ग्रुप हाउसिंग के लिए जमीन देने की नीति में बदलाव … बिल्डरों ने 20 हजार करोड़ ठगे, 50 हजार बायर्स को अब तक नहीं मिली रजिस्ट्री

नोएडा प्राधिकरण को कंगाल बनाने के लिए जमीन देने की नीति जिम्मेदार है। बिल्डरों की देनदारी करीब 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। इन बिल्डरों ने प्राधिकरण के जमीन देने की नीति के लूप होल का फायदा उठाया। जिसमें लागत की महज 10 प्रतिशत राशि देकर जमीन का आवंटन कर दिया जाता था।

इसके बाद किस्तें बनतीं थीं। ये किस्त बिल्डरों ने जमा नहीं की। कैग ने भी अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है। प्राधिकरण की CEO रितु माहेश्वरी ने बताया, प्राधिकरण ‘ग्रुप हाउसिंग भूखंड आवंटन नीति’ में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इसके तहत अब 100 प्रतिशत भुगतान के बाद ही जमीनों का आवंटन किया जाएगा। इस प्रस्ताव को बोर्ड के समक्ष रखा जाएगा। प्राधिकरण औद्योगिक और आवासीय जमीनों को देने की नीति में ये बदलाव कर चुका है।

नोएडा प्राधिकरण की CEO रितु माहेश्वरी।
नोएडा प्राधिकरण की CEO रितु माहेश्वरी।

बिल्डरों को कैसे दिया गया लाभ?
2006-07 में भूखंड की कीमत का 40 प्रतिशत भुगतान कर ग्रुप हाउसिंग भूखंड का आवंटन करा लिया जाता था। बाकी राशि 8 सालों की किस्तों में चुकाने की सुविधा थी। 2008 से 2015 तक आवंटन नीति में बदलाव कर 10 प्रतिशत राशि का भुगतान कर जमीन का आवंटन बिल्डरों को कर दिया गया। जिसमें 40-50 हजार रुपए वर्ग मीटर बिकने वाली जमीन को 24000 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से आवंटित किया गया। इस दौरान बैंक गारंटी तक का नियम हटा लिया गया था। इस कारण 20 हजार करोड़ रुपए की राशि बिल्डरों पर बकाया है।

देनदारी के लिए प्राधिकरण जिम्मेदार
बिल्डरों की देनदारी के लिए सिर्फ प्राधिकरण जिम्मेदार है। ये बात कैग ने अपनी रिपोर्ट में भी कही है। 2005 से 2018 में 24 योजनाओं के लिए 67 भूखंड यानी (71.03) लाख वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई। बिल्डरों ने इन 67 भूखंडों को 113 उप भूखंडों में बांट दिया। 31 मार्च 2020 तक 42 परियोजनाएं पूरी हुई, 36 अधूरी रहीं जबकि 35 आंशिक रूप से पूरी हो सकीं। इन परियोजनाओं का प्रीमियम करीब 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक का था। इनमें से कुछ पैसा जमा हुआ।

बिल्डरों ने बीच में ही प्रोजेक्ट अधूरे छोड़ दिए, जिससे प्राधिकरण की काफी फजीहत हो रही है। कोर्ट के आदेश पर अधूरे पड़े प्रोजेक्ट पूरे किए जा रहे हैं।
बिल्डरों ने बीच में ही प्रोजेक्ट अधूरे छोड़ दिए, जिससे प्राधिकरण की काफी फजीहत हो रही है। कोर्ट के आदेश पर अधूरे पड़े प्रोजेक्ट पूरे किए जा रहे हैं।

मार्च 2020 तक का आंकड़ा देखें तो बिल्डरों की देयता करीब 18 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा थी, जो अब करीब 20 हजार करोड़ की हो गई है। इन परियोजनाओं में कुल एक लाख 30 हजार 5 फ्लैट थे। जिनमें से 72 हजार 697 को OC जारी की गई। 43 हजार 438 की रजिस्ट्री के लिए पैसा जमा किए गए। इनमें से 42 हजार 221 की रजिस्ट्री हुई।

औद्योगिक और आवासीय में कर दिया गया बदलाव
प्राधिकरण ने औद्योगिक और आवासीय आवंटन में बदलाव कर दिया है। इसके तहत औद्योगिक भूखंड का आवंटन के समय ही आवंटी को 100 प्रतिशत भुगतान करना होगा। इसी तरह आवासीय में 3 साल की किस्त की बजाए एक साल की किस्तें कर दी गई हैं।

नोएडा प्राधिकरण कार्यालय।
नोएडा प्राधिकरण कार्यालय।

नई नीति से ये होगा फायदा

  • बायर्स को रजिस्ट्री के लिए भटकना नहीं होगा।
  • बिल्डर भूखंड का पैसा किसी और प्रोजेक्ट में डायवर्ट नहीं कर सकेगा।
  • बिल्डर को प्रोजेक्ट कंपलीट करना होगा, क्योंकि वे भुगतान कर चुका होगा।
  • प्राधिकरण को बकाया लेने के लिए बार-बार बिल्डर को नोटिस जारी नहीं करना होगा।
  • अदालतों के चक्कर से निजात मिल सकेगी।

वर्तमान में क्या है समस्या

  • नोएडा में 50 हजार से ज्यादा बायर्स ऐसे, जिनकी रजिस्ट्री नहीं हुई।
  • बिल्डर की देनदारी करीब 20 हजार करोड़।
  • बिल्डर पैसा जमा करे तो रजिस्ट्री होगी।
  • बिल्डरों ने भूखंड आवंटन के बाद पैसा डायवर्ट कर दिया।
  • बिल्डरों ने प्रोजेक्ट कंपलीट नहीं किए और अब कोर्ट के आदेश पर प्रोजेक्ट पूरे किए जा रहे हैं।
  • बायर्स, प्राधिकरण दोनों ही कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं।

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