इंदौर, । राजनीति में सफलता का पहला मंत्र है ‘सुर्खियों के सरताज बने रहो। लोगों और मीडिया के बीच चर्चा में कैसे रहा जाता है, यह गुण अपने इंदौर में किसी में है तो वे हैं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय। वे येन-केन-प्रकारेण चर्चा में बने रहते हैं। लगता है कि अब उनके बेटे और विधायक आकाश विजयवर्गीय भी पिता के नक्शे-कदम पर चल पड़े हैं। आकाश पहले निगम अधिकारी को बल्ला मारकर चर्चा में आए थे, फिर कभी जावेद हबीब के सैलून बंद करवाने को लेकर तो कभी थाने का घेराव और कभी शराब दुकान बंद करवाने को लेकर चर्चा में रहे। बीते दिनों लाउडस्पीकर को लेकर चल रहे विवाद में भी उन्होंने अपना नाम दर्ज करवाते हुए सुर्खियां बटोर ही लीं। यहां तक कि एक पारिवारिक कार्यक्रम में पत्नी संग किए डांस के उनके वीडियो ने भी इंटरनेट मीडिया से लेकर टीवी चैनलों तक खूब वाहवाही लूटी थी।
कुलीनों के क्लब का नया ‘कल्चर’
मालवी तहजीब वाला इंदौर यशवंत क्लब के जरिये ही ‘क्लब कल्चर’ से रूबरू हुआ था। यूं तो क्लब का आधार क्रिकेट सहित कई खेल थे, लेकिन आम जनता के बीच यहां के ताशपत्ती खेल ने सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी। बहरहाल, अब धनाढ्य वर्ग के इस समूह के चुनाव से पहले उछल रहा कीचड़ भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है। कुलीनों के इस कलह को शहर तमाशबीन बनकर देख रहा है। यशवंत क्लब में चुनाव से पहले गंदी राजनीति शुरू हो गई है। हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ है। बीते चुनाव में भी एक महिला उम्मीदवार के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार हुआ था। तब बात थाने तक भी पहुंची थी और क्लब के वरिष्ठ सदस्यों ने ‘कल्चर’ बिगड़ने पर दुख जताया था। मगर वक्त के साथ वह नसीहत भुला दी गई। अब फिर वही हो रहा है। लगता है यह डर्टी पालिटिक्स क्लब का नया कल्चर बन गई है
चुनावी माहौल में यादव की बड़ी जीत!
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और पार्टी के बीच चल रही अनबन की चर्चाओं को अब विराम लगने वाला है। यादव निमाड़ में कांग्रेस और पिछड़ा वर्ग के सबसे बड़े नेता है। उनकी नाराजगी से पार्टी को आगामी निकाय चुनावों में नुकसान हो सकता था। इसे भांपते हुए पार्टी ने खंडवा, बुरहानपुर के हटाए गए चारों जिलाध्यक्षों को फिर से बहाल करने का निर्णय लिया है। कहा जा रहा है कि निमाड़ में कांग्रेस की राजनीति में एक बार फिर अरुण यादव गुट भारी पड़ा है। इन चारों को खंडवा लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने हटा दिया गया था। इसी के बाद से यादव और नाथ के बीच अनबन चल रही थी। जिलाध्यक्षों की बहाली का क्षेत्र में विरोध भी हो रहा है। विरोधियों का कहना है कि जिन कारणों से अध्यक्षों को हटाया गया था, वह कारण अब भी कायम हैं।
पार्षद बनना चाहते हैं विधायक, पूर्व विधायक और जिलाध्यक्ष
नगर निगम चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होता नजर आ रहा है यानी पार्षद अपना नेता चुनेंगे। हालांकि चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली यानी जनता द्वारा महापौर चुनने को लेकर शिवराज सरकार बड़ा बदलाव करने की तैयारी में जुटी है, मगर अभी कुछ तय नहीं है। चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होते हैं तो विधायक, पूर्व विधायक से लेकर जिलाध्यक्ष तक पार्षद का चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। एक नंबर विधानसभा से कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने तो महापौर बनने के लिए पार्षद का चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी है। शुक्ला के अलावा भाजपा-कांग्रेस के कई ऐसे नेता हैं, जो इस बारे में अपने लिए वार्ड चयन में जुट गए हैं। दो नंबर विधानसभा के भाजपा विधायक रमेश मेंदोला, भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता जैसे नेता भी इंदौर महापौर के लिए अपनी दावेदारी जता चुके हैं।