ग्वालियर-चंबल अंचल …. प्रदूषण बोर्ड की ‘मेहरबानी’; नर्सिंग अस्पतालों को 7 से 10 दिन में दी बनाने से लेकर संचालन तक की मंजूरी
नर्सिंग काॅलेज से संबद्ध नर्सिंग अस्पतालों की स्थापना से लेकर उनके संचालन तक में मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की खासी ‘मेहरबानी’ रही। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अस्पतालों को बनाने फिर उनके संचालन की मंजूरी मात्र 7 से 10 दिन में दे दी, जबकि विभाग के ही एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दोनों मंजूरी के बीच में कम से कम 1 माह का अंतर रहना चाहिए।
…… ने ग्वालियर-चंबल अंचल के ऐसे 10 नर्सिंग अस्पतालों की वो रिपोर्ट हासिल की, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इस ‘मेहरबानी’ का खुलासा है। इनमें, पहले तो बोर्ड ने अस्पताल की बताई गई जगह का निरीक्षण किया और अस्पताल स्थापित करने (कंसेंट टू एस्टेबलिशमेंट) की अनुमति दी। 3 दिन बाद फिर निरीक्षण किया और रिपोर्ट में लिखा कि अस्पताल संचालन के लिए तैयार है और कंसेंट टू ऑपरेशन (सीटीओ) की अनुशंसा कर दो से तीन दिन में अनुमति दे दी गई। पढ़िए भास्कर की रिपोर्ट….
ऐसे समझें क्या हुई गड़बड़ी… पहले मिली खामियों का बाद की रिपोर्ट में जिक्र ही नहीं
गौरी अस्पताल: अपेक्स काॅलेज का पता लिखा था
भिंड स्थित अस्पताल का 16 दिसंबर 2021 को प्रदूषण बोर्ड ने निरीक्षण किया। जिस स्थान पर 180 बेड का अस्पताल संचालित होना बताया गया, वहां अपेक्स काॅलेज आफ नर्सिंग संचालित होते मिला। संचालक गजेंद्र सिंह तोमर को फोन से व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने आने से मना कर दिया।
इन खामियों के चलते कंसेंट टू एस्टेब्लिशमेंट (सीटीई) नहीं दी गई। 2 फरवरी 2022 को फिर से निरीक्षण हुआ और सीटीई की अनुशंसा की गई। तीन फरवरी को फिर से निरीक्षण हुआ। इसमें बताया कि अस्पताल संचालित होता मिला। चार फरवरी को सीटीओ प्रदान की गई। खास बात ये रही कि अनुमति देते समय पहले मिली खामियों का कोई उल्लेख नहीं था।
रौनक अस्पताल: स्कूल की बिल्डिंग में चल रहा था
2 दिसंबर 2021 को 120 बिस्तर के अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान डाॅ. आरके दमानिया मौजूद मिले। अस्पताल, स्कूल के भवन में संचालित होता मिला। कक्षों के बाहर प्रिंसिल, एग्जामिनेशन रूम की तख्ती लगी मिली थी। अस्पताल के जमीन संबंधी दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं थे। इसके आधार पर सीटीई का आवेदन निरस्त कर दिया गया।
1 फरवरी 2022 को आरके धवन की उपस्थिति में निरीक्षण किया गया। इसमें सीटीई देने की अनुशंसा की गई। चार फरवरी को फिर से निरीक्षण किया और पांच फरवरी को सीटीओ दिया गया। खास बात ये रही कि पूर्व में जिन कमियों के आधार पर अनुमति निरस्त की गई थी। अनुमति देते हुए समय उनके बारे में कोई टिप्पणी नहीं की गई।
कार्रवाई के निर्देश दिए जाएंगे
इससे पहले कमिश्नर, मेडिकल एजुकेशन द्वारा भी यह मुद्दा उठाया गया था। इस मामले में मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी को कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाएंगे। अनुमति निरस्त करेंगे। -अनिरुद्ध मुखर्जी, चेयरमैन, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
7 दिन के अंतराल में 70 से ज्यादा अस्पतालों को मिली सीटीई, सीटीओ
30 जनवरी से 5 फरवरी के बीच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रिकार्ड संख्या (70) में सीटीई और सीटीओ जारी किए। ये अस्पताल ग्वालियर, भिंड, दतिया और मुरैना जिले में स्थित हैं। इनमें सबसे ज्यादा अस्पताल ग्वालियर जिले के हैं।
तीन दिन में कार्रवाई करेंगे
क्षेत्रीय अधिकारी को इस संबंध में निर्देश दिए जाएंगे। जिन अस्पतालों को नियमों की अनदेखी करते हुए अनुमति प्रदान की गई है, वह निरस्त की जाएंगी। तीन दिन में कार्रवाई करेंगे।
-अच्युतानंद मिश्रा, मेंबर सेक्रेटरी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड