिट के भी दाम, सस्ता और महंगा का अंदाजा लगा सकेंगे उपभोक्ता, एक अक्टूबर से लागू होगा ये नियम
आने वाले दिनों में उपभोक्ता यह आसानी से जान सकेंगे कि उन्हें किस सामान की खरीदारी में कितना नफा-नुकसान हो रहा है। एक अक्टूबर 2022 से लागू होने वाले नए नियम के तहत कंपनियों को खाद्य वस्तुओं के बंद पैकेट पर दो तरह के दाम लिखने होंगे। पहला उसका अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) और दूसरा इकाई मूल्य यानी यूनिट प्राइस। कंपनियों की एमआरपी तो एक हो सकती है, लेकिन यूनिट प्राइस में अंतर हो सकता है। बताया जा रहा है कि खाद्य उपभोक्ता मंत्रालय ने लीगल मेट्रोलाजी (पैकेज्ड कमाडिटीज) नियम 2011 में संशोधन किया है। इसी के तहत पैकेज्ड उत्पादों पर दो तरह के दाम लिखना अनिवार्य होगा।
यह है नियम
नए नियम के अनुसार जो कंपनियां एक किलो से ज्यादा के पैकेट तैयार करती हैं, वे एमआरपी के साथ यूनिट प्राइस भी लिखेंगी। एक किलो से कम के पैकेट पर प्रति ग्राम के दाम भी लिखने होंगे। इस प्रकार उपभोक्ताओं को एक ग्राम का दाम भी पता चल जाएगा।
इस तरह समझें
मान लीजिए पांच किलो का आटा का पैकेट है तो कंपनी को उस पर पांच किलो की एमआरपी लिखनी होगी। साथ ही एक किलो की कीमत भी लिखनी होगी। अगर पैकेट एक किलो का है तो उस पर एक ग्राम की कीमत भी लिखनी होगी। इसी तरह खाद्य तेलों के प्रति लीटर के हिसाब से दाम लिखने होंगे।
विधिक माप विज्ञान विभाग नापतौल के उप नियंत्रक एसएस राय ने कहा, ये नियम उपभोक्ताओं के फायदे के लिए है। इस नियम के लागू होने के बाद उपभोक्ता एक ग्राम या एक लीटर की कीमत भी जान सकेंगे।
नापतौल विभाग ने बीते एक वर्ष में रायपुर जिले में एमआरपी से अधिक दाम में सामान बेचने और प्रिंट में गड़बड़ी करने के मामले में 3,938 कारोबारियों के संस्थानों में जांच की। इनमें से 144 पर प्रकरण दर्ज किए गए। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इस कार्रवाई में विभाग ने आठ लाख 13 हजार रुपये की वसूली की। एमआरपी से अधिक में बिक्री व प्रिंट रेट में गड़बड़ी करने वालों पर विभाग अब सख्त हो गया है। लगातार कार्रवाई की जा रही है।
यह होगा फायदा
1. यूनिट प्राइस को देखकर उपभोक्ता विभिन्न् कंपनियों के दामों की तुलना कर सकेंगे।
2. वजन कम और कीमतें वही रखने के खेल पर लगाम लगेगी।