राज्यसभा में वोट डालते कांपते हैं बड़े-बड़े नेताओं के हाथ:पढ़िए कब-कब छोटी सी गलती से बदल गए समीकरण

आमतौर पर चुनावों में पार्टी और प्रत्याशियों के मन में ही घबराहट होती है, लेकिन राज्यसभा का चुनाव ऐसा है, जिसमें वोट डालने वालों की भी दिल की धड़कन बढ़ी हुई होती है, हाथ कांपते हैं। इसकी वजह है राज्यसभा के 6 सख्त नियम। एक भी नियम टूटने का मतलब है वोट रिजेक्ट।

वोट रिजेक्ट हो गया तो उसके भी कई मायने निकाले जाते हैं। सबसे बड़ा आरोप तो ये लगता है कि जानबूझकर गलती कि है ताकि वोट रिजेक्ट हो गए। इसी घबराहट का नतीजा है कि भाजपा ने मॉक वोटिंग कराई तो पहली बार में 5 और दूसरी बार में 2 विधायकों के वोट रिजेक्ट हो गए। भाजपा की मॉक वोटिंग में सामने आई गलतियों ने कांग्रेस की भी चिंता बढ़ा दी है।

पहले से क्रॉस वोटिंग की चिंता से परेशान दोनों पार्टियां अब विधायकों की वोटिंग को लेकर भी एक्सट्रा सावधानी बरत रही हैं। बार-बार बच्चे की तरह वोटिंग की पूरी प्रोसेस रटाई जा रही है, ताकि ऐन वक्त पर कोई गड़बड़ी न हो।

भाजपा-कांग्रेस का ये डर बेबुनियाद भी नहीं है, इससे पहले भी कई बार राज्यसभा चुनाव में गलतियों के कारण विधायकों के वोट रिजेक्ट हो चुके हैं। पढ़िए क्या हैं राज्यसभा चुनाव के नियम और कब-कब इन नियमों के टूटने से पूरा समीकरण बदल गया था। भास्कर ने राज्यसभा चुनावों में वोट खारिज होने के कारणों और इससे जुड़े रोचक मामलों की पड़ताल की।

2016 में दूसरे विधायक को दिखाने के कारण खारिज हो गया था सुरजेवाला का वोट
इस बार राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला का भी एक बार वोट खारिज हो चुका है। हरियाणा में 2016 के राज्यसभा चुनावों में रणदीप सुरजेवाला विधायक थे। कांग्रेस समर्थक उम्मीदवार आरके आनंद और बीजेपी समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के बीच मुकाबला था। रणदीप सुरजेवाला ने अपना वोट पार्टी के अधिकृत एजेंट की जगह दूसरे विधायक को दिखा दिया था इसलिए खारिज हो गया था।

राज्यसभा चुनाव में दो मौजूदा मंत्रियों और दो विधायकों के वोट भी खारिज हो चुके
राजस्थान में पिछले कांग्रेस राज में भी विधायकों के वोट खारिज हो चुके हैं। मौजूदा मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय, बृजेंद्र ओला, कांग्रेस विधायक और तत्कालीन मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के वोट खारिज हो चुके हैं। उस दौरान कांग्रेस विधायक रामलाल मेघवाल का वोट भी खारिज हुआ था।

अनोखा नियम : 200 विधायक, लेकिन सीक्रेट वोट सिर्फ 21 करेंगे
राज्यसभा के चुनाव लोकसभा और विधानसभा के चुनावों से कई मायनों में अलग होते हैं। वहां गुप्त मतदान होता है लेकिन राज्यसभा के चुनावों में कांग्रेस के 108 और बीजेपी के 71 विधायकों को अपने पोलिंग एजेंट को यह दिखाना होगा कि उन्होंने किसे वोट दिया है। 21 विधायकों पर ऐसी कोई बाध्यता नहीं है, क्योंकि दूसरे दल का व्यक्ति वोट नहीं देख सकता, अगर दिखाया तो खारिज हो जाएगा।

आरएलडी के सुभाष गर्ग, 13 निर्दलीय, 03 आरएलपी विधायक, 02 सीपीएम और 02 बीटीपी के विधायक किसे वोट करेंगे यह कोई नहीं देख पाएगा। निर्दलीयों और दूसरी पार्टियों के विधायकों के वोट कोई देख नहीं पाएगा। कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग के डर से विधायकों को गुरुवार शाम तक ही जिसे वोट देना है, उसके बारे में बताने की रणनीति बनाई है।

उम्मीदवारों के नाम अल्फाबेट के हिसाब से
बैलेट में राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम अल्फाबेट के हिसाब से लिखे होते हैं, उनके आगे बॉक्स बना होता है जिसमें प्रायोरिटी नंबर लिखने होते हैं। बैलेट पेपर में अल्फाबेट के हिसाब से सबसे पहले घनश्याम तिवाड़ी, दूसरे नंबर पर मुकुल वासनिक, तीसरे नंबर पर प्रमोद तिवारी, चौथे नंबर पर रणदीप सिंह सुरजेवाला और पांचवें नंबर पर निर्दलीय सुभाष चंद्रा का नाम होगा।

कौन विधायक किसे वोट देगा, यह पहले से तय
कौन विधायक किस उम्मीदवार को वोट देगा यह पहले से तय होगा। बीजेपी ने घनश्याम तिवाड़ी और निर्दलीय सुभाष चंद्रा को वोट देने वाले विधायकों के नाम तय कर लिए हैं। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया घनश्याम तिवाड़ी और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सुभाष चंद्रा को मिलने वाले वोट देखेंगे। कांग्रेस विधायकों को आज बताया जाएगा कि कौन विधायक किसे वोट देगा।

बैंगनी स्याही वाले स्पेशल पेन से ही वोटिंग, मैसूर से मंगवाए 200 पेन
राज्यसभा चुनावों में बैंगनी कलर की इंक वाले स्पेशल मार्कर पेन से वोटिंग होगी। इसके लिए मैसूर सिक्योरिटी प्रेस से 200 स्पेशल मार्कर पेन मंगवाए गए हैं। इन्हीं स्पेशल मार्कर पेन से राज्यसभा चुनावों में वोटिंग होगी। 2016 में हरियाणा में हुए पेन चेंज कांड के बाद अब चुनाव आयोग ने व्यवस्था बदल दी है। अब केवल चुनाव आयोग के उपलब्ध करवाए गए पेने से ही वोटिंग करना अनिवार्य कर दिया है।

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