ग्वालियर । स्मार्ट सिटी कारपोरेशन ने शहर में 15.6 किलोमीटर लंबी स्मार्ट रोड बनाने का ठेका देश की नामी कंपनी एलएंडटी को दिया है। शहरवासियों ने उम्मीद की थी कि कंपनी तय समय में सड़क तैयार कर देगी। निर्माण कार्य की कछुआ चाल (धीमी गति) शहरवासियों के लिए मुसीबत बन गई है। निर्माण कंपनी ने शीतला सहाय चौराहे से लेकर रायपायगा तिराहे तक सड़क को खोद दिया है, जिस कारण दिनभर धूल उड़ती रहती है। इसी मार्ग पर जयारोग्य चिकित्सालय (जेएएच) और क्षय रोग अस्पताल है, जहां हमेशा मरीज भर्ती रहते हैं। जेएएच की ओपीडी में हर दिन करीब 1000 मरीज आते हैं। साथ ही इसी मार्ग से हर दिन करीब 57 हजार लोग गुजरते हैं। खुदी सड़क के कारण दो पहिया वाहन चालकों को ज्यादा परेशानी हो रही है, आए दिन चालक खुदी सड़क पर गिरकर चोटिल हो रहे हैं।

एललएंडटी ने दिसंबर 2020 में स्मार्ट रोड का निर्माण कार्य प्रारंभ किया था। 15.6 किलोमीटर लंबे इस सड़क निर्माण के कार्य को 18 माह में पूरा करना था। मई 2022 को इस कार्य को शुरू किए 17 माह हो चले हैं, लेकिन अभी तक कंपनी ने सिर्फ 2 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण ही किया है। इसमें भी जो कार्य बताए गए थे वह भी अधूरे हैं। महल गेट से मांडरे की माता तक सड़क निर्माण के दौरान होने वाले सुंदरीकरण के कार्य आज भी अधूरे हैं। करीब तीन माह पूर्व एलएंडटी कंपनी ने शीतला सहाय चौराहे से राजपायगा रोड के निर्माण का कार्य शुरू किया है। यहां कार्य की बेहद धीमी गति के कारण लोग परेशान हो रहे हैं।

राजपायगा रोड पर उड़ती है धूल, आसपास हैं अस्पताल

राजपायगा रोड पर जेएएच के साथ ही करीब आधा दर्जन निजी नर्सिंग होम भी हैं। सड़क पर दिन भर धूल उड़ती रहती है, इसके कारण अस्पताल में भर्ती मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही अटेंडेंटों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

क्षय रोग मरीजों के लिए काल हैं धूल के कण

क्षय रोग (टीबी), अस्थमा और जिन लोगों को धूल से एलर्जी है, उनके लिए राजपायगा मार्ग से गुजरना काल को निमत्रंण देने जैसा हो गया है। अस्थमा और टीबी के मरीजों के फेफड़ों में श्वांस के द्वारा धूल जाने पर हालत खराब हो जाती है। इन लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। समय पर इलाज नहीं मिलने पर भर्ती करने तक की नौबत बन जाती है।

खाली पेट भरने भोजन के साथ धूल खा रहे लोग

ऩाजयारोग्य चिकित्सालय में ग्वालियर चंबल संभाग सहित राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश तक के मरीज इलाज के लिए आते हैं। यहां पर बाहर से आने वाले मरीजों के अटेंडेंट पेट भरने के लिए जयारोग्य चिकित्सालय के बाहर लगने वाले ठेलों पर भोजन एवं नाश्ता करते हैं। इन ठेलों के अलावा करीब 500 से 1000 मीटर की दूरी तक साफ स्थान पर बैठकर भोजन की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सड़क पर उड़ रही धूल भी भोजन के साथ लोगों के शरीर में पहुंच रही है। ऐसे खानपान से भी लोग बीमार हो सकते हैं।़ऩिादो पहिया वाहन चालकों के लिए परेशानी बनी सड़क: दो पहिया वाहन चालकों के लिए यह सड़क बड़ी मुसीबत बन चुकी है। यहां पर मिट्टी के बड़े-बड़े ढेर एवं खुदी सड़कों के कारण दो पहिया वाहन चालकों की आखों में धूल मिट्टी जाने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

राजपायगा रोड पर धूल के कारण आ रही परेशानी के लिए एलएंडटी कंपनी के अधिकारियों को यहां पर सफाई रखने एवं पानी का छिड़काव करने का निर्देश दिया जाएगा। साथ ही जो भी परेशानी है उसे हल कर दिया जाएगा।

अंकित शर्मा, परियोजना प्रभारी, स्मार्ट सिटी

श्विांस के जरिए धूल फेफड़ों में जाने से लोगों को अस्थमा एवं टीबी की बीमारी हो सकती है। साथ ही जिन लोगों को पहले से अस्थमा-टीबी या धूल से एलर्जी है, उनके लिए यह काफी परेशानी खड़ी कर सकती है। तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ सकता है।उ

उज्जवल शर्मा, टीबी एंड चेस्ट रोग विशेषज्ञ

यह बात सही है कि माधव डिस्पेंसरी के सामने धूल की समस्या है। इसे मैं सुबह ही दिखवाता हूं, धूल को हटाने के लिए जो भी हल हो सकेगा हम करेंगे। कंपनी की तरफ से जनता को परेशानी नहीं आने दी जाएगी। सड़क निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है, दूसरे फेज में कंपू के हिस्से में अधिकांश काम हो चुका है।

मणि, प्रोजेक्ट इंजीनियर, एलएंडटी