कागजों में हरियाली:नर्मदा के आसपास 38% वनक्षेत्र रह गया, इसमें भी 20% खराब हो चुका

मप्र की ‘लाइफलाइन’ नर्मदा नदी के कैचमेंट में सिर्फ 38% ही वनक्षेत्र रह गया है। इसमें भी 20% से 25% वनक्षेत्र खराब हो गया है। सबसे ज्यादा नुकसान होशंगाबाद और निमाड़ के खंडवा व इंदौर में हो रहा है, जबकि डिंडोरी में 38 हजार हैक्टेयर बिगड़े वनों का सुधार हुआ। विशेषज्ञ नर्मदा के कैचमेंट में वन क्षेत्र घटना सही नहीं मान रहे हैं। इसीलिए सालों बाद इस बार राज्य सरकार नर्मदा के कैचमेंट (जलग्रहण क्षेत्र) में ही 1.32 करोड़ पौधे लगाने जा रही है।

इसकी शुरुआत विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून से होगी जो 31 जुलाई तक चलेगी। इसके अलावा भी सवा दो करोड़ पौधे वन विभाग और लगाएगा। इस बार वन समितियों के साथ स्थानीय लोगों व सभी विभागों को साथ जोड़ा जा रहा है। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार 18 हजार 406 हैक्टेयर में ये पौधे लगाए जाने हैं। नर्मदा के कैचमेंट में पिछले कुछ सालों में कितना वनक्षेत्र कम हुआ है इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। यहां बता दें कि नर्मदा नदी का कुल कैचमेंट 98,796 वर्ग किमी है। इसमें से मप्र के हिस्से में 85,149 वर्ग किमी क्षेत्र आता है जो 87% है। इसी में 32 हजार 400 वर्ग किमी (38%) फॉरेस्ट एरिया है।

तीन साल में पौधे लगाने पर ही हो चुके हैं करीब 600 करोड़ खर्च, इस बार फिर रखा है 225 करोड़ का बजट

हर साल मप्र में पौधरोपण होता है। वर्ष 2019 से लेकर अभी तक करीब 600 करोड़ रुपए इस पर खर्च किए जा चुके हैं। इस बार भी 225 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। वन विभाग इस साल नर्मदा के कैचमेंट में लगने वाले 1.32 करोड़ पौधों को मिलाकर कुल 4.5 करोड़ पौधे लगाएगा।

नर्मदा के मुहाने लगे यूकेलिप्टस हटेंगे

‌‌वर्ष 1970-80 के दौरान 400 हैक्टेयर क्षेत्र में यूकेलिप्टस के पौधे लगाए गए थे। इन्हें अब हटाया जा रहा है। दो सौ हैक्टेयर के यूके लिप्टस काट दिए गए हैं। बाकी भी इस साल कटेंगे। इसके बदले में साल, सागौन, आंवला, महुआ, अचार, हर्रा और स्थानीय प्रजाति के पेड़ लगाए जाएंगे।

नर्मदा का कैचमेंट एरिया पूरी तरह जंगल से भरा होना जरूरी- सूद

सेवानिवृत्त एपीसीसीएफ ललित सूद का कहना है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने 1985 से 2005 तक नर्मदा पर बने बांधों के डूब क्षेत्र के बदले वैकल्पिक पौधरोपण किया। यह आज भी बेहतर है। लेकिन तब जरूरत के मुताबिक राशि खर्च नहीं हसे पाती थी। नर्मदा के कैचमेंट में वन विभाग अब पौधे लगा रहा है तो यह अच्छी चीज है। वैसे केंद्र सरकार की गाइड लाइन कहती है कि जहां कुल क्षेत्र का 33 फीसदी वन क्षेत्र है तो वह बेहतर स्थिति है, लेकिन नर्मदा के कैचमेंट में फॉरेस्ट एरिया पूरी तरह जंगल से भरा होना अच्छा होगा।

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