अमेरिका, रूस और ब्रिटेन समेत 150 देशों में पत्नी से रेप संगीन अपराध, भारत में सोच- पति रेप नहीं करते
दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने पत्नी के साथ मैरिटल रेप को क्राइम घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं पर अलग-अलग फैसला दिया। हाईकोर्ट के जस्टिस शकधर ने कहा- IPC की धारा 375, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। लिहाजा पत्नी से जबरन संबंध बनाने पर पति को सजा दी जानी चाहिए। वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा कि मैरिटल रेप को किसी कानून का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।
इससे पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट से मैरिटल रेप पर चल रही सुनवाई को टालने की मांग थी। साथ ही केंद्र ने कहा था कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इस मुद्दे पर प्रभावशाली ढंग से विचार किए जाने की जरूरत है।
ऐसे में आज जानते हैं कि दुनिया के किन देशों में मैरिटल रेप अपराध है? भारत में क्यों उठ रही है ये मांग? सरकार मैरिटल रेप को अपराध घोषित क्यों नहीं करना चाहती?
क्या है मैरिटल रेप?
बिना पत्नी की इजाजत के पति द्वारा जबरन सेक्स संबंध बनाने को मैरिटल रेप कहा जाता है। बिना सहमति के संबंध बनाने की वजह से ही इसे मैरिटल रेप की श्रेणी में रखा जाता है। मैरिटल रेप को पत्नी के खिलाफ एक तरह की घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न माना जाता है।
भारत में पिछले कुछ सालों के दौरान मैरिटल रेप पर कानून बनाने की मांग तेज हुई है। दिल्ली हाईकोर्ट 2015 से ही इस मामले पर कई याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है। हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि इस मुद्दे पर कोई कानून बनाने से पहले एक व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है, क्योंकि ये समाज पर गहरा प्रभाव डालेगा।
मैरिटल रेप पर क्या कहता है भारतीय कानून?
भारतीय कानून में मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना गया है। रेप को दंडनीय अपराध घोषित करने वाली इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 375 के (अपवाद-2) के मुताबिक मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना गया है। इस अपवाद के अनुसार यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी से सेक्स संबंध बनाता है और अगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं है, तो इसे रेप नहीं माना जाएगा।
यानी भारत में अगर पति अपनी पत्नी की सहमति या बिना सहमति के सेक्स संबंध बनाता है और पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं है, तो उसे रेप नहीं माना जाता है। इसका ये भी मतलब है कि पति अगर जबरन सेक्स संबंध बनाए तो भी वह अपराध और रेप नहीं माना जाएगा।
रेप को लेकर क्या कहता है भारतीय कानून?
किसी पुरुष द्वारा महिला के साथ जबरन सेक्स संबंध बनाने को IPC की धारा 375 के अनुसार रेप माना जाता है। रेप को परिभाषित करने के लिए IPC की धारा 375 में 6 वजहें बताई गई हैं:
- महिला की इच्छा के विरुद्ध सेक्स संबंध बनाना।
- उसकी सहमति के बिना सेक्स संबंध बनाना।
- महिला या उसके किसी करीबी को जान का भय दिखाकर संबंध बनाने के लिए सहमति हासिल करना।
- जब पुरुष जानता हो कि वह महिला का पति नहीं है और महिला ने उस पुरुष को अपना पति मानकर सहमति दी हो।
- जब सहमति देते समय महिला दिमागी रूप से स्वस्थ न हो, नशे में हो या उसे कोई नशीला पदार्थ दिया गया हो।
- 16 साल से कम की महिला की सहमति या बिना सहमति के संबंध बनाना रेप है।
ऊपर बताई गई वजहों में से कोई भी भारत में शादी के बाद सेक्स संबंधों पर लागू नहीं होती है। यानी पति पत्नी से उसकी मर्जी के बिना या जबरन सेक्स संबंध बना सकता है और ऐसा करना अपराध नहीं है।
सरकार ने मैरिटल रेप के विचार को किया था खारिज
2016 में मोदी सरकार ने मैरिटल रेप के विचार को खारिज कर दिया था। सरकार ने कहा था कि देश में अशिक्षा, गरीबी, ढेरों सामाजिक रीति-रिवाजों, मूल्यों, धार्मिक विश्वासों और विवाह को एक संस्कार के रूप में मानने की समाज की मानसिकता जैसे विभिन्न कारणों से इसे (मैरिटल रेप) भारतीय संदर्भ में लागू नहीं किया जा सकता है।
