Gwalior ….. तीन दशक में ग्वालियर दक्षिण विधानसभा दिए शहर को पांच महापौर
ग्वालियर … पिछले तीन दशक से महापौर की सीट पर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेताओं का कब्जा बरकरार रहा है। दक्षिण के नेताओं के महापौर निर्वाचित होने का सिलसिला अरुणा सैन्या से शुरू हुआ था। ग्वालियर में महापौर पद पर 59 सालों से भाजपा का राज है। अनुसूचित वर्ग की अरुणा सैन्या के अलावा पूरन सिंह पलैया, समीक्षा गुप्ता व दो बार विवेक नारायण शेजवलकर महापौर निर्वाचित हो चुके हैं। वर्ष 2019 में कार्यकाल पूरा होने पर भंग हो चुकी नगर सरकार में सामान्य वर्ग से विवेक नारायण शेजलकर महापौर थे, जो अब सांसद हैं। वह भी दक्षिण क्षेत्र के निवासी हैं। नगरीय निकाय चुनाव की अधिसूचना भी अगले सप्ताह जारी होनी है। भाजपा सरकार ने कमल नाथ सरकार के महापौर के चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से कराने के फैसले को पलट दिया है। अब जनता सीधे अपना महापौर चुनेगी।
बहुमत के बाद भी महापौर नहीं बना पाई कांग्रेस: शहर में कांग्रेस की ओर से अंतिम महापौर चिम्मन भाई मोदी थे, जो वर्ष 1959 में निर्वाचित हुए थे। उसके बाद से कांग्रेस का कोई उम्मीदवार महापौर निर्वाचित नहीं हो पाया है। वर्ष 1994 में महापौर का पद अनुसूचित वर्ग की महिला के लिए आरक्षित था और महापौर का चुनाव पार्षद द्वारा किया जाना था। नगर परिषद में कांग्रेस का बहुमत था, लेकिन विषम परिस्थितियां उत्पन्ना हो गईं। कांग्रेस से अनुसूचित वर्ग की कोई महिला महापौर निर्वाचित नहीं हो सकी। कांग्रेस ने अनसूचित वर्ग की महिला पार्षद प्रेमलता को भाजपा से तोड़कर महापौर का चुनाव लड़ाया, लेकिन कांग्रेसी पार्षदों के क्रास वोटिंग के कारण भाजपा की अरुणा सैन्या अप्रत्याशित रूप से निर्वाचित हुईं। उसके बाद से ही लगातार दक्षिण क्षेत्र का महापौर बनने का सिलसिला शुरू हुआ था।
इस बार दावेदारी कमजोर
दक्षिण विस क्षेत्र से कांग्रेस के प्रवीण पाठक विधायक हैं। महापौर का पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित होता है तो दक्षिण से भाजपा व कांग्रेस से सामान्य वर्ग की महिला नेत्री टिकट के लिए दावेदारी कर रहीं हैं। वर्तमान में दोनों दलों से दक्षिण विधानसभा की महिला नेत्रियों की दावेदारी कमजोर मानी जा रही है। यह महिला नेत्री दोनों दलों में टिकट की दौड़ में ही पिछड़ सकती है। पूर्व विधानसभा क्षेत्र से महिला उम्मीदवारों की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।
पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों ने उम्मीद नहीं छोड़ी
प्रदेश सरकार ने इस बात के संकेत दिए हैं कि इस बार ग्वालियर महापौर का पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित होगा। इसके बाद भी पिछड़ा वर्ग के कार्ड के सहारे इस वर्ग के नेता महापौर पद पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित करने का दबाव बना रहे हैं। इनका तर्क है कि दो बार यह पद सामान्य वर्ग व एक बार महिला अनुसूचित वर्ग, पुरूष अनुसूचित वर्ग व महिला पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रह चुका है। पिछड़े वर्ग के साथ यह पद अब तक सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित नहीं रहा है। पूर्व में हुई आरक्षण प्रक्रिया में महापौर ग्वालियर का पद महिला सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हुआ था, इसलिए महिला वर्ग की दावेदारी मजबूत नजर आती है। अगले सप्ताह महापौर पद पर अंतिम फैसला होने के बाद टिकट की दौड़ शुरू होगी।
पिछले तीन दशक से महापौर की सीट पर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेताओं का कब्जा बरकरार रहा है …