88 साल पहले खुले थे ताजमहल के 22 कमरे ….
इतिहासविद बोले- अगर कमरे खुले, तो नए रहस्य सामने जरूर आएंगे, आगरा में भी लंबित है याचिका ….
ताजमहल के 22 कमरों को खोलने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह ने याचिका दायर की है। याचिका दायर होने के बाद इन 22 कमरों के रहस्य को लेकर लोगों में उत्सुकता है। अगर याचिका स्वीकार होती है और भविष्य में इन 22 कमरों को खोला जाता है, तो क्या इन कमरों से कोई ऐसा रहस्य निकलेगा जो चौंकाने वाला होगा?
इसको लेकर इतिहासविद राजकिशोर शर्मा राजे ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। उनका मानना है कि अगर इन कमरों को खोला गया, तो कुछ चौंकाने वाले तथ्य जरूर निकलेंगे। वहीं, ताजमहल के बंद हिस्से की वीडियोग्राफी कराने की एक याचिका लंबे समय से आगरा के न्यायालय में लंबित है।
ताजमहल के 22 कमरों में खोलने और इनकी जांच के लिए समिति गठित करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। याचिका दायर होने बाद एक बार फिर ताजमहल और तेजोमहालय का विवाद सुर्खियों में आ गया है। इतिहासविद राजकिशोर राजे ने बताया कि ताजमहल में मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे बने हैं, जिन्हें बंद कर दिया गया है।
चमेली फर्श पर यमुना किनारा की तरफ बेसमेंट में नीचे जाने के लिए दो जगह सीढ़ियां बनी हुई हैं। इनके ऊपर लोहे का जाल लगाकर बंद कर दिया गया है। 40 से 45 साल पहले तक सीढ़ियों से नीचे जाने का रास्ता खुला हुआ था। वहीं, आखिरी बार इन कमरों को 88 साल पहले 1934 में खोला गया था।
इसके बाद 2015 में मरम्मत कार्य के लिए कुछ कमरों को गोपनीय रूप से खोलने की जानकारी मिली थी। मगर, पिछले 88 साल में ये कमरे सार्वजनिक रूप से नहीं खुले हैं। उनका मानना है कि अगर इन कमरों को खोलकर इनकी निष्पक्ष जांच होती है, तो कुछ नया रहस्य सामने आ सकता है।
पीएन ओक की किताब से खड़ा हुआ विवाद
ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद इतिहासकार पीएन ओक की किताब “ट्रू स्टोरी आफ ताज’ के बाद शुरू हुआ था। इतिहासविद राजकुमार का कहना है कि ओक ने अपनी किताब में ताजमहल के शिव मंदिर होने से संबंधित कई दावे किए थे। उन्होंने अपनी किताब में राजा जयसिंह के फरमानों का जिक्र करने के साथ स्थापत्य कला का उदाहरण दिया था। इसके अलावा ताजमहल में गणेश, कमल के फूल और सर्प के आकार की कई आकृतियां दिखाई देती थीं।
राजा मान सिंह से जुड़ा होने का अभिलेख
इसके अलावा ताजमहल के राजा मान सिंह से जुड़ा होने का अभिलेख जयपुर स्थित सिटी पैलेस संग्रहालय में है। इसमें जिक्र है कि राजा मानसिंह की हवेली के बदले में शाहजहां ने राजा जय सिंह को चार हवेलियां दी थीं। यह फरमान 16 दिसंबर 1633 का है। इसमें राजा भगवान दास की हवेली, राजा माधो सिंह की हवेली, रूपसी बैरागी की हवेली और चांद सिंह पुत्र सूरज सिंह की हवेलियां देने का उल्लेख है। इसके अलावा शाहजहां के फरमान में उल्लेख है कि उन्होंने जय सिंह से संगमरमर मंगवाया था, जितना संगमरमर मंगवाया गया था, उससे ताजमहल का निर्माण नहीं हो सकता।
आगरा में भी लंबित है याचिका
वर्ष 2015 में लखनऊ के हरीशंकर जैन और अन्य की ओर से अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ ने सिविल कोर्ट में ताजमहल को लार्ड श्रीअग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर विराजमान तेजोमहालय मंदिर घोषित करने को याचिका दायर की थी। इसका आधार बटेश्वर में मिले राजा परमार्दिदेव के शिलालेख को बताया गया था। 2017 में केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए ताजमहल में कोई मंदिर या शिवलिंग होने या उसे तेजोमहालय मानने से इंकार कर दिया था।
इसके बाद जिला जज ने याचिका को खारिज कर दिया था। मगर, बाद में रिवीजन के लिए याचिका दायर की गई थी। ताजमहल के बंद हिस्सों की वीडियोग्राफी कराने से संबंधित याचिका ADJ पंचम के यहां अभी विचाराधीन है।