2017 में, सरकार ने आईपीसी की धारा 375 के मैरिटल रेप को अपराध न मानने के कानूनी अपवाद को हटाने का विरोध किया था। सरकार ने तर्क दिया था कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो जाएगी और इसका इस्तेमाल पत्नियों द्वारा अपने पतियों को सजा देने के लिए किया जाएगा।
केंद्र ने हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट में मैरिटल रेप पर चल रही सुनवाई के दौरान कहा कि केवल इसलिए कि अन्य देशों ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर दिया है, भारत को भी ऐसा करने की जरूरत नहीं है। केंद्र ने कहा कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से पहले इस मुद्दे पर सावधानी से विचार किया जाना चाहिए। हाल ही में सरकार ने संसद में मैरिटेल रेप के मुद्दे पर कहा कि हर शादीशुदा रिश्ते को हिंसक और हर पुरुष को रेपिस्ट मानना सही नहीं होगा।
भारत में मैरिटल रेप झेलने वाली महिलाओं की संख्या करोड़ों में
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS-5) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 24% महिलाओं को घरेलू हिंसा या यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है।
- एक्सपर्ट का मानना है कि मैरिटल रेप के अधिकतर मामले समाज या परिवार के डर से कभी सामने ही नहीं आ पाते।
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2019-20) के मुताबिक, पंजाब के 67% पुरुषों ने कहा कि पत्नी के साथ जबरन सेक्स करना पति का अधिकार है।
- यौन उत्पीड़न का शिकार शादीशुदा महिलाओं से पूछा गया कि पहला अपराधी कौन था तो 93% ने अपने पति का नाम लिया।
- पत्नियों के खिलाफ यौन हिंसा के मामले में बिहार (98.1%), जम्मू-कश्मीर (97.9%) , आंध्र प्रदेश (96.6%), मध्य प्रदेश (96.1%), उत्तर प्रदेश (95.9%) और हिमाचल प्रदेश (80.2%) के पति सबसे आगे थे।
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2005-06) के मुताबिक, 93% महिलाओं ने माना था कि उनका वर्तमान या पूर्व पति ने यौन उत्पीड़न किया था।
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2015-16) के मुताबिक, देश में करीब 99% यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज ही नहीं होते।
- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक, भारत में रेप महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे बड़ा अपराध है। देश में हर दिन औसतन 88 रेप होते हैं। इनमें 94% रेप केस में अपराधी पीड़िता का परिचित होता है।
दुनिया ने कब माना मैरिटल रेप को अपराध?
जोनाथन हेरिंग की किताब फैमिली लॉ (2014) के मुताबिक, ऐतिहासिक रूप से दुनिया के अधिकांश हिस्सों में ये धारणा थी कि पति पत्नी का रेप नहीं कर सकता, क्योंकि पत्नी को पति की संपत्ति माना जाता था। 20वीं सदी तक अमेरिका और इंग्लैंड के कानून मानते थे कि शादी के बाद पत्नी के अधिकार पति के अधिकारों में समाहित हो जाते हैं।
19वीं सदी की शुरुआत में नारीवादी आंदोलनों के उदय के साथ ही इस विचार ने भी जन्म लिया कि शादी के बाद बनने वाले पति-पत्नी के सेक्स संबंधों में महिलाओं की सहमति का अधिकार उनका मौलिक अधिकार है।
दुनिया के कई देशों में अब मैरिटल रेप है अपराध
- 1922 में सोवियत यूनियन मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने वाले पहला देश था।
- सोवियत संघ के बाद 1932 में पोलैंड ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया था।
- 1960-1970 के दशक तक अधिकतर पश्चिमी देश मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर चुके थे।
- ब्रिटेन ने 1991 और अमेरिका ने 1993 में मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया।
- यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 तक दुनिया के 150 देश मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर चुके थे।
- भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान समेत केवल 34 देशों में मैरिटल रेप अपराध नहीं है।