खतरे में जंगल, पुलिस फारेस्ट पर भारी माफियाराज

ग्वालियर, चंबल अंचल के जंगल से डाकुओं का भले सफाया हो गया है, लेकिन माफिया कायम हैं

ग्वालियर। ग्वालियर, चंबल अंचल के जंगल से डाकुओं का भले सफाया हो गया है, लेकिन माफिया कायम हैं। इन पर लगाम का तरीका वनविभाग, पुलिस के पास नहीं है। दुसाहसिक माफियाओं ने पिछले 2 साल में रास्ता रोकने आई पुलिस, फारेस्ट पर 6 कातिलाना हमले किए हैं। एक वनरक्षक को गोली से उड़ा दिया। इन हर बड़ी वारदात के बाद हल्ला जरूर मचा, लेकिन कुछ दिन बाद जंगलों को उजाडऩे वालों पर कसावट भी कमजोर हो गई। जिसका फायदा माफिया उठाते रहे हैं।
mafia proved to be murderers 7 times in 2 years

खतरे में जंगल, पुलिस फारेस्ट पर भारी माफियाराज
ग्वालियर और चंबल रेंज के जंगलों की तासीर के हिसाब से माफियाओं का कारोबार चलता है। ग्वालियर में घाटीगांव, भंवरपुरा, मोहना, आरोन से लेकर शिवपुरी में बम्हारी, सुभाषपुरा, सतनवाड़ा के जंगल में पत्थर माफियाओं का कब्जा है। चंबल बेल्ट में मुरेना, भिंड, श्योपुर रेत का अवैध उत्खन्न करने वालों का सिक्का और दोनों रेंज के जंगलों में शिकारियों का बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। खासबात है फारेस्ट और पुलिस के पास माफियाओं की पूरी कुंडली है। लेकिन जंगल उजाडऩे वालों पर एक्शन नहीं है। यही वजह है ये माफिया दुसाहसी हैं।
2 साल में 7 बार खूनी साबित हुए रेत, पत्थर और लकड़ी माफिया
मई 2022
ग्वालियर-डांढा खिरक के जंगल में लकड़ी चोरी करते रंगे हाथ पकड़े जाने पर माफियाओं वन टीम पर पथराव किया। गाड़ी के कांच तोड़े।
अप्रैल 2022
अशोकनगर – चंदेरी के जंगल में माफियाओं ने वन विभाग की टीम पर माफियाओं ने हमला रेंजर से राइफल छीनी, टीम को पीटा। 7 वनकर्मी जख्मी हुए।
2021
शिवपुरी- करैरा की खोड़ वन चौकी इलाके में पत्थर चोरी करने वालों न फारेस्ट टीम पर हमला किया। इसमें डिप्टी रेंजर मोहन स्वरूप गुप्ता सहकर्मी नीरज राजोरिया जख्मी हुए।
दिसंबर 21
पनिहार- अमरधा के जंगल में लाल मिट्टी और पत्थर माफियाओं ने वन टीम पर अटैक किया। वन विभाग की टीम वन्य प्राणियों की गिनती के लिए आई थी। फरवरी 21
तिघरा- लखनपुरा के जंगलों में पत्थर माफिया ने वन टीम पर गोलियां चलाई, पथराव किया।
मई 2021
तिघरा- महेशपुरा और नीलपुरा के जंगल में पत्थर माफिआ ने वन टीम पर हमला किया, डिप्टी रेंजर हरिवल्लभ चतुर्वेदी और वनरक्षक जख्मी हुआ।
दिसंबर 2021-
श्योपुर- विजयपुर के गढ़ी में रेत का अवैध उत्खन्न रोकने पहुंचे तहसीलदार सीताराम वर्मा की टीम पर अटैक, गाडिय़ां तोड़ी।
दुसाहसिक शिकारी, वन रक्षक की हत्या
मई 2020
ग्वालियर- आरोन के जंगल में सिद्वबाबा मंदिर से कुछ दूरी बाज का शिकार करने से रोकने पर शिकारी ने वन रक्षक दीपू राणा की गोली मारकर हत्या की।
तालमेल की कमी से हावी माफिया
जंगलों में माफियाओं के लगातार सिर उठाने के पीछे पुलिस और वनविभाग में तालमेल की कमी वजह सामने आती रही है। दोनों विभाग माफियाओं पर कार्रवाई में लापरवाही के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बताते हैं।
वनविभाग के अधिकारियों का कहना है जंगलों को खोद रहे माफियाओं की मैन और फायर पावर मजबूत रहती है। उत्खन्न करने वालों को लोकल लोगों का पूरा सहयोग रहता है। वन टीम के पास गिनी चुनी बंदूक हैं। उनसे भी गोली चलाओ तो कानूनी जांच पड़ताल का झमेला रहता है। पुलिस की मदद के बिना माफियाओं पर शिकंंजा नहीं हो सकता है।
जबकि पुलिस की दलील है, वन विभाग तब खबर देता है, जब माफिया उस पर हावी हो चुके होते हैं। ज्वाइंट ऑपरेशन में प्लानिंग से दविश दी जाए तो माफियाओं पर कसावट हो सकती है।

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