बच्चों की मौत में MP की हालत यूपी-बिहार से बदतर ?

प्रति हजार 43 नवजात की मौत, ये देश में सबसे ज्यादा; जानिए क्यों?

यह घटना बता रही है कि प्रसव में एक रात की देरी भी कितनी जानलेवा है। टाइमिंग का यह खुलासा तब हुआ, जब इसकी जांच की गई। ………….ने जब ऐसे मामलों को तलाशा तो पता चला कि 50% से ज्यादा मामलों में अस्पताल मौत का कारण ही दर्ज नहीं करते। कारण के कॉलम में ‘अन्य’ शब्द भरकर खानापूर्ति की जा रही है, जिससे मौत का कारण पता ही नहीं चले। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर सबसे ज्यादा है। हर 1000 में 43 नवजातों की मौत हो जाती है। किलकारी खामोशी होती जा रही हैं। कारण छुपाए जा रहे हैं, जबकि बीमारियों के अलावा ऐसी लापरवाही भी मौत की बड़ी वजह है। पढ़िए डिटेल रिपोर्ट…

दूसरी घटना बालाघाट की है। योगेश्वरी धर्मेंद्र के नवजात शिशु की SNCU (बच्चों का ICU) में 12 नवंबर 2021 को मौत हो जाती है। जब कारण की जांच होती है, तो पता चलता है कि योगेश्वरी को 40 हफ्ते का गर्भ था। वह जिला अस्पताल में सुबह 4.15 बजे आती है। दोपहर में 12.52 बजे नॉर्मल डिलीवरी करा दी जाती है। बाद में स्टाफ लिखता है कि योगेश्वरी का मामला अवरूद्ध प्रसव का था। उसकी सिजेरियन डिलीवरी करानी थी, लेकिन गायनकोलॉजिस्ट ने सामान्य प्रसव कराया। नतीजा, गर्भस्थ शिशु की बर्थ एस्फिक्सिया से मौत हुई। अब मामले में जांच होगी कि डिलीवरी नॉर्मल क्यों होने दी गई? जब केस टिपिकल था?

मौत के सही कारण भी नहीं दर्ज कर रहा विभाग
NHM की MD प्रियंका दास द्वारा की गई चाइल्ड डेथ समीक्षा में सामने आया कि 2021-22 में 29,533 बच्चों की मौत के कारण दर्ज करने में बड़ी चूक की गई है। शिशु मृत्यु के 13,953 मामलों में मौत की वजह में ‘अन्य’ दर्ज किया गया है, जबकि 11,727 बच्चों की मौत का कारण ‘घर पर देरी’ लिखा है। इन सभी मामलों में मौत की सही वजह पता कर डेटा अपडेट करने के निर्देश दिए हैं।

देश में सबसे बेहतर ​स्थिति मिजोरम की
इंफेंट मोर्टेलिटी रेट (IMR) के मामले में मप्र की स्थिति बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ से भी बदतर है। बीती 25 मई को जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) की ​रिपोर्ट के मुताबिक मप्र में जन्म लेने वाले एक हजार बच्चों में से 43 बच्चों की मौत, जन्म के 28 दिन से एक साल के भीतर हो जाती है। SRS रिपोर्ट 2020 के अनुसार इंफेंट (28 दिन से एक साल तक के बच्चे) मोर्टेलिटी रेट (IMR) के मामले में मप्र की हालत, यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से भी खराब है।

उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर प्रति हजार पर 38, असम और ओडिशा में 36 और राजस्थान में 32 है। देश में सबसे बेहतर ​स्थिति मिजोरम की है। यहां एक हजार जन्म में से सिर्फ तीन नवजातों की मौत होती है। सिक्किम-गोवा में 5, नगालैंड में 4 और मिजोरम में शिशु मृत्यु दर 3 है।

डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण चुनौतियां
मध्यप्रदेश में NHM की प्रमुख प्रियंका दास कहती हैं, हर लेवल पर शिशु मृत्यु के हर केस का ऑडिट कर समीक्षा की जा रही है। समीक्षा रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इनमें सिजेरियन डिलीवरी भी बड़ा कारण है। इसे लेकर जिला अस्पताल को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण कुछ चुनौतियां हैं। सभी जिलों को यह निर्देश दिए गए हैं कि गर्भावस्था से लेकर प्रसव कराने के साथ ही मां और बच्चे की विशेष देखभाल की जाए, ताकि बच्चों और माताओं की मौतों को रोका जा सके।

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