बीते दस सालों में टेक बाजार की यह सबसे बड़ी उथलपुथल; आईपीओ मार्केट खो रहा अपनी चमक
महंगाई, बढ़ती ब्याज दरें, महामारी जो खत्म होने का नाम नहीं ले रही, रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ा युद्ध : ये सब घटनाएं टेक स्टॉक की गिरावट के लिए मिल-जुलकर जिम्मेदार हैं। 2021 का साल टेक इंडस्ट्री, स्टार्टअप्स, वेंचर कैपिटलिस्टों और क्रिप्टोकरेंसी के लिए बहुत अच्छा था, लेकिन अब वे टेक वैल्यूएशन की हकीकत से रूबरू हो रहे हैं।
आज यह हालत है कि इंडस्ट्री मुंह के बल गिर पड़ी है। क्या यह 2001 वाली दशा है, जिसे वेब क्रैश 1.0 कहा गया था या 2008 की स्थिति, जो वेब क्रैश 2.0 कहलाई थी। या शायद यह एक नया वेब क्रैश 3.0 है। बहुतेरी बड़ी कम्पनियों के स्टॉक रसातल में हैं। एप्पल को 15 प्रतिशत नुकसान हुआ है, अल्फाबेट में 12 प्रतिशत की गिरावट है, एयरबीएनबी 28 प्रतिशत के आसपास गिरा है।
जो पहले ही कमजोर स्थिति में थे, उनका नुकसान तो और बड़ा है। नेटफ्लिक्स का स्टॉक अप्रैल के बाद से अपनी आधी कीमत गंवा चुका है। सबसे मजेदार कहानी तो ट्विटर की है। टेक इंडस्ट्री में आए तूफान से अभी तक केवल ट्विटर ही अप्रभावित रहकर स्थिर बना हुआ है, जबकि वह अनेक वर्षों से सिलिकॉन वैली की दूसरी बड़ी कम्पनियों से पिछड़ता रहा है।
जाहिर है, एलन मस्क की 44 अरब डॉलर की टेकओवर-बिड ने इसे टिकाए रखा। लेकिन यह अधिग्रहण भी अब डावांडोल लग रहा है, क्योंकि वह टेस्ला के भविष्य पर निर्भर था। और जहां सब डूब रहे हैं तो टेस्ला में कौन-से सुरखाब के पर लगे हैं? बीते महीने उसके स्टॉक में 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। शुक्रवार को एलन मस्क ने धमाका किया। उन्होंने ट्वीट किया कि ट्विटर डील होल्ड पर है।
इसका कारण उन्होंने उन डिटेल्स के पेंडिंग होने को बताया, जो बताते हैं कि ट्विटर के कुल यूजर्स में से पांच प्रतिशत स्पैम या फेक हैं। मस्क का यह ट्वीट अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार की शुरुआत से ठीक पहले आया था और ट्विटर के शेयर्स 20 प्रतिशत गिर गए। इसके बाद मस्क ने यह कहकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की कि मैं अभी भी ट्विटर के अधिग्रहण के लिए प्रतिबद्ध हूं, लेकिन आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहे बाजार को नुकसान हो चुका था।
टेस्ला की हालत देखते हुए 1 अरब डॉलर की वॉकअवे-फी मस्क के लिए फायदे का सौदा ही कहलाएगी। एलन मस्क को ट्रोलिंग का चाहे जितना शौक हो, वो किसी डावांडोल कम्पनी से घाटा भला क्यों खाएंगे? हवा का रुख किस दिशा में बह रहा है, यह जानने के लिए हमें उन खुशमिजाज वेंचर कैपिटलिस्टों के सोशल मीडिया हैंडल्स चेक करने चाहिए, जो अभी कल तक एक दूसरी भाषा बोल रहे थे, लेकिन अब सहसा मार्केट करेक्शंस और कम्पनी राइट-साइजिंग जैसे शब्दों का प्रयोग करने लगे हैं। भला क्यों?
कम्पनियों और कर्मचारियों को अपने स्टॉक बेचने में मदद करने वाले इक्विटीजेन के फिल हैजलेट बताते हैं कि इस साल के शुरुआती तीन महीनों में जितने लोगों ने अपने स्टार्टअप शेयर बेचे हैं, वह पिछले साल की तुलना में दोगुने हैं। कुछ यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स के शेयर मूल्य हाल के महीनों में 44 प्रतिशत तक गिरे हैं। बीते दस सालों में टेक बाजार की यह सबसे बड़ी उथलपुथल है।
आईपीओ मार्केट अपनी चमक खो रहा है और वेंचर फंडिंग पर भी इसका बुरा असर पड़ा है। और क्रिप्टोकरेंसी के बारे में क्या, जो पिछली गर्मियों में थोड़ी गिरावट के बाद से बढ़ती ही जा रही थीं? सबसे स्थिर माना जाने वाला बिटकॉइन गत नवम्बर में 68 हजार डॉलर के पहाड़ पर चढ़ गया था, पर अब 28,600 डॉलर की गर्त में जा गिरा है। क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म कॉइनबेस को भी खासा नुकसान हुआ और अब वह 60 फीसदी नीचे गिर गया है।
बाजार पर पैनी नजर रखने वाले वेंचर कैपिटलिस्ट बिल गुर्ले कहते हैं, आंत्रप्रेन्योर और टेक इंवेस्टर्स की एक पूरी पीढ़ी का उजला नजरिया विगत 13 सालों के बेहतरीन मार्केट-रन से निर्मित हुआ था, लेकिन वे अब कड़वी हकीकत से रूबरू हो रहे हैं। फिलवक्त तो टेक इंडस्ट्री के लिए कुछ अच्छा नहीं हो रहा है।
उसके लिए यही बेहतर होगा कि वह चुपचाप बैठे और हर-कीमत-पर-ग्रोथ के मंत्र का जाप करे, जो कि वह 13 वर्षों से करती आ रही थी। उबर के सीईओ दारा खोसरोव्शाही ने इस सप्ताह कर्मचारियों के नाम लिखे एक नोट में कहा, ‘हमें अपनी कीमतों को लेकर और हार्डकोर होना पड़ेगा।’ आप देख सकते हैं, हर चीज की एक कीमत होती है!
आंत्रप्रेन्योर और टेक इंवेस्टर्स की एक पूरी पीढ़ी का उजला नजरिया विगत 13 सालों के बेहतरीन मार्केट-रन से निर्मित हुआ था, लेकिन वे अब कड़वी हकीकत से रूबरू हो रहे हैं।
(द न्यूयॉर्क टाइम्स से)