इंदौर .. विश्व पर्यावरण दिवस … 7 साल में शहर की फिजा 40 फीसदी तक शुद्ध हुई, लेकिन भूजल स्तर और ग्रीन कवर घट गया
क्षेत्रफल और जनसंख्या के मान से शहर में 33 फीसदी ग्रीन कवर की जरूरत है, लेकिन ताजा सर्वे में यह 19 फीसदी के आसपास मिली
- स्वच्छता, तंदूर चलाने पर रोक और सिग्नल पर इंजन बंद जैसी मुहिम से हुआ सुधार
- अब 600 से 650 फीट गहराई तक बोरिंग करने पर मिल रहा पानी, जनसंख्या के मान से शहर में 33% ग्रीन कवर की जरूरत पर यह 19% ही है
स्वच्छता में लगातार पांच साल से नंबर वन इंदौर की हवा पिछले सात साल में 40 फीसदी तक शुद्ध हुई है, लेकिन भूजल स्तर 13.68 मीटर से गिरकर 3.20 मीटर पहुंच गया है। बाहरी इलाकों में नर्मदा पानी नहीं पहुंचने से ज्यादा से ज्यादा बोरिंग पर निर्भरता के कारण भूजल स्तर गिरता जा रहा है।
अभी 600 से 650 फीट गहराई तक बोरिंग करने पर पानी मिल रहा है। पौधा रोपण के तमाम दावों के बावजूद इंदौर की हरियाली कम हुई है। क्षेत्रफल और जनसंख्या के मान से शहर में 33 फीसदी ग्रीन कवर की जरूरत है, लेकिन ताजा सर्वे में यह 19 फीसदी के आसपास मिली है। वहीं बढ़ता ध्वनि प्रदूषण लोगों में चिड़चिड़ापन और क्रोध बढ़ा रहा है। ईएनटी एक्सपर्ट की मानें तो शोर बढ़ने से कान की परेशानी से जुड़े करीब एक हजार नए मरीज हर माह मिल रहे हैं।
हवा- एक्यूआई 125 से 76 पर
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक अतुल कोटिया ने बताया कि 2015-16 में इंदौर का औसत एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 125 था, जो 2021-22 में करीब 40 फीसदी सुधरकर 76 रह गया है। स्वच्छता को लेकर किए गए कामों के अलावा उद्योगों के प्रदूषण, तंदूर चलाने पर रोक, सिग्नल पर इंजन बंद जैसी मुहिम और अन्य प्रयासों से आबोहवा बेहतर हुई है। हालांकि कोरोना के लॉकडाउन के चलते 2020-21 में एक्यूआई 70 दर्ज हुआ था।
भूजल- निरंजनपुर, लसूड़िया, गांधी नगर में 650 फीट नीचे चला गया
पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर संजय व्यास के मुताबिक पिछले सात साल में शहर में भूजल स्तर तेजी से गिरा है। 2015 में यह 13.68 मीटर था, जो गिरकर 2019 में 3.59 मीटर पहुंच गया। अभी 3.20 मीटर के आसपास है। निरंजनपुर, लसूड़िया, गांधी नगर और मूसाखेड़ी क्षेत्र में 650 फीट तक बोरिंग करना पड़ रहे हैं।
हरियाली- सड़क चौड़ीकरण के साथ अन्य निर्माण कार्यों के कारण असर
पर्यावरणविद् ओपी जोशी के मुताबिक सड़क चौड़ीकरण सहित शहर के अन्य निर्माण कार्यों और उनकी तुलना में पौधे नहीं लगाने के कारण शहर का ग्रीन कवर घट गया। इससे तापमान भी बढ़ रहा है। ढाई दशक पहले तक शहर का औसत तापमान 35-36 डिग्री तक था जो अब 43 से 45 तक पहुंच गया है।
शोर शराबा- खराब कर रहा कान, हर माह एक हजार नए मरीज आ रहे
ईएनटी डॉ. विजय चौरड़िया के मुताबिक जिन क्षेत्रों में अधिक ध्वनि प्रदूषण हैं वहां मरीज अधिक मिल रहे हैं। सुनने की क्षमता से जुड़े एक हजार नए मरीज हर माह आ रहे हैं। प्रदूषण बोर्ड के मुताबिक रेलवे स्टेशन, सरवटे, गंगवाल बस स्टैंड, विजय नगर चौराहा, राजबाड़ा, महूनाका, पलासिया चौराहा, बंगाली चौराहा, भंवरकुआं चौराहे, एमजी रोड प्रदूषण के हाॅट स्पॉट हैं।
तालाब- छोटा सिरपुर को छोड़कर बाकी तालाबों का पानी पीने योग्य है
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक एसएन पाटिल के मुताबिक यशवंत सागर, बिलावली, पीपल्यापाला, बड़ा सिरपुर और छोटा सिरपुर तालाब के पानी की बोर्ड नियमित जांच करता है। छोटा सिरपुर तालाब को छोड़ बाकी का पानी ट्रीट कर पीने योग्य है। छोटा सिरपुर तालाब में सीवरेज का पानी मिलने की आशंका है।