ग्वालियर .. नगर निगम चुनाव- 23 वार्डों में दौड़ से बाहर हो गए BJP की शहरी राजनीति के धुरंधर

 

– वार्ड आरक्षण से दोनों प्रमुख दलों के सामने खड़ी हुईं बड़ी समस्या
– MIC मेंबर और नगर निगम में लगातार पार्षद रहे नेताओं के वार्ड हुए आरक्षित

ग्वालियर ….मध्यप्रदेश में होने जा रहे नगर निगम के चुनावों के पहले ग्वालियर शहर की सरकार बनाने के लिए नगर निगम के 66 वार्डों का आरक्षण बुधवार को हो गया है। आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद पिछले काफी समय से बने हुए राजनीतिक परिदृश्य में अब बदलाव दिखेगा। इस बार 23 ऐसे वार्डों में बदलाव हुआ है, जहां भाजपा और कांग्रेस की स्थानीय राजनीति कर रहे बड़े नाम लगातार पार्षद थे। इनमें से अधिकतर वे वार्ड हैं, जो सामान्य थे और अब ओबीसी के खाते में चले गए हैं।

वहीं कुछ वार्ड ऐसे हैं जो ओबीसी थे और अब सामान्य हो गए हैं। दो वार्ड ऐसे हैं, जो अजा से ओबीसी हो गए हैं। नगर निगम में जाने की इच्छा बनाए बैठे ये बड़े नाम अब अपने वार्डों में चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इनमें से सिर्फ वार्ड-53 ऐसा है जो फिर से सामान्य हो गया है। इस सामान्य वार्ड से पूर्व में खुशबू गुप्ता पार्षद रही हैं।

आरक्षण होने के बाद ही अब शहरी राजनीतिक समीकरणों में भी बदलाव आएगा। जो सामान्य चेहरे चुनावी दौड़ से बाहर हुए हैं अब वे अपने ही किसी समर्थक को टिकट दिलवाने के लिए कोशिश शुरू करेंगे। इसको लेकर बुधवार की शाम को कुछ वरिष्ठ पार्षदों की बैठक भी हुई है। सूत्र बताते हैं कि इस बैठक में यह समझौता करने की कोशिश की गई है कि एक दूसरे के समर्थक को टिकट दिलाने में वे अड़ंगे नहीं लगाएंगे। कुल मिलाकर वार्डों में हुए आरक्षण के चलते कांग्रेस के साथ ही भाजपा भी काफी हद तक तनाव में आ गई है।

यह बदलाव : दोनों दलों को ऐसे करेगा प्रभावित
 वार्ड-1 से भाजपा नेता जगत सिंह कौरव लगातार दो कार्यकाल से पार्षद हैं, अब यह वार्ड सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गया है।

– सामान्य रहा वार्ड-2 अब ओबीसी हो गया है, यहां से पार्षद शशि शर्मा अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

– ओबीसी रहा वार्ड-3 अब सामान्य वर्ग के खाते में गया है। यहां से पार्षद मंजू राजपूत अब अपने वार्ड में दौड़ से बाहर हैं।

– वार्ड-4 में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के करीबी माने जाने वाले रिंकू परमार की पत्नी गौरी परमार पार्षद थीं, यह वार्ड अब ओबीसी के लिए आरक्षित हो गया है।

– वार्ड-9 से विकास जैन पार्षद थे, अब यह वार्ड भी ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है।

– वार्ड-12 से कांग्रेस नेता और नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रहे कृष्णराव दीक्षित लगातार पार्षद रहे हैं, अब यह वार्ड ओबीसी महिला के खाते में गया है।

– वार्ड-24 से पार्षद और एमआइसी मेंबर रहे दिनेश दीक्षित भी दौड़ से बाहर हैं, इनका वार्ड अब ओबीसी के लिए आरक्षित हो गया है।

– वार्ड-26 से भाजपा जिला उपाध्यक्ष और एमआइसी मेंबर धर्मेन्द्र राणा पार्षद रहे हैं, यह वार्ड अब अनारक्षित महिला के लिए आरक्षित है।

– वार्ड-27 से पार्षद और भाजपा से बगावत करके निर्दलीय चुनाव जीतने वाले बृजेश गुप्ता का वार्ड अब ओबीसी के खाते में चला गया है।

– वार्ड- 31 से कांग्रेस नेता राजेश सिंह भदौरिया तीन बार के पार्षद हैं, अब इनका वार्ड ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हो गया है।

– वार्ड-38 से पार्षद और नगर निगम के सभापति रहे राकेश माहौर का वार्ड अब ओबीसी के लिए आरक्षित हो गया है।

– वार्ड-39 से पार्षद रहीं भाजपा नेता अलबेल घुरैया की पत्नी गंगा घुरैया का वार्ड अब अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

– वार्ड-42 से पार्षद और पूर्व में नगर निगम सभापति रह चुके गंगाराम बघेल का वार्ड अब अनारक्षित हो गया है।

– वार्ड-45 से विधायक डॉ. सतीश सिकरवार की पत्नी डॉ. शोभा सिकरवार पार्षद रही हैं, इस वार्ड में बदलाव नहीं हुआ है।

– वार्ड-48 से भाजपा नेता और एमआइसी मेंबर सतीश बोहरे लगातार पार्षद हैं, अब यह वार्ड ओबीसी के लिए आरक्षित हो गया है। बोहरे का घर वार्ड-49 के अंतर्गत समाधिया कॉलोनी में है यह वार्ड अब अनारक्षित महिला के लिए आरक्षित है। वहीं इसी वार्ड से पूर्व में पार्षद रहे और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का वार्ड ओबीसी के लिए आरक्षित हो गया है।

– वार्ड-50 से भाजपा के पूर्व संभागीय मीडिया प्रभारी की पत्नी वंदना अरोरा पार्षद और एमआईसी मेंंबर थीं। अब यह वार्ड ओबीसी के हिस्से में चला गया है।

– वार्ड-51 से पार्षद रहे हरीपाल का वार्ड अब सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गया है।

– वार्ड-52 से पार्षद रहे सुजीत भदौरिया का वार्ड अब अनारक्षित महिला के लिए आरक्षित है।

– वार्ड-53 से पार्षद और लगातार एमआइसी मेंबर खुशबू गुप्ता का वार्ड पहले भी सामान्य था अब भी सामान्य है।

– वार्ड-55 से पार्षद और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आईं तबस्सुम इरफान बेग का वार्ड सामान्य हो गया है। यहां से पूर्व में मनोज तोमर पार्षद रहे थे, इनको दोबारा मौका मिल सकता है।

– वार्ड-56 पार्षद से विधायक बने डॉ सतीश सिकरवार का क्षेत्र माना जाता है, अब यह वार्ड ओबीसी के लिए आरक्षित हो गया है। सिकरवार इस वार्ड से अपने बेटे को पार्षद का चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे थे।

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