– शहर में सोने चांदी की करीब एक हजार दुकानें हैं संचालित, जिनमें अधिकतर दुकानदारों के पास नहीं हालमार्क

ग्वालियर.  भले ही सोना 50 हजार के पार चल रहा है लेकिन सोने की खरीददारी खूब हो रही है। पहले जो लोग पारंपरिक रूप से बिना हालमार्क और यूनिक आईडी वाली ज्वैलरी खरीदते थे अब यहीं लोग होलमार्क वाली ज्वैलरी खरीदने में दिलचस्पी ले रहे हैं। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण सोेने में लगना वाला टांका और रिप्लेसमेंट पॉलिसी भी है। परंपरागत तरीके से जो लोग सोना खरीदते रहे हैं उनको जब सोना बेचने या रिप्लेस करने की जरूरत पड़ती है तो 15 से 20 फीसदी घाटा झेलना पड़ता है जबकि यही ज्वैलरी संबंधित द्वारा सोने के तय भाव में खरीदी जाती है। इस घाटे से बचने के लिए और सोने की शुद्धता के लिए लोग हालमार्क व यूनिक आईडी नंबर वाला सोना खरीदना पसंद कर रहे हैं। इसी पसंद के चलते हालमार्क वाली ज्वैलरी खरीदने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अगर सराफा व्यवसायियों की मानें तो हालमार्क वाला सोना खरीदने वालों में 70 से 80 फीसद ग्राहक हो गए हैं। 20 से 25 फीसद लोग अभी भी परंपरागत तरीके से बिना हालमार्क वाला सोना खरीदते हैं। खास बात ये है कि हालमार्क वाली ज्वैलरी का मौजूदा भाव मिलता है। यही कारण है कि लोगों में हालमार्क के प्रति विश्वास बढ़ा है। आप को बता दें कि लश्कर ग्वालियर और मुरार में सोने चांदी की करीब एक हजार छोटी बड़ी दुकानें है। लेकिन हालमार्क का पंजीयन महज सवा सौ दुकानों के पास ही है। कई छोटे मोटे दुकानदार ऐसे हैं जो शुद्धता के नाम पर मिलावटी सोना सोने के दामों में बेच देते हैं।

हालमार्क का ये होता है फायदाः हालमार्क की ज्वैलरी की जानकारी पूरी ग्राहक को पर्चे व सील पर मिल जाती है। ज्वैलरी कितने कैरेट सोने की है। यह बताने की जरूरत तक नहीं पड़ती। हालमार्क वाली ज्वैलरी मौजूदा भाव में बेची जा सकती है। जिसकी शुद्धता की गारंटी होती है। जबकि बिना होलमार्क का सोना कितने कैरेट का होता है यह ग्राहक के लिए जानना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। कई दुकानदार ऐसे भी हैं जो 18 कैरेट का सोना बेचते हैं और भाव 22 कैरेट का लगाते हैं। इस तरह की हकीकत जिले के नगर कस्बों के दुकानदारों के बीच देखी जा सकती है।

सबसे ज्यादा बिकता है 18 कैरेट का सोनाः ज्वैलर्स चंदन अग्रवाल का कहना है कि 60 फीसद लोग 18 कैरेट के गहने खरीदना पसंद करते हैं, 36 फीसद लोग 22 कैरेट और बाकी के लोग 24 कैरेट सोना खरीदते हैं। जबकि गहने खरीदने वाले 70 फीसद लोग डिजिटल भुगतान करते हैं। जबकि 30 फीसद लोग ही नगद भुगतान करते। नगद भुगतान करने वालों में ग्रामीणों की संख्या अधिक होती है।

हालमार्क यूनिक आइडी से ग्राहक की डिटेल पहुंचेगी सरकार परः सोना चांदी व्यवसाय संघ के अध्यक्ष पुरुषोत्तम जैन का कहना है कि अभी हालमार्क यूनिक आइडेंटीफिकेशन एक छह अंकों का कोड है जो खरीदार की पहचान का आधार नंबर होता है। जिसे हर ज्वैलरी पर लगा कर देनी होती है। अभी 2 लाख की ज्वैलरी खरीदने वाले ग्राहक की जानकारी शासन के पोर्टल पर अपलोड करनी पड़ती है। एक जून से यदि सरकार छोटे से छोटे गहने पर यूनिक आइडी कोड दर्ज करने व ग्राहक की डिटेल मांगती है तो हर ग्राहक की जानकारी पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। जिसमें ग्राहक से आधार कार्ड की भी शासन के निर्देश पर मांग की जा सकती है।