हाईकोर्ट ने कहा- ADGP, SP का दूर ट्रांसफर करें:रेप के आरोपी कॉन्स्टेबल के DNA सैंपल से छेड़छाड़ के दोषी अफसरों पर हो कार्रवाई
हाई कोर्ट ने रेप के आरोपी कॉन्स्टेबल को बचाने के मामले में अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमेटी से कहा है कि ADGP उमेश जोगा समेत केस से जुड़े अन्य का ट्रांसफर कहीं दूर करने के निर्देश भी दिए हैं, ताकि मामले की जांच प्रभावित न हो।
छिंदवाड़ा में पदस्थ कॉन्स्टेबल अजय साहू के खिलाफ रेप मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ में हुई। कोर्ट ने कहा कि DNA से जुड़ी दो जांच रिपोर्ट के साथ आदेश की प्रति मुख्य सचिव के माध्यम से कमेटी को भेजें। इसी के साथ हाई कोर्ट ने आरोपी की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन भी निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अफसरों ने DNA रिपोर्ट में छेड़छाड़ की थी।
अजय साहू जबलपुर का रहने वाला है। वर्तमान में छिंदवाड़ा में कॉन्स्टेबल के रूप में पदस्थ है। उसके खिलाफ अजाक थाने में दुष्कर्म व SC-ST की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ था। आरोपित को 13 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था। दुष्कर्म के बाद पीड़िता गर्भवती हो गई थी। उसका गर्भपात कराया गया। डीएनए सैंपल ठीक से सुरक्षित नहीं रखा गया।
जबलपुर जोन के एडिशनल डीजीपी उमेश जोगा ने 20 अप्रैल को हाई कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी। हाई कोर्ट ने पाया कि सिविल सर्जन शिखर सुराना ने हाई कोर्ट को गलत जानकारी उपलब्ध कराई। हाई कोर्ट ने कहा कि ADGP ने बिना विचार किए ही रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिए, जबकि उसमें स्टाफ नर्स के बयान दर्ज नहीं थे। कोर्ट ने कहा कि आरोपी एक पुलिसकर्मी है, इसलिए इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उच्चाधिकारी उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि एडीजीपी जबलपुर, SP छिंदवाड़ा, सिविल सर्जन आदि की भूमिका संदिग्ध है। इनके आचरण की जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंपा जाना था। चूंकि अब संबंधित अधिकारी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। सैंपल की पुन: जांच नहीं हो सकती, इसलिए सभी संबंधित अधिकारियों को प्रदेश के दूरदराज क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाए, ताकि वे गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकें।