MP में किसान क्रेडिट कार्ड का कड़वा सच …. 35% किसानों को नहीं मिलता बैंक लोन, सूदखोरों के कर्ज में दब जाते हैं

मध्यप्रदेश में 35 लाख किसानों के पास न किसान क्रेडिट कार्ड है। उन्हें कभी बैंकों से कोई लोन भी नहीं मिला है। यह बात खुद प्रदेश सरकार के वित्त विभाग की ओर से कही गई थी। यह स्थिति तब है जब सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था। डेयरी और मछली पालन से जुड़े व्यावसायियों को भी किसान क्रेडिट कार्ड के दायरे में रख लिया है। इनको पिछले सालों में 7.5 लाख केसीसी जारी भी कर दिए गए।

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि मप्र के पिछड़े और आदिवासी जिलों के किसान फसल के लिए निजी साहूकारों से कर्ज लेने को मजबूर हैं। इनमें से बड़ी संख्या में किसानों के पास बैंक खाते हैं। मप्र में कुल किसानों की संख्या 1 करोड़ से अधिक है। इनमें 86.63 लाख किसानों के बैंक खाते हैं।

जिनके खाते उनको भी केसीसी नहीं

किसानों के खातों में प्रधानमंत्री सम्मान निधि के 6-6 हजार रुपए आ रहे हैं। यानी पीएम सम्मान निधि का पैसा पाने वाले 21.13 लाख किसानों को ही बैंकों ने किसान क्रेडिट कार्ड जारी नहीं किए। मप्र सरकार ने एक साल पहले कहा था कि मप्र में 38 लाख किसान केसीसी समेत दूसरी बैंक लोन से वंचित हैं। इसके बाद एक साल में महज 3 लाख किसानों को ही यह केसीसी जारी किए गए।

सभी किसानों को दायरे में लाना था

मप्र सरकार ने पांच वर्ष पहले तय किया था कि 2022 तक राज्य के सभी किसानों की आय को दोगुना कर देगी। इसके लिए जो रोडमैप तैयार किया, उसमें सभी किसानों को बैंकिंग कर्ज के दायरे में लाना शामिल था। कई तरह की कर्ज योजनाएं भी लाई गईं। राज्य सरकार के अनुरोध पर नाबार्ड पिछले पांच साल में चलाई गई सभी किसान कल्याण योजनाओं का अध्ययन कर रही है, ताकि पता लग सके कि इनसे किसानों की आय कितनी बढ़ सकी।

नाबार्ड 5 साल की योजनाओं के अध्ययन में जुटा

  • 1.03 करोड़ मप्र में कृषि भूमिधारक किसानों की संख्या
  • 86.63 लाख पीएम-किसान के लाभार्थी
  • 65.50 लाख बैंक द्वारा जारी किसान क्रेडिट कार्ड
  • 48.42 लाख फसल बीमा से जुड़े किसान

एक साल में केसीसी से जुड़े किसान महज 3 लाख बढ़े

मप्र में वर्ष 2020-21 में केसीसी जुड़े किसानों की संख्या 62.52 लाख थी जो 31 दिसंबर तक बढ़कर 65.50 लाख तक ही पहुंची थी। इनमें 7.5 लाख केसीसी डेयरी और मछली पालन के लिए दिए गए।

सरकार बताए : उसने क्या प्रयास किए

सरकार इतनी बड़ी तादाद में किसानों को केसीसी के दायरे में नहीं ला पाई तो साफ है कि यह किसान खाद-बीज जैसी दूसरी जरूरतों के लिए भी साहूकारों से कर्ज ले रहे हैं। ऐसे में सरकार कैसे किसानों की आय दोगुनी करेगी।

– तरुण भनोट, पूर्व वित्त मंत्री

इतनी बड़ी तादाद में किसानों का केसीसी के दायरे से बाहर होना बताता है कि सरकार के पास ठीक रोडमैप था ही नहीं। आज तक केंद्र और राज्य सरकारें नहीं बता पाए कि देश और प्रदेश में प्रति किसान आय कितनी थी और किस तरह बढ़ी।

– देवेंदर शर्मा, कृषि विशेषज्ञ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *